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Astrology : संतान को योग्य और निरोग बनाना है तो इन ग्रहों को कभी न होने दें कमजोर और अशुभ
Astrology : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की अशुभता बच्चों की सेहत और शिक्षा को भी प्रभावित करती है. इसलिए ग्रहों को शुभ बनाने के लिए उपाय करने चाहिए.
![Astrology : संतान को योग्य और निरोग बनाना है तो इन ग्रहों को कभी न होने दें कमजोर और अशुभ Astrology Jupiter Mercury auspicious in the zodiac makes the child educated and healthy Astrology : संतान को योग्य और निरोग बनाना है तो इन ग्रहों को कभी न होने दें कमजोर और अशुभ](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/04/07/2056437c361bcc5f4831e8bcfaba4396_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Astrology, Jyotish Remedies : हर माता-पिता की अभिलाषा होती है कि उनकी संतान योग्य और निरोग रहे है. कई बार ग्रहों की अशुभता इस रास्ते में अड़चन पैदा करती है, जिस कारण शिक्षा पर तो असर पड़ता ही है, साथ ही साथ शिक्षा भी प्रभावित होती है, जिस कारण करियर निर्माण में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
ग्रह कमजोर होने पर देते हैं बाधा और परेशानी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब जन्म कुंडली में बैठे ग्रह अशुभ फल देने लगते हैं तो संतान की शिक्षा प्रभावित होती है. कभी ग्रहों की स्थिति और दशाओं के कारण शिक्षा बाधित होती है या फिर रूकने के भी योग बन जाते हैं. इसलिए कुंडली में बैठे ग्रहों की स्थिति का भी एक बार आंकलन करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है.
कुंडली का पंचम भाव, देता है शिक्षा की जानकारी (kundali 5th house)
ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली का पंचम भाव शिक्षा से जुड़ा हुआ है. जब इस भाव पर पाप ग्रह की दृष्टि पड़ती है तो शिक्षा में दिक्कतें आती हैं. राहु और केतु को पाप ग्रह माना गया है. इसके साथ ही शनि और मंगल जब अशुभ हो जाते हैं तो भी व्यक्ति को शिक्षा में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए इन ग्रहों को शुभ बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए. कभी कभी शुभ ग्रह क्रूर और पाप ग्रहों की दृष्टि और दशाओं के दौरान परेशानी देने का कार्य करते हैं.
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कुंडली का छठा भाव बताता है रोग (kundali 6th house)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का छठा भाव रोग का माना गया है. इस भाव में जब पाप ग्रह, क्रूर जब विराजमान हो जाते हैं और शत्रु राशि से पीड़ित होते हैं तो अशुभ फल प्रदान करते हैं. इस् स्थिति में सेहत को हानि होती है. जिस कारण बच्चे की प्रगति पर विपरीत असर पड़ता है.
इन दो ग्रहों को बनाएं शुभ (Jupiter - Mercury)
ज्योतिष के अनुसार शिक्षा के मामले में देव गुरु बृहस्पति की भूमिका को अहम माना गया है. गुरू का संबंध ज्ञान से है. जब गुरु शुभ होते हैं तो व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में विशेष सफलता दिलाते हैं. इसलिए गुरु को शुभ रखना बहुत जरूरी माना गया है. गुरु के कारण ही व्यक्ति को उच्च पद और मान सम्मान प्राप्त होता है. वहीं बुध का संबंध भी बुद्धि से ही है. बुध ग्रह स्मरण शक्ति में भी वृद्धि करते हैं. बुध शुभ होने पर व्यक्ति की शिक्षा बाधा रहित होती है.
उपाय (Remedies)
भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरु ग्रह की अशुभता दूर होती है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु समर्पित है. शिक्षा में यदि लगातार बाधा बनी हुई तो एकादशी व्रत विधि पूर्वक करने से लाभ मिलता है. संतान के लिए माता पिता भी इस व्रत को कर सकते हैं. गणेश जी की पूजा करने से बुध की अशुभता दूर होती है. बुधवार को गणेश जी की पूजा करने से लाभ मिलता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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