Shri Ram: प्रभु श्री राम ने कैसे किया अपने शरीर का त्याग? जानें यह पौराणिक कथाएं
Shri Ram Facts: प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी अनसुनी कहानियां हैं जो आज भी सोचने पर मजबूर कर देती हैं. आइए जानते हैं कि श्री राम की मृत्यु से जुड़ी कथाओं के बारे में.
Lord Rama Death: 22 जनवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक दिनों में गिना जाएगा. इस दिन अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई. भगवान राम को विष्णु जी के सातवें अवतार के रूप में पूजा जाता है. प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ी कुछ कई अनसुनी कहानियां हैं जो आज भी लोगों को भावविभोर कर देती हैं. श्री राम के जन्म की कथा के बारे में तो सभी को पता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्री राम की मृत्यु कैसे हुई थी? आइए जानते हैं कि आखिर प्रभु श्री राम ने अपने शरीर का त्याग कैसे किया.
श्री राम की मृत्यु से जुड़ी पहली कथा
भगवा राम की मृत्यु से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं जिसमें यह कथा सबसे ज्यादा मान्य है. पद्मपुराण के अनुसार, अपना अवतारकाल समाप्त करने के बाद भगवान राम ने एक ऋषि का रूप धारण कर लिया था. उनसे मिलने के लिए काल यानी यमराज भी एक ऋषि के रूप में आए और उन्होंने राम जी से बात करने का आग्रह किया. यमराज ने राम जी से कहा कि हमारे बातचीत के दौरान कोई और नहीं आना चाहिए.
उस समय प्रभु श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण से कहा कि वो काल से वार्तालाप करने के लिए एकांत चाहते हैं. इसलिए वो दरवाज़े पर खड़े हो जाएं ताकि कोई गलती से भी भीतर प्रवेश न कर सके. भगवान राम और काल कक्ष में बैठकर वार्तालाप कर रहे थे और लक्ष्मण दरवाज़े पर खड़े हो गए. इतनी देर में ऋषि दुर्वाशा वहां आ पहुंचे और उन्होंने राम जी से मिलने का आग्रह किया. लक्ष्मण जी के लाख मना करने के बावजूद ऋषि नहीं माने और क्रोधित हो गए.
ऋषि दुर्वाशा के क्रोध से बचने के लिए लक्ष्मण उस कक्ष में प्रवेश कर गए जहां श्री राम वार्तालाप कर रहे थे. बिना अनुमति के लक्ष्मण के प्रवेश पर श्री राम बहुत क्रोधित हुए. गुस्से में उन्होंने लक्ष्मण को देश निकाला दे दिया. लक्ष्मण जी के लिए बड़े भाई राम का यह आदेश मृत्यु दंड के सामान था. इसलिए वो सरयू नदी में समा गए और शेषनाग का रूप धारण कर लिया.
छोटे भाई लक्ष्मण की जलसमाधि से भगवान राम बहुत आहत हुए. शोक में डूबे श्री राम ने भी जलसमाधि का निर्णय लिया. वो सरयू नदी के अंदर गए और भगवान विष्णु का अवतार ले लिया. इस तरह भगवान राम मानव शरीर का त्याग कर वापस बैकुंठ धाम चले गए.
भगवान राम की मृत्यु से जुड़ी दूसरी कथा
इस कथा के अनुसार जब सीता माता ने अपने दोनों बच्चों लव और कुश को प्रभु श्री राम को सौंपा और धरती माता में समा गईं तब भगवान राम बहुत दुखी हो गए थे. उनसे माता सीता का विछोह सहा नहीं जा रहा था. पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्रीराम ने यमराज से प्राण छोड़ने की अनुमति मांगी. यमराज की सहमति लेकर भगवान राम ने सरयू नदी में जल समाधि ली.
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