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Farmers Income: सिर्फ हाथों में ही रंग नहीं भरती... मोटा मुनाफा दे कर जेब भी भरती है ये फसल
पांरपरिक खेती से हटकर भी किसान एग्रीकल्चर में हाथ आजमा सकत हैं. मेहंदी की खेती ऐसी ही मुनाफे की खेती है. किसान इसकी बुवाई कर सालाना लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
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Henna Farming: देश की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है. किसान इसी मिट्टी में अपनी फसल को सींचते और आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं. गेहूं, मक्का, धान, दलहन, तिलहन की किसान पारंपरिक खेती करते हैं. इस खेती में ठीक ठाक कमाई भी होती है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को पारंपरिक से अलग हटकर खेती करने की जरूरत है. आज हम ऐसी ही खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसकी बुवाई कर किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. बस इसको थोड़ी सूझबूझ से किए जाने की जरूरत है. यह फसल केवल समारोह में हाथ, पैरों में ही रंग नहीं भरती, यदि सही से किया जाए तो मोटा मुनाफा देकर जेब भी भर देती है.
मेहंदी की खेती के लिए ऐसी होनी चाहिए मिट्टी
विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो मेहंदी की खेती हर भूमि पर हो जाती है. लेकिन इसके लिए अच्छी भूमि बलुई मिट्टी को माना जाता है. साथ ही पथरीली, लवणीय, क्षारीय भूमि भी मेहंदी की खेती के लिए उपयोगी मानी जाती है. भूमि का पीएच मान 7.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए. जानकार बताते हैं कि मेहंदी का पौधा शुष्क और उष्णकटिबंधीय जलवायु में अधिक विकास करता है.
कब और कैसे करें मेहंदी की खेती
मेहंदी की खेती की बुआई फरवरी और मार्च के महीने में होती है. मेहंदी के बीज या उसकी कटिंग को लगाकर बुआई की जा सकती है. बुआई से पहले खेत की साफ सफाई कर लें. यदि खरपतवार है तो उसे उखाड़कर फेंक दें. कल्टीवेटर से जुताई करने के बाद पाटा से भूमि को समतल कर दें. इसके बाद मेहंदी की बुआई कर दें.
खेती पर लागत आती है बेहद कम
मेहंदी की खेती की अच्छी बात यह है कि इसकी लागत बेहद कम होती है. जबकि मुनाफा बंपर होता है. शादी, ब्याह, त्यौहार या घर में कोई फंक्शन मेहंदी की मांग हर सीजन में रहती है. ग्राहक अच्छा मुनापफा कमाने के लिए सीधे कंपनी को माल बेचना शुरू कर देते हैं. औषधीय गुण और टेस्ट में खराब होने के कारण पशु इसे खाना पसंद नहंी करते हैं. इस कारण किसान को नुकसान भी कम होता है.
लाखों रुपये कमाते हैं किसान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में मेहंदी की खेती बहुत अधिक क्षेत्र में की जाती है. राजस्थान के पाली जिले में मेहंदी सबसे ज्यादा पैदा होती है. पाली जिले के अधिकांश किसान पत्तियों को सूखाकर इसकी पैकिंग करते हैं और उन्हें देश के दूसरे राज्य और विदेशों तक में एक्सपोर्ट किया जाता है. राजस्थान देश में मेहंदी पत्ती का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है. रिकॉर्ड के अनुसार, जिले की 40,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली मेहंदी की खेती से जुड़े किसान सालाना 40 करोड़ रुपये तक की कमाई कर लेते हैं.
30 सालों तक पा सकते हैं उत्पादन
मेहंदी की खेती के लिहाज से भारत बड़ा कारोबारी देश है. पहले साल मेहंदी से केवल 5 से 10 प्रतिशत तक उपज पैदा हो पाती है. 3 से 4 साल गुजरने पर इसकी पैदावार बढ़िया हो जाती है. पैदावार की यह स्थिति करीब 30 साल तक बनी रहती है. फसल से हर साल करीब 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सूखी पत्तियों का पैदा हो जाती है. सही सूझबूझ और तकनीक से एक हेक्टेयर में 20 से 25 क्विंटल सूखी पत्ती हो सकती हैं. पांरपरिक खेती से हटकर भी किसान एग्रीकल्चर में हाथ आजमा सकत हैं. मेहंदी की खेती ऐसी ही मुनाफे की खेती है. किसान इसकी बुवाई कर सालाना लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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