उत्तराखंड: मनरेगा मजदूरी और विधायक का खाता, उत्तरकाशी में BJP विधायक पर उठे बड़े सवाल
Uttarakhand News: उत्तरकाशी के पुरोला से बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल और पत्नी के खातों में विधायक बनने के बाद मनरेगा भुगतान का मामला सामने आया है. प्रशासन ने जांच और रिकवरी के संकेत दिए है.

उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी की पुरोला विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल और उनकी पत्नी निशा के खातों में मनरेगा की मजदूरी राशि पहुंचने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. यह प्रकरण अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है. सवाल उठ रहे हैं कि विधायक पद पर रहते हुए उनके और उनकी पत्नी के खातों में मनरेगा की धनराशि आखिर कैसे पहुंची.
दरअसल, वर्ष 2022 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतने से पहले दुर्गेश्वर लाल का मनरेगा जॉब कार्ड बना हुआ था. उसी जॉब कार्ड के आधार पर पूर्व में उन्हें और उनकी पत्नी को मजदूरी का भुगतान होता रहा. लेकिन हाल ही में सामने आए तथ्यों के अनुसार, विधायक बनने के बाद भी उनके जॉब कार्ड पर मनरेगा के तहत भुगतान दर्ज पाया गया है.
क्या है पूरा मामला?
मनरेगा के ऑनलाइन पोर्टल के अनुसार जून 2022 में विधायक की पत्नी निशा को रेक्चा गांव के आम रास्ते में पीसीसी खड़ंजा निर्माण कार्य में रोजगार मिलना दर्शाया गया है. इसके अलावा अगस्त-सितंबर 2024 और नवंबर 2024 में बाजुडी तोक में पीसीसी निर्माण तथा समलाड़ी तोक में वृक्षारोपण कार्य में भी उनके नाम से मजदूरी भुगतान दिखाया गया है. वहीं, वर्ष 2025 में स्वयं विधायक दुर्गेश्वर लाल को पिनेक्ची तोक में भूमि विकास कार्य में रोजगार मिलना पोर्टल पर दर्ज है.
कुल तीन कार्यों में दर्शाया भुगतान
रिकॉर्ड के मुताबिक, विधायक रहते हुए तीन कार्यों में कुल 5,214 रुपये का भुगतान दर्शाया गया है. जबकि वर्ष 2021 से 2025 के बीच 11 कार्यों में पति-पत्नी के खातों में कुल 22,962 रुपये की राशि जमा होने की जानकारी सामने आई है.
मामले को लेकर जब शुक्रवार (19 दिसंबर) को ब्लॉक कार्यालय में मनरेगा सहायक यशवंत से जानकारी ली गई. उन्होंने कहा कि संबंधित कार्यों के किसी भी मस्टर रोल पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं और न ही ब्लॉक कार्यालय में इसकी फाइल या मस्टर रोल उपलब्ध हैं. इससे पूरे मामले पर सवाल और गहरे हो गए हैं.
मेरी छवि खराब करने की हो रही साजिश- दुर्गेश्वर लाल
विधायक दुर्गेश्वर लाल ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बिचौलियों की दुकानें बंद हो गई हैं, इसलिए वे मुझे ट्रोल कर रहे हैं. जब तक मनरेगा का मस्टर रोल नहीं निकलता, तब तक भुगतान संभव नहीं है. यह मेरी छवि खराब करने की साजिश है. विधायक बनने से पहले जरूर मेरा जॉब कार्ड था.
वहीं, खंड विकास अधिकारी (वीडीओ) मोरी शशि भूषण बिंजोला ने मामले को गंभीर बताया. उन्होंने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है. शनिवार (20 दिसंबर) को आराकोट में जन सेवा शिविर के बाद संबंधित सभी कार्मिकों को तलब कर जानकारी ली जाएगी. इसके बाद यदि कोई दोषी पाया गया, तो मनरेगा के तहत जारी पूरी धनराशि की रिकवरी की जाएगी. फिलहाल, प्रशासनिक जांच और राजनीतिक बयानबाजी के बीच यह मामला लगातार गरमाता जा रहा है और आगे की कार्रवाई पर सबकी नजर बनी हुई है.
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Source: IOCL























