Muharram 2025: मुहर्रम पर लखनऊ के हुसैनाबाद की शाही जरी होगी बेहद खास, दिखेगी बड़े इमामबाड़े की झलक
Lucknow News: मोहर्रम की शुरुआत पर ऐतिहासिक जरी इस बार एक नई और बेहद खास झलक लेकर आएगी. मुहर्रम पर हुसैनाबाद से उठने वाली शाही ज़री में इस बार ‘बड़े इमामबाड़े’ की शान नजर आएगी.

Muharram 2025 Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी और नवाबों के शहर लखनऊ में मुहर्रम की तैयारियां शुरू हो गई है. इस बार मुहर्रम पर हुसैनाबाद की शाही जरी को बेहद ख़ास बनाया जा रहा है. इस बार की शाही जरी में 'बड़े इमामबाड़े' की झलक देखने को मिलेगी. जिसे लखनऊ के कारीगर वसीम बना रहे हैं. वो दिन रात मेहनत कर इस ऐतिहासिक जरी को बनाने में लगे हुए हैं. इस बार की जरी कई मायनों में खास होने वाली है.
मोहर्रम की शुरुआत पर ऐतिहासिक जरी इस बार एक नई और बेहद खास झलक लेकर आएगी. मुहर्रम पर हुसैनाबाद से उठने वाली शाही ज़री में इस बार ‘बड़े इमामबाड़े’ की शान नजर आएगी. ये एक ऐसा दृश्य होगा जो कला, अकीदत और लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब का बेहतरीन उदाहरण होगा. जिसकी कारीगरी देखते ही बन रही है.
बड़े इमामबाड़े की दिखेगी झलक
हुसैनाबाद से उठने वाली मुहर्रम की जरी इस बार 17 फीट लंबी होगी, जिसका वजन लगभग 50 किलो तक होगी. इस जरी में बड़े इमामबाड़े की स्थापत्य छवि को दर्शाया जाएगा. जबकि मॉम वाली ज़री 22 फ़ीट की तैयार की जा रही है. इस जरी का वजन लगभग 10 क्विंटल तक होगा. इसे बनाने की कारीगर दिन रात काम कर रहे हैं. इस पर हो रही कारीगरी को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितनी भव्य होगी.
इस ऐतिहासिक जरी बनाने वाले कारीगर वसीम ने बताया कि हमारा परिवार सालों से ये काम करता आ रहा है. उनके पिताजी भी हर बार मुहर्रम पर जरी बनाने का काम करते थे और उनके जाने के बाद अब वो अपने परिवार की परंपरा निभा रहे हैं. वसीम ने बताया कि इस बार की जरी 17 फीट लंबी होगी. इसका वजन पचास किलोग्राम तक होगा. उन्होंने कहा कि इस जरी बांस की लकड़ियों, चमकीले कागज को मिलाकर बनाया जाता. इसे सादे कागज से मजबूती दी जाती है.
वसीम ने कहा कि एक अच्छी जरी बनाने में कम से कम तीन महीने का समय लगता हैं. अगर सही समय पर इसे बनाने के लिए कहा जाए तो इसे बेहद सुंदर बनाया जा सकता है.
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