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मुद्दे की बात: नागरिकता कानून के विरोध में 'पंगा'
आपके साथ मैं हूं...पंगा...यानी मतभेदों की एक ऐसी लकीर...जिसमें सुलह की गुंजाइशें खतरे की संभावनाओं को पार कर जाती हैं...जिसके नतीजे की कल्पना करना बेईमानी है...और ऐसा ही पंगा चल रहा है देश में नागरिकता कानून के खिलाफ...जिसमें कभी जनता और सिस्टम आमने सामने होते हैं...तो कभी सियासी दल...इस पंगे का सबसे फिक्रमंद पहलू ये है कि मूल मुद्दे की बात गायब हो चुकी है...अब बस कौम और अपने मतलब की बात रह गई है...
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