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उत्तराखंड वन विभाग के माथे पे लगा पाखरो सफारी का दाग कब मिटेगा? समझें क्या है पूरा विवाद

Uttarakhand News: डायरेक्टर कॉर्बेट के द्वारा विभाग को बार-बार कहा गया कि बिना अनुमति कई काम किए जा रहे है, जो ठीक नही है. लेकिन उस वक्त अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहे.

Uttarakhand Pakharo Safari Case: उत्तराखंड की पाखरो सफारी में भष्ट्राचार का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले को लेकर पहले ही विजलेंस जांच बैठा चुके थे. लेकिन बाद में इस मामले में सीबीआई और इन्फोर्समेंट डायरेक्ट्रेट यानी ईडी भी शामिल हुई. जिसके द्वारा तत्कालीन अधिकारियों और पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के घर छापेमारी की गई थी.

पाखरो सफारी मामले को आखिर सुर्खियों में कौन बनाए रखना चाहता है. इसको लेकर एबीपी लाइव ने तत्कालीन चीफ ऑफ फारेस्ट राजीव भरतरी जी ने फोन के माध्यम से बात की तो उन्होंने इस विषय पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. उनका कहना था कि ये मामला फिलहाल न्यायालय में विचारअधीन है और इस विषय पर में कुछ नहीं कहना चाहता हूं. आपको बता दें कि उत्तराखंड में 2019-20 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में कॉर्बेट नेशनल पार्क की कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के पाखरो रेंज में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी के निर्माण को मंजूरी मिली थी.

वन मुख्यालय ने कोई संज्ञान नहीं लिया
हालांकि कुछ समय बाद ही पाखरो टाइगर सफारी पर ग्रहण लग गया और ये योजना पूरी होने से विवाद में आ गई. दरअसल पाखरो टाइगर सफारी के निर्माण को लेकर वन विभाग के अधिकारियों पर कुछ सवाल खड़े किए गए. आरोप ये है कि पाखरो टाइगर सफारी के निर्माण में पर्यावरणीय मानकों को दरकिनार किया गया. इसको लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डायरेक्टर राहुल ने विभाग को इस दौरान कई चिट्ठियां लिखी. इन पर वन मुख्यालय ने कोई संज्ञान नहीं लिया. पाखरों सफारी में हो रहे निर्माण का निरीक्षण करने तत्कालीन मुख्यवान जीव प्रतिपालक जे एस सुहाग 26 अगस्त 2021 को पहुंचे थे. 

डायरेक्टर राहुल ने वन विभाग को कई चिट्ठियां लिखी
जबकि इस अवैध निर्माण को कॉर्बेट पार्क के डायरेक्टर राहुल ने विभाग को कई चिट्ठियां लिखीं. लेकिन विभाग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. चिठ्ठियां जो मेल के माध्यम से विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई थी, जिसमे पीपीसीएफ हाफ यानी मुख्य वन संघरक्षक पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ यानी मुख्यवान्यज प्रतिपालक थे, इन सभी चिट्ठियों की पुष्ठि खुद वन मुख्यालय करता है. जिसके साक्ष्य मौजूद है.

दो अधिकारी इस मामले में हो चुकें है संस्पेंड
डायरेक्टर कॉर्बेट के द्वारा विभाग को बार-बार कहा गया कि बिना अनुमति कई काम किए जा रहे है, जो ठीक नही है. लेकिन उस वक्त अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहे. जबकि विजलेंस जांच में भी कालागढ़ के तत्कालीन डीएफओ किशनचंद और वहां के तत्कालीन रेंजर को जेल भेजा गया था. वहीं इस मामले में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग और कालागढ़ के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद पर गाज गिरी थी. दोनों अधिकारियों को इस मामले में सस्पेंड किया गया था. जबकि जेएस सुहाग की मौत हो चुकी है. वहीं किशन चंद विभाग से रिटायर हो चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
सूत्रों की अगर माने तो कुछ आईएफएस अधिकारियों की आपसी खींच तान का नतीजा है कि विभाग की बदनामी लगातार हो रही है. आपसी कान मुटाव के चलते ही इस मामले को बार बार तुल दिया जाता है. जबकि इस सब से बार बार सरकार को ही बदनामी होती है. जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यह साफ कर चुके हैं कि ईमानदारी प्रदेश की पहली प्राथमिकता है. और इसके आधार पर ही काम किया जाना है. फिलहाल पाखरो सफारी के मामले में सीबीआई और एनफोर्समेंट डयरेक्टरेट अपनी जांच कर रही है. वहीं सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रही है.

1200 पन्नों की बनाई गई थी जांच रिपोर्ट
इस पूरे मामले में लगभग 1200 पन्नो की जांच रिपोर्ट बनाई गई थी, जो फिलहाल अब सीबीआई ने अपने कब्जे में ले ली है. इस समय कहां जा रहा है कि तत्कालीन कॉर्बेट डायरेक्टर राहुल के जो पत्र विभाग को मिले हैं. वह सब पहले के हैं. लेकिन एक बात समझ के पार है कि ईमेल आईडी कैसे झूठ बोल सकती है. क्या ईमेल आईडी को भी बैक डेट में मेल भेजा जा सकता है. क्योंकि विभाग के जो पत्र सामने आए हैं. उसमें साफ तौर पर खुद वन मुख्यालय ने माना है कि यह चिट्टियां किस-किस तारीख में भेजी गई है. न्यायालय के फैसले पर लोगों को शक है तभी इस मामले को सुर्खियों मे रखा जा रहा है.

'जो दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी'
इस विषय पर एबीपी लाइव ने वन मंत्री सुबोध उनियाल से बात कि तो उन्होंने बताया कि इस विषय पर अधिक बोलना ठीक नहीं रहेगा. इस मामले में कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है जो जांच कर रही है. मामला विचाराधीन है जो दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी. लेकिन कुछ अधिकारियों की आपसी खींचतान भी है. आपसी लड़ाई में इस मामले को बार बार तुल दिया जाता है. लिहाजा ये मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. आपको बता दे कि पाखरो सफारी को लेकर राज्य सरकार ने पूर्व में ही विजलेंस जांच बैठा दी थी. अब इस में सीबीआई और ईडी जांच कर रही है.

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