राजनीति में राजघराना: अमेठी में बीजेपी में दो 'रानी', टिकट बंटवारे में किसे चुनेगी पार्टी?
UP Election 2022: अवध में अमेठी का राजघराना काफी महत्वपूर्ण है. यह राजपरिवार 1952 से ही राजनीति में है. बीजेपी नेता संजय सिंह इसी राजपरिवार से आते हैं. आइए जानते हैं इस परिवार की राजनीति क्या है.
Rajneeti mai Rajgharana: देश के अन्य हिस्सों की ही तरह उत्तर प्रदेश प्रदेश (UP Assembly Election 2022) में भी बहुत से राजा-रजवाड़े हैं. इनमें से कई राजनीति में भी सक्रिय हैं. आइए जानते हैं अमेटी राजपरिवार के बारे में. जिसके कई सदस्य चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं. भारत की राजनीति में अमेठी को नेहरू-गांधी परिवार (Gandhi Family)का गढ़ माना जाता है. लेकिन इसकी एक और पहचान अमेठी राजघराने से भी है. इस राजपरिवार के जुड़े लोग 10 बार विधायक और 5 बार संसद सदस्य रह चुके हैं.
अमेठी राजपरिवार के राजा रणंजय सिंह 1952 के पहले चुनाव में निर्दलीय विधायक चुने गए थे. वो 1969 में जनसंघ और 1974 में कांग्रेस के टिकट पर जीते. वो 1962 से 1967 तक अमेठी से कांग्रेस के टिकट पर संसद का चुनाव भी जीते. वे कोई भी चुनाव नहीं हारे थे.
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अमेठी से गांधी परिवार का नाता क्या है?
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने 1980 में लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए अमेठी को चुना था. अमेठी के राजा संजय सिंह ने उनका भरपूर साथ दिया था. इससे उनकी गांधी परिवार के साथ नजदीकियां बढ़ती गईं. संजय गांधी की मौत के बाद हुए उपचुनाव के लिए राजीव गांधी ने भी अमेठी को ही चुना. उन्होंने 1991 तक अमेठी का प्रतिनिधित्व किया. राजीव के साथ भी संजय सिंह के प्रगाढ़ संबंध रहे.
संजय सिंह कभी एक पार्टी में टिक कर नहीं रहे. कांग्रेस के टिकट पर वो 1980 से 1989 तक वो अमेठी से विधायक चुने गए. इस दौरान वो कई विभागों के मंत्री भी रहे. लेकिन वीपी सिंह ने जब जनता दल बनाई तो वे उनके साथ हो लिए. साल 1989 के चुनाव में संजय सिंह ने राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा. लेकिन अमेठी के राजा साहब राजीव गांधी को हरा नहीं पाए. इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए. 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया. इस बार संजय सिंह जीत गए. लेकिन अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में सोनिया ने अमेठी से पर्चा भरा. इस बार संजय सिंह को गांधी परिवार से फिर हार का सामना करना पड़ा. संजय सिंह 2003 में एक बार फिर कांग्रेस में वापस लौटे. वो 2009 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अमेठी की पड़ोसी सीट सुल्तानपुर से जीते. बाद में कांग्रेस ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया. लेकिन कार्यकाल खत्म होने से पहले ही वो एक बार फिर बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने अभी उनको कोई जिम्मेदारी नहीं दी है.
अमेठी के चुनाव में जनता ने किस रानी को चुना?
संजय सिंह की दो शादिया हैं. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के परिवार से आने वाली गरिमा सिंह उनकी पहली पत्नी हैं. संजय की दूसरी पत्नी का नाम अमीता सिंह हैं. अमीता की यह दूसरी शादी है. उनके पहले पति और बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसमें संजय सिंह का भी नाम आया था. लेकिन अदालत ने उन्हें बरी कर दिया. संजय सिंह ने 1995 में अमीता सिंह से शादी कर ली थी.
अमीता सिंह 2002 में बीजेपी के टिकट पर अमेठी से विधायक चुनी गई थीं. लेकिन 2004 का उपचुनाव और 2007 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीता. अमीता सिंह को 2012 में सपा के गायत्री प्रजापति ने हरा दिया था.
अमेठी का सबसे तगड़ा मुकाबला 2017 के चुनाव में हुआ. बीजेपी ने संजय सिंह की पहली पत्नी रानी गरिमा सिंह को टिकट दिया तो कांग्रेस ने अमीता सिंह को. गरिमा सिंह के चुनाव प्रचार का जिम्मा उनके बेटे-बेटियों ने संभाला तो अमीता सिंह के प्रचार का जिम्मा संजय सिंह ने संभाला. लेकिन जीत रानी गरिमा सिंह को मिली. अब जब अगले साल होने वाले विधानसभा के लिए सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी टिकट किसको देती है. अपनी विधायक रानी गरिमा सिंह को या पूर्व विधायक अमीता सिंह को.
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