स्टारडम के सहारे..क्या खेसारी लाल यादव छपरा में रचेंगे इतिहास?
छपरा से आरजेडी के टिकट पर लड़ रहे भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने 'चर्चा विद चित्रा' में अपने चुनावी अभियान और विवादास्पद बयानों पर बेबाकी से बात की। उन्होंने दावा किया कि "जब जनता मुझे स्टार बना सकती है तो वोट भी करेगी", यह विश्वास जताते हुए कि उनके लिए उमड़ी भीड़ वोटों में बदलेगी। अपने व्यक्तिगत संघर्ष को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि वह दूध बेचकर बड़े हुए और अब राजनीति में 'बेटा बनकर' दूध का कर्ज चुकाना चाहते हैं। खेसारी लाल ने भाजपा नेताओं द्वारा उन्हें 'नचनिया' कहे जाने पर पलटवार करते हुए कहा कि नाचना सबको नहीं आता, और उन्हें कलाकार कहा जाना चाहिए। उन्होंने रवि किशन को अब बड़े भाई नहीं, बल्कि राजनेता बताते हुए उनसे दूरी बनाई। राम मंदिर पर अपनी टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि राम-कृष्ण उनके दिल में हैं, लेकिन मंदिर के साथ-साथ अस्पताल, कॉलेज और फैक्ट्री भी बननी चाहिए, क्योंकि 10 हजार से परिवार नहीं चल सकता, रोजगार से चलेगा। उन्होंने छपरा के बंद शुगर मिलों और बिहार में बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बताते हुए कहा कि जंगलराज 20 साल पहले खत्म हो चुका है और यह चुनाव उनके लिए युद्ध नहीं, व्यवस्था की दिक्कत को सुधारने का प्रयास है। छपरा से आरजेडी के टिकट पर लड़ रहे भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने 'चर्चा विद चित्रा' में अपने चुनावी अभियान और विवादास्पद बयानों पर बेबाकी से बात की। उन्होंने दावा किया कि "जब जनता मुझे स्टार बना सकती है तो वोट भी करेगी", यह विश्वास जताते हुए कि उनके लिए उमड़ी भीड़ वोटों में बदलेगी। अपने व्यक्तिगत संघर्ष को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि वह दूध बेचकर बड़े हुए और अब राजनीति में 'बेटा बनकर' दूध का कर्ज चुकाना चाहते हैं। खेसारी लाल ने भाजपा नेताओं द्वारा उन्हें 'नचनिया' कहे जाने पर पलटवार करते हुए कहा कि नाचना सबको नहीं आता, और उन्हें कलाकार कहा जाना चाहिए। उन्होंने रवि किशन को अब बड़े भाई नहीं, बल्कि राजनेता बताते हुए उनसे दूरी बनाई। राम मंदिर पर अपनी टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि राम-कृष्ण उनके दिल में हैं, लेकिन मंदिर के साथ-साथ अस्पताल, कॉलेज और फैक्ट्री भी बननी चाहिए, क्योंकि 10 हजार से परिवार नहीं चल सकता, रोजगार से चलेगा। उन्होंने छपरा के बंद शुगर मिलों और बिहार में बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बताते हुए कहा कि जंगलराज 20 साल पहले खत्म हो चुका है और यह चुनाव उनके लिए युद्ध नहीं, व्यवस्था की दिक्कत को सुधारने का प्रयास है।


























