UP Politics: BJP को बचाने के लिए बसपा को तुड़वाया! शिवपाल यादव ने किया दावा
UP Politics: सपा नेता शिवपाल सिंह यादव दावा किया है कि साल 2003 में जब बहुजन समाज पार्टी के 37 विधायकों को तोड़ा गया था तो उन्हें इसके लिए दिल्ली से ग्रीन सिग्नल मिला था.

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने एक पॉडकास्ट में दिए इंटरव्यू में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इस इंटरव्यू में उन्होंने साल 2003 में बहुजन समाज पार्टी में हुई टूट और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनने की पूरी कहानी बताई है. उन्होंने ये भी बताया कि इस पूरे खेल में दिल्ली से बीजेपी का कौन सा बड़ा चेहरा उनके साथ था.
शिवपाल यादव से इंटरव्यू के दौरान 2003 में बसपा के 37 विधायकों की टूट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि जब बसपा और बीजेपी के गठबंधन में दरार हो गई थी तो बीजेपी के कई विधायक उनके संपर्क में थे और सपा को समर्थन देकर सरकार बनाना चाहते थे.
वाजपेयी से मिला था ग्रीन सिग्नल
शिवपाल यादव ने बताया कि अगर बसपा नहीं टूटती तो बीजेपी टूट जाती. उस समय पर दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार थी. वाजपेयी की ओर से उन्हें हरी झंडी मिली थी कि बसपा को तोड़कर सपा की सरकार बन जाए. पहले बीजेपी के 25 विधायक हमारे साथ आने को तैयार थे पांच और टूट जाते.
उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी पार्टी को बचाने के लिए बसपा को तोड़ने की उन्हें खुली छूट दे दी थी. जिसके बाद उन्होंने अमर सिंह और अरविंद गोप के साथ टीम बनाई और उन्होंने रातों-रात बसपा के 37 विधायकों को तोड़कर अपने पाले में कर लिया था और उन्हें स्पीकर से मिलवाया.
बसपा को तोड़ बनाई सपा का सरकार
शिवपाल यादव ने कहा कि उस वक्त राजभवन भी पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए था, इसलिए वहां भी पूरी तैयारी पहले से ही थी. जिसके बाद अगले ही दिन मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. इसके लिए सभी विधायकों को इनाम देने की बात कही गई थी, बाद में उन सभी को मंत्री बनाया गया.
हमारे सामने सिर्फ एक लक्ष्य था कि किसी भी तरह से सरकार बनानी है और दिल्ली से भी ग्रीन सिग्नल मिला हुआ था. शिवपाल यादव ने कहा कि वाजपेयी की भी मजबूरी थी अगर वो बसपा को टूटने नहीं देते तो उनकी पार्टी टूट जाती. इसलिए उन्होंने बसपा को टूटने दिया.
इस घटना के बाद शिवपाल यादव एक बड़े ताकतवर नेता के तौर पर उभरे जिन्हें लेकर ये दावा किया जाने लगा कि ये सरकार बना भी सकते हैं और गिरा भी सकते हैं. यूपी के सियासी इतिहास में ये घटना बेहद अहम मानी जाती है जिसके प्रदेश की राजनीति को बदल दिया था.
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