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सितारों की चमक में मुद्दों को छिपाने का सियासी प्लान, देखिए
1967 वो साल था...जिस साल भारत में कोई एक्टर पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचा था...उसके बाद से ये सिलसिला बढ़ता रहा और चलता गया...फिल्में अक्सर समाज की भावनाओं को देखकर बनाई जातीं हैं...और लोगों पर उनका असर भी काफी दिनों तक रहता है...उसमें काम करने वाले कलाकार लोगों के आदर्श बन जाते हैं...इसी भावना को राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं..हालांकि रिकॉर्ड ये कहता है कि ज्यादातर कलाकार जो फिल्मों में हिट रहते हैं वो सांसद के तौर पर चल नहीं पाते.
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