GST कटौती के बाद कितना सस्ता हो जाएगा 2BHK फ्लैट, जान लें कितनी होगी नई कीमत?
सरकार ने जीएसटी स्लैब घटाकर 5% और 18% करने का प्रस्ताव दिया है. इससे सीमेंट और टाइल्स जैसी निर्माण सामग्री सस्ती होगी और घर की कीमत पर असर पड़ेगा. एक्सपर्ट्स के अनुसार इससे 2BHK फ्लैट सस्ता हो सकता है

देश में टैक्स सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने जीएसटी दरों को सरल बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. जल्द ही चार स्लैब की जगह सिर्फ दो स्लैब 5% और 18% रह जाएंगे. इस बदलाव से सीधे तौर पर आम आदमी को तो फायदा होगा ही इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर को भी फायदा मिलेगा. क्योंकि सीमेंट, स्टील, टाइल्स और सैनिटरीवेयर जैसी निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दरें कम हो सकती हैं.
जीएसटी का सफर और अब तक के बदलाव
- 2017: 2017 देश में जीएसटी लागू हुआ. अफॉर्डेबल हाउसिंग यानी 45 लाख तक पर सिर्फ 1% टैक्स जबकि मिड सेगमेंट और नॉन में अफॉर्डेबल हाउसिंग पर 5% जीएसटी रखा गया था. हालांकि निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट पर 28%, स्टील पर 18%, टाइल्स और पेट पर 28% टैक्स लागू रहा. यही घर की लागत बढ़ाने की सबसे बड़ी वजह बनी थी.
- 2018-19: इस साल डेवलपर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिला. इसलिए खरीदारों को राहत की जगह प्रोजेक्ट महंगे हुए.
- 2020-कोविड के बाद: इस समय में सरकार ने छोटे घरों की बिक्री बढ़ाने के लिए अफॉर्डेबल हाउसिंग पर 1% टैक्स की व्यवस्था जारी रखी थी.
- 2024-25: अब सरकार ने टैक्स स्लैब घटाकर सिर्फ 5% और 18% करने का प्रस्ताव किया है. इससे घरों की निर्माण सामग्री सस्ती होगी और सीधे घर की कीमत पर असर देखने को मिलेगा.
2BHK फ्लैट पर कितना फर्क पड़ेगा
रियल स्टेट एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी शहर में अगर 2BHK फ्लैट की कीमत 50 लाख है तो नए टैक्स ढांचे से इसकी कीमत पर 1-2 लाख तक कम हो सकती है. इसका मतलब है कि खरीददार को कुल मिलाकर 2 से 4 प्रतिशत की सीधी राहत मिलेगी. वहीं अफॉर्डेबल हाउसिंग यानी 45 लाख तक में टैक्स वैसे ही कम है लेकिन सीमेंट-स्टील जैसी चीजें सस्ती होने से कुल लागत भी घटेगी.
किसको सबसे ज्यादा फायदा
मिड सेगमेंट खरीददार जिसमें 40 से 70 लाख तक के फ्लैट लेने वाले लोग शामिल होते हैं, इन्हें सबसे ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद है. वहीं अफॉर्डेबल हाउसिंग वाले लोगों को अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा क्योंकि निर्माण सामग्री सस्ती होगी. इसके अलावा लग्जरी हाउसिंग वालों के लिए बेसिक कॉस्ट घटेगा लेकिन इंपोर्टेड फिनिशिंग आइटम्स महंगे ही रह सकते हैं.
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Source: IOCL





















