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Prayagraj News: शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा से टपक रही पानी की बूंदें, चमत्कार को देखने उमड़ी भीड़?

UP News: वैज्ञानिक इस तरह के मामलों में किसी भी तरह के चमत्कार या दैवीय शक्ति की संभावनाओं से पूरी तरह इंकार कर रहे हैं. इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंच रहे हैं.

Chandra Shekhar Azad Statue: संगम नगरी प्रयागराज में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा से पिछले कुछ दिनों से पानी की बूंदें टपक रही है. कई धातुओं से मिलकर बनी तकरीबन 15 फीट ऊंची इस प्रतिमा से टपकने वाला पानी कहां से आ रहा है, फिलहाल यह रहस्य बना हुआ है. क्योंकि आजाद की यह प्रतिमा पूरी तरह से पैक्ड है और इसमें पानी जाने का कहीं कोई स्रोत नहीं है. प्रतिमा से निकल रही पानी की बूंदों को देखने के लिए आजाद के शहादत स्थल पर दिन भर लोगों का जमावड़ा लगा रहता है. कोई इसे शहीद चंद्रशेखर आजाद के आंसू बता रहा है, तो कोई चमत्कार होने का दावा कर रहा है. कोई कह रहा है कि आजाद की आत्मा रो रही है तो कोई इसे अंधविश्वास से जोड़ते हुए कुछ और ही अनुमान लगा रहा है. हालांकि वैज्ञानिक इस तरह के मामलों में किसी भी तरह के चमत्कार या दैवीय शक्ति की संभावनाओं से पूरी तरह इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि वजह जो कुछ भी हो, लेकिन उसके पीछे कोई ना कोई वैज्ञानिक आधार जरूर होगा.

लोग माथे पर लगा रहे पानी की बूंदें

सरकारी अमले ने लगातार बढ़ रहे विवादों के बाद इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं. प्रयागराज प्रशासन ने प्राचीन मूर्तियों और प्रतिमाओं की देखरेख करने वाली इंटेक्स संस्था को जांच और इसके रखरखाव का जिम्मा सौंपा है. उम्मीद जताई जा रही है कि विशेषज्ञों की टीम तीन-चार दिनों में प्रयागराज आकर मूर्ति से पानी निकलने के रहस्य से पर्दा हटाएगी और सच्चाई को सामने लाएगी. हालांकि आजाद की प्रतिमा से लगातार टपक रहे पानी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.

खुद को राष्ट्रभक्त और आजाद को अपना आदर्श बताने वाले तमाम लोग प्रतिमा से टपक रही पानी की बूंदों को अपने सिर से लगाते हैं, तो कोई इन बूंदों को चंदन में मिलाकर इसका टीका माथे पर लगाता है. पानी की गिरती बूंदों को देखकर कुछ लोग आजाद की प्रतिमा पर माथा टेकने लगे हैं. जानकार इस मामले को देखकर खुद भी हैरत में हैं. उनका कहना है कि आम तौर पर ऐसा कतई होता नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वह अंधविश्वास को पूरी तरह नकारते हुए इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार होने का दावा जरूर कर रहे हैं.

देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने महज 25 साल की छोटी उम्र में 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में जिस जगह अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए वीरगति हासिल की थी, उसे अब शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है. यहां 1991 में चंद्रशेखर आजाद की आदम कद प्रतिमा लगाई गई थी. साल 2002 में तत्कालीन मायावती सरकार ने यहां मिश्रित धातु से बनी हुई एक नई प्रतिमा लगवाई. यह जगह प्रयागराज के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक है. रोजाना सैकड़ों की तादाद में देश के कोने-कोने से पर्यटक और श्रद्धालु आजाद की शहादत स्थल को देखने और अमर शहीद को नमन करने के लिए यहां आते हैं.

5 मिनट में टपकती है बूंदें

कुछ दिनों पहले इस प्रतिमा के निचले हिस्से से पानी की बूंदे टपकनी शुरू हुई. आजाद की प्रतिमा की एड़ी से ठीक ऊपर जिस जगह अमर शहीद की धोती का निचला हिस्सा बना हुआ है. पानी की बूंदें वहीं से पिछले तकरीबन एक महीने से टपक रही है. पानी की बूंदें कुछ-कुछ देर में टपकती हैं. तकरीबन 4 से 5 मिनट में पानी की एक बूंद नीचे टपकती है. पहले लोगों ने इसे सामान्य तौर पर देखते हुए नजरअंदाज किया, लेकिन बाद में पानी का टपकना चर्चा का विषय बनने लगा. कुछ लोगों ने अब वहां मिट्टी की एक प्याली में कुमकुम रख दिया. पानी की बूंद जब टपकती है, तो कुमकुम के घोल को तमाम लोग अपने माथे पर लगाते हैं.

कई लोग तो पानी को सिर पर स्पर्श करते हैं. यहां इन दिनों पानी के टपकती हुई बूंदों को देखने और उसे माथे पर लगाने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है. तमाम लोग मोबाइल फोन पर इसकी तस्वीर लेते या वीडियो बनाते हुए भी नजर आते हैं. पानी की इन बूंदों को लेकर लोग तरह-तरह के कयास लगाते हैं. कई लोगों का यह मानना है कि देश के मौजूदा हालात को लेकर चंद्रशेखर आजाद की आत्मा दुखी है और यह उनकी आत्मा के आंसू है. इसे चमत्कार और देवी कृपा बताने वालों की भी कमी नहीं है. कई लोग तो बड़बोलेपन में इसे अंधविश्वास तक से जोड़ देते हैं. 

वैज्ञानिक आधार होने का दावा

हालांकि विशेषज्ञ इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार होने का ही दावा कर रहे हैं. इस तरह के मामलों के एक्सपर्ट और इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रसायन विज्ञान विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर रामेंद्र सिंह के मुताबिक ऐसा सिर्फ दो वजहों से ही हो सकता है. उन्होंने बताया कि या तो मूर्ति में कहीं से हवा दाखिल हो रही है या फिर इसमें कहीं से पानी जा रहा है. प्रोफेसर रामेंद्र का कहना है कि इन दिनों हवा में नमी बहुत रहती है. प्रतिमा में कहीं से हेयरलाइन क्रैक होने घर से कुछ हवा उसमें दाखिल हो रहे होंगे और यह बाद में पानी में तब्दील होकर बूंद-बूंद नीचे गिर रही होगी. इसके साथ ही ओस या सीधे तौर पर पानी की कुछ बूंदे कहीं किसी माध्यम से मूर्ति के अंदर तक जा रही होगी और यही बाद में धीरे-धीरे कर नीचे टपकती होंगी. उनके मुताबिक तीसरी कोई संभावना होने की उम्मीद नहीं है. उनके मुताबिक जांच के बाद ही सीधे तौर पर किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. हालांकि यह जरूर है कि इसके पीछे कोई चमत्कार कतई नहीं हो सकता.

चंद्रशेखर आजाद राजकीय उद्यान के अधीक्षक उमेश चंद उत्तम खुद भी कई बार प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर पानी की टपकती हुई बूंदों को देख चुके हैं. वह तमाम वैज्ञानिकों और दूसरे जानकारों से बारे में सलाह भी ले चुके हैं. उनके मुताबिक प्राचीन मूर्तियों या प्रतिमाओं का संरक्षण उनका रखरखाव करने वाली संस्था इंटेक को अब यह मामला रेफर कर दिया गया. विशेषज्ञों की टीम तीन-चार दिन में ही प्रयागराज आकर इसका मुआयना करेगी. प्रतिमा स्थल पर नियमित तौर पर आने वाले दूसरी आजादी आंदोलन के संयोजक डा० नीरज, एथलेटिक कोच रजनीकांत, फोटोग्राफर तनुश्री नामदेव और छात्र राकेश झा समेत तमाम अन्य लोग इसके रहस्य से पर्दा हटा कर सच्चाई सामने लाए जाने की मांग कर रहे हैं. 

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