अखलाक हत्याकांड में इंसाफ की लड़ाई! पत्नी ने UP सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में दी चुनौती
Prayagraj News: इकरामन ने अपनी याचिका में राज्य सरकार समेत 21 लोगों को प्रतिवादी बनाया है. इससे पहले वह ट्रायल कोर्ट में भी राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर चुकी है.

उत्तर प्रदेश के नोएडा में दादरी के चर्चित 2015 मॉब लिंचिंग में मारे गए अख़लाक़ हत्याकांड में नया मोड़ आ गया है. सोमवार को मोहम्मद अखलाक की पत्नी इकरामन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार के खिलाफ याचिका दाखिल की है. जिसमें सरकार द्वारा मुकदमा वापिस लेने के फैसले को चुनौती दी गयी है. इस मामले में सुनवाई कोर्ट की डबल बेंच 5 जनवरी 2026 को कर सकती है.
इकरामन ने अपनी याचिका में राज्य सरकार समेत 21 लोगों को प्रतिवादी बनाया है. इससे पहले वह ट्रायल कोर्ट में भी राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर चुकी है. इस मामले में सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं. मांग की गयी है कि हत्या जैसे मामले में मुकदमा वापस लेना गलत है और इंसाफ के खिलाफ है.
क्या था पूरा मामला ?
यहां बता दें कि 28 सितंबर 2015 को ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में 52 वर्षीया मोहम्मद अख़लाक़ को घर के फ्रीज में गोमांस रखने के शक में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. इस घटना में उनका बेटा दानिश भी गंभीर रूप से घायल हुआ था. इस घटना ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया था. साथ ही मॉब लिंचिंग जैसी घटना को लेकर नई बहस शुरू हो गयी थी.
सरकार ने मुकदमा वापस लेने के लिए किया था आवेदन
इस मामले में तब हलचल शुरू हुई, जब हाल ही में यूपी सरकार ने हाल ही में सेक्शन 321 CrPC के तहत ट्रायल कोर्ट में सभी 19 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का आवेदन दायर किया था. सरकार ने दावा किया कि इससे सामाजिक सद्भाव बहाल होगा. जबकि पीड़ित परिवार ने इस पर ऐतराज जताया.
राज्य सरकार समेत 21 को प्रतिवादी बनाया
अखलाक की पत्नी इकरामन ने अपनी याचिका में राज्य सरकार समेत 21 लोगों को प्रतिवादी बनाया है, जिसमें सभी आरोपी भी शामिल हैं. याचिका में मांग की गई है कि सरकारी आदेश को रद्द किया जाए. पीड़ित परिवार के मुताबिक ह्त्या जैसे गंभीर मामले में मुकदमा वापस लेना क़ानून का दुरुपयोग है. भविष्य के लिए बेहतर नजीर नहीं है. इसके अलावा परिवार ने ट्रायल कोर्ट में भी अपनी आपत्ति दर्ज की है. 18 आरोपी इस मामले में जमानत पर बाहर हैं, इसमें तीन नाबालिग भी हैं.
10 साल बाद इन्साफ की आस लगाए परिवार अब मुकदमे को कोर्ट में रखने की जद्दोजहद कर रहा ह. अब हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला लेगा या पांच जनवरी को ही पता चलेगा. लेकिन एकाएक यह चर्चित मामला फिर से सुर्ख़ियों में आ गया है.
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Source: IOCL
























