Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था की डुबकी लगाने हरिद्वार में उमड़े श्रद्धालु
गुरु पूर्णिमा, हिंदू धर्म के विशेष त्योहारों में से एक है जो मान्यता के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस अवसर पर महर्षि वेद व्यास के जन्म के उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। वेद व्यास, जिनका असली नाम बाद में कृष्ण द्वैपायन व्यास के रूप में जाना गया, एक प्रमुख संस्कृत शिक्षाप्रद और धार्मिक व्यक्ति थे। उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में से एक गुरु पूर्णिमा है, जब वे जन्म लिये थे।गुरु पूर्णिमा का महत्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाकर लोग अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं और उनके शिक्षाओं को याद करते हैं। वेद व्यास जी, जो महाभारत के रचयिता भी थे, वे एक उत्कृष्ट गुरु के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने चार वेदों का संग्रह किया और उनका ज्ञान पीढ़ी से पीढ़ी तक प्रेरित करता रहा है। उन्होंने पुराणों की रचना भी की, जिससे भारतीय साहित्य और धर्मशास्त्र में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लोग अपने गुरुओं के श्रेष्ठता को स्वीकार करते हैं और उनके उपदेशों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। यह त्योहार शिक्षा, ज्ञान और धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है और गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को समझाता है। इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिससे वेद व्यास जी के योगदान की याद और मान्यता दोगुनी होती है।


























