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UP News: नए संसद भवन में रखे गए सेंगोल को लेकर गरमाई सियासत, मोदी सरकार पर लगे आरोप, जानें- पूरा मामला

New Parliament Building Sengol Issue: केंद्र की मोदी सरकार ने सेंगोल को प्रयागराज में नेहरू गांधी परिवार के जिस पैतृक आवास आनंद भवन में रखे जाने का दावा किया था, उसे आनंद भवन ने पूरी तरह नकार दिया है.

UP News: आजादी के वक्त अंग्रेजों द्वारा देश में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को दी गई सेंगोल को लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. विवादों की इस फेहरिस्त में एक नया चैप्टर जुड़ गया है. मोदी सरकार ने सेंगोल को प्रयागराज में नेहरू गांधी परिवार के जिस पैतृक आवास आनंद भवन में रखे जाने का दावा किया था, उसे आनंद भवन ने पूरी तरह नकार दिया है. नेहरू-गांधी परिवार के पैतृक आवास आनंद भवन के जिम्मेदार लोगों का साफ तौर पर कहना है कि सेंगोल कभी ना तो यहां रखा गया और ना ही इसे यहां लाया गया. सेंगोल को लेकर आनंद भवन में ना तो कोई डाक्यूमेंट्स मौजूद हैं और ना ही किसी किताब में इसका जिक्र है.

'आनंद भवन में सेंगोल के पुख्ता प्रमाण दे केंद्र सरकार'
आनंद भवन से करीबी रिश्ता रखने वाले कांग्रेस नेताओं का तो साफ तौर पर आरोप है कि सेंगोल के बहाने मोदी सरकार एक बार फिर से नेहरू गांधी परिवार पर गलत आरोप लगाते हुए उसे कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही है. सरकार अगर यह दावा कर रही है कि सेंगोल कभी आनंद भवन में रखा गया था तो उसे उसका पुख्ता प्रमाण सार्वजनिक करना चाहिए. सरकार सिर्फ वोट बैंक की लालच में सेंगोल को आनंद भवन में रखे जाने का प्रपोगंडा कर रही है. यूपी कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता किशोर वार्ष्णेय ने सैंगोल को आनंद भवन में रखे जाने के दावे को नेहरू गांधी परिवार को बदनाम करने की साजिश करार दिया है. उनका कहना है कि तोहफे में मिली गोल्डन स्टिक को पहले राजदंड बताना और फिर उसे आनंद भवन में रखे जाने का दावा करना पूरी तरह से सरासर गलत है.

मोतीलाल नेहरू ने महज 20 हजार में खरीदा था आनंद भवन
गौरतलब है कि प्रयागराज का आनंद भवन नेहरू गांधी परिवार का पैतृक आवास है. शहर के बालसन चौराहे के पास स्थित इस जगह को 1855 में ब्रिटिश हुकूमत ने शेख फैयाज अली को पट्टे पर दिया था. उन्होंने यहां बंगला बनवाया था. उसके बाद यह कई बार खरीदा और बेचा गया. 7 अगस्त 1899 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने 19 बीघे में बने इस बंगले को महज 20 हजार रूपए में खरीदा था. मोतीलाल नेहरू ने जिस वक्त यह बंगला खरीदा था, उस वक्त जवाहरलाल नेहरू की उम्र 10 साल थी. पंडित नेहरू के 10 साल के बाद के जीवन का लंबा अरसा इसी बंगले में बीता. 

कभी कांग्रेस पार्टी का दफ्तर हुआ करता था आनंद भवन
 यहीं पंडित नेहरू का उपनयन संस्कार हुआ. इसी आनंद भवन में इंदिरा गांधी का जन्म हुआ. फिरोज गांधी के साथ उनकी शादी हुई. 1927 में आनंद भवन से सटी हुई एक और बिल्डिंग खरीद कर उसे इसमें मिला लिया गया. आनंद भवन किसी वक्त कांग्रेस पार्टी का दफ्तर भी हुआ करता था. इसके अलावा देश में स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बिंदु प्रयागराज का यह आनंद भवन ही रहता था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने जीवन काल में जब भी प्रयागराज आते थे इसी आनंद भवन की पहली मंजिल पर रुकते थे. 

नेहरू के निधन के बाद म्यूजियम में तब्दील हो गया आनंद भवन
पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद आनंद भवन परिसर जवाहरलाल नेहरू स्मारक ट्रस्ट को सौंप दिया गया. बंगले की मालकिन और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे ट्रस्ट के जरिए देश की धरोहर के तौर पर स्थापित करने का फैसला किया था और आनंद भवन को ट्रस्ट को समर्पित कर दिया था. 1971 में जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट ने यहां एक म्यूजियम की स्थापना कर दी. इस म्यूजियम में नेहरू गांधी परिवार से जुड़े हुए सामानों को रखा गया है. पंडित मोतीलाल नेहरू से लेकर जवाहरलाल नेहरू के कपड़ों, उनके फर्नीचर, बिस्तर, किताबों व अन्य दस्तावेजों के साथ ही तमाम दुर्लभ तस्वीरों को भी लगाया गया. आनंद भवन म्यूजियम में सिर्फ नेहरू गांधी परिवार से जुड़े हुए सामानों को ही जगह दी गई. यह सामान भी ज्यादातर नेहरू गांधी परिवार के सदस्यों के व्यक्तिगत ही थे.

आजादी के समय के हैं म्यूजियम में रखे सभी सामान
पंडित नेहरू को देश विदेश से मिले ज्यादातर तोहफे वा दूसरे कीमती सामान इलाहाबाद म्यूजियम में पहले ही रखे जा चुके थे. आनंद भवन म्यूजियम में लंदन में बने पंडित नेहरू के पहले ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ही जेल से इंदिरा गांधी को लिखे गए उनके पत्र, कई किताबें और साथ ही इंदिरा गांधी की फिरोज गांधी के साथ शादी के कार्ड को भी रखा गया है। मोतीलाल नेहरू ने अपने बेटे जवाहरलाल के उपनयन संस्कार का जो आमंत्रण कार्ड हिंदी अंग्रेजी और उर्दू में एक साथ छपवाया था, उसकी भी एक कॉपी यहां पर रखी हुई है। मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भी तमाम दुर्लभ तस्वीरें यहां पर लगाई गई हैं. नेहरू गांधी परिवार की फैमिली ट्री का चार्ट भी यहां पर रखा गया है. आनंद भवन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ खालिद अंसारी के मुताबिक इस म्यूजियम में ज्यादातर 100 साल पुरानी चीजें ही हैं. इसके अलावा यहां रखे गए सारे सामान देश की आजादी से पहले के हैं. आजादी के दौरान या उसके बाद की कोई भी वस्तु यहां नहीं रखी गई है.

 आनंद भवन संगम नगरी प्रयागरज के प्रमुख पर्यटक व ऐतिहासिक स्थलों में एक है. आनंद भवन को देखने के लिए रोजाना बहुत बड़ी संख्या में देश दनिया से लोग आते हैं. आनंद भवन के एक हिस्से में प्लैनेटेरियम यानी तारामंडल भी है. पीछे के हिस्से में कैंसर इंस्टिट्यूट व हॉस्पिटल है. इसके अलावा बगल के हिस्से में स्वराज भवन के नाम से अब भी नेहरू-गांधी परिवार का पैतृक आवास है. नेहरू गांधी परिवार के सदस्य आनंद भवन के दूसरे हिस्से स्वराज भवन में अब भी ठहरते हैं. आनंद भवन के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर खालिद अंसारी का कहना है कि तमाम दर्शक इसे नेहरू गांधी परिवार के पैतृक आवास नहीं बल्कि देश प्रेम की भावना को जागृत करने वाले आस्था स्थल के तौर पर देखते हैं.

सेंगोल विवाद के बाद फिर से चर्चाओं में आनंद भवन
सेंगोल विवाद के बाद आनंद भवन एक बार फिर से चर्चाओं के केंद्र बिंदु में है. केंद्र सरकार का दावा है कि सेंगोल पहले आनंद भवन और उसके बाद इलाहाबाद म्यूजियम में रखा गया था, जबकि आनंद भवन के जिम्मेदार लोग इससे साफ तौर पर इंकार कर रहे हैं.

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