अलीगढ़ में 5 दिवसीय प्रवास पर आएंगे RSS प्रमुख मोहन भागवत, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
Mohan Bhagwat Aligarh Visit: आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत अलीगढ़ दौरे में संघ के स्वयंसेवकों और विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी संवाद कर सकते हैं, उनके इस दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है.

UP News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत 17 अप्रैल से 21 अप्रैल तक पांच दिनों के अलीगढ़ प्रवास पर रहेंगे. इस दौरान वे अलीगढ़-मथुरा रोड स्थित केशव सेवा धाम में ठहरेंगे. उनके दौरे को लेकर प्रशासन और संघ दोनों ही स्तरों पर तैयारियां तेज कर दी गई हैं. केशव सेवा धाम परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं और आसपास के इलाके में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है.
आरएसएस प्रमुख के प्रवास के दौरान संघ के पदाधिकारियों के साथ विभिन्न संगठनात्मक बैठकें होने की संभावना है. माना जा रहा है कि वह पश्चिम उत्तर प्रदेश में संघ की गतिविधियों की समीक्षा करेंगे और आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, मोहन भागवत संघ के स्वयंसेवकों और विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी संवाद कर सकते हैं. उनके इस दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह उनका पहला बड़ा क्षेत्रीय प्रवास है.
केशव सेवा धाम बना केंद्र, प्रशासन मुस्तैद
केशव सेवा धाम संघ का एक प्रमुख केंद्र है, जहाँ अक्सर क्षेत्रीय स्तर की संघ बैठकें होती रहती हैं. मोहन भागवत के आगमन को देखते हुए यहां सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन, पुलिस और खुफिया एजेंसियां सतर्क हैं. प्रवेश द्वार से लेकर परिसर तक कड़ी निगरानी रखी जा रही है. बाहर से आने वाले आगंतुकों की जांच भी सख्ती से की जा रही है.
संघ की रणनीति और सामाजिक सरोकार पर होगी चर्चा
जानकारों का मानना है कि इस प्रवास के दौरान संघ के सामाजिक सरोकारों, सेवा कार्यों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर भी चर्चा हो सकती है. संघ प्रमुख का यह दौरा केवल संगठनात्मक नहीं बल्कि वैचारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
गौरतलब है कि मोहन भागवत अक्सर देशभर में संघ के विभिन्न केंद्रों का दौरा करते रहते हैं और स्वयंसेवकों से संवाद के माध्यम से संगठन को मजबूत करने का काम करते हैं. उनका यह अलीगढ़ प्रवास भी संघ के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा और दिशा देने वाला माना जा रहा है. प्रशासन और संघ दोनों की ओर से यह साफ किया गया है कि मोहन भागवत का कार्यक्रम पूरी तरह आंतरिक और संगठनात्मक है. लेकिन इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर इसे लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है.
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