Crop Cultivation: एक बार फसल बोने पर 8 साल की टेंशन खत्म, चीन ने ये नई तकनीक लाकर कमाल कर दिया
Crop Cultivation: एक साल में अमूमन एक बार एक ही फसल के लिए बीज बोया जाता है. अगले साल फिर वहीं प्रक्रिया होती है. लेकिन चीन ने एक ऐसा बीज इजाद किया है, जिसे एक बार बोने के बाद 8 साल जरूरत नहीं पड़ेगी.
Wheat Seeds: फसल नुकसान का दर्द केवल किसान ही समझ सकता है. हर साल में अलग अलग बीजों की बुवाई करना. सभी बीज सीजनल होते हैं. कोई बीज सर्दियों में बोया जाता है तो कोई गर्मियों में. लेकिन क्या हो यदि, ऐसा बीज मिल जाए, जिससे कई सालों की टेंशन खत्म हो जाए. एक बार बो दें तो हर साल खुद ब खुद होता रहे. चीनी ने ऐसी ही तकनीक विकसित कर एग्रीकल्चर क्षेत्र में बड़ा काम किया है. इससे चीनी किसानों की टेंशन काफी हद तक खत्म हुई है.
PR23 चावल की किस्म ने किया ये कमाल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन काफी समय से ऐसा ही बीज विकसित करने पर लगा हुआ था. हाल में चीन ने PR23 नामक चावल की एक नई प्रजाति विकसित की है. साइंटिस्ट का कहना है कि एक बार यदि यह फसल बो दी तो इसे अगले साल दोबारा बोने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह बीज 4 से 8 साल तक खुद ही काम करेगा.
जड़ों से निकल आते हैं खुद ही नए पौधे
इस बीज की खास बात यह है कि इसे दोबारा जल्दी नहीं बोना पड़ेगा. वैज्ञानिकों ने रिसर्च करते समय पाया कि PR23 चावल की जड़ें बेहद मजबूत होती हैं. ऐसे में इस फसल को काटने के बाद उसकी जड़ों से खुद ही नए पौधे निकल आते हैं. ये नए पौधे उतनी ही तेजी से बढ़ते हैं, जितनी पहली फसल बढ़ रही थी. समय पर फसल किसानों को मिल जाती है.
क्रॉस ब्रीडिंग से विकसित हुई प्रजाति
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका के एक जंगली बारहमासी किस्म के रेगुलर वार्षिक चावल ओरिजा सैटिवा के क्रॉस-ब्रीडिंग से PR23 प्रजाति विकसित की है. पीआर23 क्वालिटी के साथ प्रॉडक्शन में भी अव्वल है. यदि इसकी उपज की बात करें तो एक हेक्टेयर में यह 6.8 टन हो जाता है. किसानों की जेब खर्च के मामले में भी यह बेहद सस्ता है. इसमें फर्टिलाइजर की जरूरत बहुत कम होती है.
1970 से चल रही थी रिसर्च
वर्ष 1970 से युन्नान एकेडमी चावल की नई प्रजाति पर रिसर्च कर रही थी. पहले उसे सपफलता नहीं मिली. 1990 में फिर से इसपर काम शुरू कर दिया गया. बाद में कुछ नतीजे उत्साहजनक सामने आने लगे. 1995 और 2001 के बीच अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ने इस पर काम शुरू कर दिया. पीआर 23 प्रजाति विकसित कर दी गई. वर्ष 2018 से यह बीज चीन के बाजार में है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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