मसूरी वन प्रभाग के सीमा स्तंभ रहस्यमय तरीके से गायब, हाईकोर्ट ने केंद्र और CBI से मांगा जवाब
Mussoorie News: अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मसूरी जैसे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में 7,375 वन सीमा स्तंभों का गायब होना किसी सामान्य प्रशासनिक चूक का मामला नहीं हो सकता.

उत्तराखंड में मसूरी वन प्रभाग से हजारों वन सीमा स्तंभों के रहस्यमय ढंग से गायब होने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस प्रकरण को गंभीर मानते हुए सीबीआई, केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (MoEF&CC) और उत्तराखंड सरकार के वन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मसूरी जैसे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में 7,375 वन सीमा स्तंभों का गायब होना किसी सामान्य प्रशासनिक चूक का मामला नहीं हो सकता. कोर्ट के अनुसार, यह विषय न केवल वन संरक्षण बल्कि पर्यावरण संतुलन और कानून-व्यवस्था से भी सीधे तौर पर जुड़ा है. याचिका में आशंका जताई गई है कि इसके पीछे वन अधिकारियों, प्रभावशाली लोगों और भूमि माफियाओं की संभावित मिलीभगत हो सकती है, जिसके कारण वन भूमि पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण को बढ़ावा मिला.
अतिक्रमण रोकना हुआ मुश्किल
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि मसूरी और रायपुर रेंज सहित कई महत्वपूर्ण वन क्षेत्रों से सीमा स्तंभ हटने की बात स्वयं विभागीय रिकॉर्ड में स्वीकार की गई है. सीमा स्तंभों के अभाव में वन भूमि की पहचान धुंधली हो गई है, जिससे अतिक्रमण रोकना मुश्किल हो गया है. इसके चलते भूस्खलन, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ा है और कई स्थानों पर सड़कों व संपर्क मार्गों को नुकसान पहुंचा है.
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि वन विभाग की वर्किंग प्लान शाखा ने पहले ही पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की थी, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. इसके विपरीत, एक कनिष्ठ अधिकारी से पुनः परीक्षण कराने का प्रयास किया गया, जिसे याचिकाकर्ता ने मामले को दबाने और जिम्मेदार लोगों को बचाने की कोशिश बताया है,
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों पर मांगी जानकारी
हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिए हैं कि वह इस पूरे प्रकरण में आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जन के पहलुओं की जांच पर अपना पक्ष रखे. वहीं, केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से वन संरक्षण अधिनियम के तहत उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी गई है. अदालत ने स्पष्ट किया कि वन सीमा स्तंभों का गायब होना एक गंभीर पर्यावरणीय संकट है, जिसकी जिम्मेदारी तय करना आवश्यक है. इसके साथ ही कोर्ट ने वन भूमि के पुनः सीमांकन, डिजिटलीकरण और वन भूमि को राजस्व विभाग से वन विभाग को सौंपने सहित पारिस्थितिक पुनर्स्थापन योजना पर भी संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है.
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