11 लाख पुराने स्मार्ट मीटर हटाने की तैयारी में UPPCL, 2027 तक हर घर में लगेंगे नए प्रीपेड मीटर
UP News: UPPCL मार्च 2027 तक 11 लाख पुराने स्मार्ट मीटर हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाएगा. 2G 3G तकनीक वाले मीटरों में आई बार-बार की दिक्कतों के बाद यह बड़ा कदम उठाया गया है.

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने राज्यभर में लगाए गए पुराने स्मार्ट मीटरों को हटाकर नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का बड़ा फैसला किया है. मार्च 2027 तक 11 लाख से ज्यादा पुराने स्मार्ट मीटर बदल दिए जाएंगे. ये वही मीटर हैं जो पहले OPEX मॉडल के तहत लगाए गए थे और 2G/3G तकनीक पर आधारित थे.
UPPCL का कहना है कि यह बदलाव रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत किया जा रहा है, जिससे बिजली उपभोक्ताओं को बेहतर और भरोसेमंद सेवा मिल सके.
सालों पहले शुरू हुआ था प्रोजेक्ट
यह स्मार्ट मीटरिंग प्रोजेक्ट 17 अप्रैल 2018 को शुरू हुआ था. UPPCL और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) के बीच 40 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का करार हुआ था. लेकिन 6 साल गुजरने के बाद भी केवल 12.04 लाख मीटर ही लगाए जा सके.
साल 2020 इस परियोजना के लिए सबसे बड़ा झटका लेकर आया. जन्माष्टमी की रात अचानक 1.58 लाख मीटर ग्रिड से कट गए. इससे कई इलाकों में बिजली व्यवस्था गड़बड़ा गई. इसके बाद तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इंस्टॉलेशन रोकने के आदेश दिए और तकनीकी खामियों की कड़ी आलोचना की.
तकनीकी खामियों ने बिगाड़ी योजना
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक 5 दिसंबर 2025 को UPPCL के एमडी पंकज कुमार ने चेयरमैन और EESL के सीईओ को चिट्ठी लिखकर पूरे प्रोजेक्ट की खामियों का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि 2020 की घटना के बाद इंस्टॉलेशन एक साल से ज़्यादा बंद रहा. EESL राजस्व प्रबंधन प्रणाली (RMS) को मीटर डेटा मैनेजमेंट (MDM) से जोड़ने में असफल रहा.
डेटा की विश्वसनीयता, बिलिंग और ऑडिटिंग में दिक्कतें बनी रहीं. प्रीपेड सुविधा भी सही तरह से लागू नहीं हो पाई. कम्युनिकेशन तकनीक सुधारने के निर्देश मिलने के बावजूद EESL ने कार्रवाई नहीं की. MD ने लिखा कि 2022 से 2025 के बीच कई बार मौका देने के बावजूद EESL अपनी कमियों को दूर नहीं कर सकी.
नए मीटर पर और 682 करोड़ होंगे खर्च
UP राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) के मुताबिक 2G/3G स्मार्ट मीटर लगाने पर करीब 960 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. अब इन्हें हटाकर नए मीटर लगाए जा रहे हैं, जिन पर 682 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा.
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह पूरा प्रोजेक्ट जनता के पैसों की बर्बादी था. EESL ने 2019 में तकनीक अपग्रेड करने का वादा किया था, लेकिन कभी पूरा नहीं किया. नई योजना के तहत 11,32,506 सक्रिय पुराने मीटरों को मार्च 2027 तक बदला जाएगा. ये मीटर उन 2.69 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटरों से अलग हैं जिन्हें RDSS के तहत मंजूरी मिली है.
अवधेश वर्मा ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच और अफसरों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि जनता का पैसा गलत योजनाओं और लापरवाही में बर्बाद हुआ है, जिसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए.
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Source: IOCL





















