Indian Railway: कोहरे से ट्रेन लेट होने पर भी नहीं पड़ेगा असर, स्क्रैच रैक से फॉग से निपटेगा रेलवे
स्क्रैच रैक ट्रेन का पूरा सेट होता है, जो हमेशा तैयार रखा जाता है. अगर कोई ट्रेन कोहरे की वजह से कम से कम 7 घंटे या उससे ज्यादा लेट होती है तो उसकी जगह इस अतिरिक्त रैक से नई ट्रेन चलाई जा सकती है.

उत्तर भारत में इन दिनों सर्दी का कहर और घना कोहरा बहुत ज्यादा परेशान कर रहा है. कोहरे की वजह से दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता, जिसके चलते कई ट्रेनें लगातार लेट चल रही हैं. वहीं, यात्रियों को भी स्टेशन पर काफी इंतजार करना पड़ रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए उत्तर रेलवे के जम्मू मंडल ने बड़ा कदम उठाया है. यहां स्क्रैच रैक यानी अतिरिक्त रैक की व्यवस्था की गई है, जिससे पैसेंजर्स को दिक्कत न हो.
क्या होता है स्क्रैच रैक?
स्क्रैच रैक ट्रेन का पूरा सेट (रैक) होता है, जो हमेशा तैयार रखा जाता है. अगर कोई ट्रेन कोहरे की वजह से कम से कम 7 घंटे या उससे ज्यादा लेट होती है तो उसकी जगह इस अतिरिक्त रैक से नई ट्रेन चलाई जा सकती है. इससे मूल ट्रेन की टाइमिंग नहीं बिगड़ती है और यात्रियों को समय पर यात्रा करने में मदद मिलती है.
इन ट्रेनों में लागू हुआ नया सिस्टम
- ट्रेन नंबर 12414: जम्मूतवी से अजमेर जाने वाली ट्रेन
- ट्रेन नंबर 22478/22477: श्री माता वैष्णो देवी कटरा से नई दिल्ली और वापस कटरा आने-जाने वाली ट्रेन
इन ट्रेनों पर ही क्यों लिया गया फैसला?
बता दें कि इन दोनों ट्रेनों की डिमांड काफी ज्यादा रहती है. ऐसे में इनके लेट होने से यात्रियों को काफी दिक्कत होती है. अब कोहरे की वजह से ये ट्रेनें लेट होंगी तो उनकी जगह तुरंत स्क्रैच रैक इस्तेमाल कर लिए जाएंगे. इससे ट्रेन सही समय पर स्टेशन से रवाना हो सकेगी.
रेलवे ने दी यह जानकारी
जानकारी के मुताबिक, यह फैसला जम्मू मंडल के डिविजनल रेलवे मैनेजर विवेक कुमार के निर्देश पर लिया गया है. वहीं, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक उचित सिंघल और वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक ने भी इसमें सहयोग किया. उचित सिंघल के मुताबिक, सर्दियों में कोहरा ट्रेनों को लेट करने का सबसे बड़ा कारण बनता है. इस स्क्रैच रैक व्यवस्था से यात्रियों को आरामदायक और समय पर यात्रा मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि ट्रेनें कोहरे की वजह से अक्सर लेट हो जाती हैं, लेकिन अब अतिरिक्त रैक की मदद से हम ट्रेनों को समय पर चला सकेंगे. यह यात्रियों के लिए बहुत अच्छा कदम है. इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि भविष्य में बढ़ती यात्रियों की संख्या को भी बेहतर तरीके से संभाला जा सकेगा.
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Source: IOCL






















