Uttarakhand: कार्बेट टाइगर रिजर्व की 48 वर्षों तक सेवा करने वाली हथिनी गोमती का निधन, प्रबंधन ने जताया शोक
Uttarakhand News: कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत विभागीय हथिनी गोमती का लंबी सेवा और बुढ़ापे के कारण निधन हो गया. गोमती के निधन पर पार्क प्रबंधन ने शोक जताया है.
Nainital News: कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत विभागीय हथिनी गोमती का लंबी सेवा और बुढ़ापे के कारण निधन हो गया. 66 वर्ष की गोमती हथिनी को हाल ही में ढिकाला रेंज से कालागढ़ रेंज स्थित हाथीशाला में लाया गया था, जहां वह लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी. वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दुष्यंत शर्मा की देखरेख में उसका उपचार चल रहा था, लेकिन 14 अक्टूबर 2024 को प्रातः 10:30 बजे गोमती ने अंतिम सांस ली.
गोमती की मृत्यु के बाद विभागीय अधिकारियों, पशु चिकित्साधिकारियों और स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में उसका सम्मानपूर्वक शव विच्छेदन (पोस्टमॉर्टम) किया गया. इसके उपरांत नियमानुसार शव का निस्तारण किया गया. गोमती के विसरा और आंतरिक अंगों के नमूने जांच के लिए आईवीआरआई (इज्जतनगर, बरेली) और डब्ल्यूआईआई (देहरादून) भेजे गए हैं. पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया के दौरान उप निदेशक श्री राहुल मिश्रा, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राहुल सती, वन क्षेत्राधिकारी श्री मनीष कुमार, और स्थानीय एनजीओ सदस्य मौजूदा थे.
गोमती के निधन पर प्रबंधन ने जताया शोक
विभागीय हथिनी गोमती ने अपने जीवन का अधिकांश समय वन विभाग की सेवा में बिताया. 48 वर्षों तक गोमती ने कार्बेट टाइगर रिजर्व की विभिन्न रेंजों में कार्य किया, जिसमें गश्त, रेस्क्यू ऑपरेशन और वन विभाग के स्टाफ की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य शामिल थे. गोमती को अक्सर गश्त और रेस्क्यू अभियानों के दौरान देखा जाता था, जहां वह अपने धैर्य और दृढ़ता के लिए जानी जाती थी. गोमती के निधन पर कार्बेट टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. साकेत बडोला ने गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि गोमती का योगदान अविस्मरणीय है.
विभागीय हथिनी के योगदान की सराहना
गोमती की मृत्यु वन विभाग के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह अपनी उम्र के बावजूद विभाग की सेवा में सक्रिय थी. उसकी सेवा भावना ने उसे कार्बेट टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के दिलों में खास स्थान दिलाया था. गोमती ने अपने जीवनकाल में वन्यजीव संरक्षण और विभागीय गतिविधियों में अतुलनीय योगदान दिया, जो हमेशा याद किया जाएगा.
वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दुष्यंत शर्मा के अनुसार, गोमती की मृत्यु का कारण उसका बढ़ती उम्र होना था. उन्होंने कहा कि बुढ़ापे की वजह से उसकी शारीरिक क्षमता धीरे-धीरे कम हो रही थी, और इस कारण से वह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी. गोमती की सेवा और समर्पण को देखते हुए, कार्बेट टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों और अधिकारियों ने उसे श्रद्धांजलि अर्पित की. उसके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और वह वन विभाग के इतिहास में एक महान सेवा करने वाली हथिनी के रूप में जानी जाएगी.
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