नई कॉल-ड्रॉप पॉलिसी अभी नहीं लागू करना चाहती टेलीकॉम कंपनियां
टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं कि नए कॉल ड्रॉप नियम छह महीने के लिए टाल दिए जाएं.

नई दिल्लीः टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं कि नए कॉल ड्रॉप नियम छह महीने के लिए टाल दिए जाएं. दूरसंचार आपरेटरों ने इस बारे भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को चिट्ठी लिखी है. कंपनियों का कहना है कि अभी उनको नेटवर्क को नए नियमों के मुताबिक बनाने में समय लग रहा है, जिससे नए कॉल ड्रॉप नियम को कुछ महीनों के लिए टाला जाए.
सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन एस मैथ्यू ने कहा, ‘‘हमने ट्राई से कहा है कि नेटवर्क को नए नियमनों के अनुकूल बनाने के लिए हमें दो तिमाहियों का समय दिया जाए. ट्राई ने इस पर विचार करने की बात कही थी. लेकिन अभी तक नियामक ने हमें बारे में कुछ नहीं बताया है.’’ मैथ्यू ने कहा कि हमें सेल टावर लगाने में जगह की दिक्कत आ रही है. वह दिल्ली में 27 सितंबर से शुरू हो रही इंडिया मोबाइल कांग्रेस के आयोजन के सिलसिले में बैठक के मौके पर संवाददाताओं से अलग से बात कर रहे थे.
ट्राई ने 18 अगस्त को सेवाओं की गुणवत्ता के बारे में सख्त नियम जारी किए हैं. इन नियमों को एक अक्तूबर से लागू किया जाना है.
नए नियम के तहत यदि कोई आपरेटर कॉल ड्रॉप मानक को पूरा करने में विफल रहता है तो उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. अब कॉल ड्रॉप का आकलन दूरसंचार सर्किल के बजाय मोबाइ टावर के स्तर पर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे राज्यों में दूरसंचार कंपनियां स्थानीय निकायों के खिलाफ अदालत गई हैं क्योंकि उन्हें उचित शर्तों पर मोबाइल टावर लगाने के लिए जगह नहीं मिल पा रही.
मैथ्यू ने कहा, ‘‘हमें सरकारी परिसर में मोबाइल टावर लगाने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन इसके लिए सरकारी जमीन पाना चुनौती है. जगह उपलब्ध होने पर कोई भी कंपनी मोबाइल टावर लगाने से इनकार नहीं करती. सिर्फ नौ महीनों में 3.6 लाख बेस स्टेशन लगाए गए हैं.’’
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