(Source: ECI | ABP NEWS)
महोबा का भट्टीबाबा ताजिया: जहां लंगर बांटा नहीं, लुटाया जाता है; अनोखी परंपरा में उमड़ती भीड़
Mahoba News: भटीपुरा की गलियों और इमाम चौकों पर जैसे ही ताजिया पहुंचता है, श्रद्धालु अपनी-अपनी छतों से लंगर लुटाना शुरू कर देते हैं. इसमें चिप्स और कोल्डड्रिंक भी शामिल रहते हैं.

UP News: महोबा जनपद की ताजियादारी अपनी अलग पहचान रखती है, लेकिन शहर के भटीपुरा मोहल्ले में निकलने वाला भट्टीबाबा ताजिया न सिर्फ धार्मिक आस्था बल्कि अनोखी परंपराओं के लिए भी जाना जाता है. मोहर्रम की 10 तारीख को दोपहर दो बजे निकाले जाने वाला यह ताजिया गश्त जिले ही नहीं बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में विशेष महत्व रखता है.
इस ताजिया गश्त की सबसे खास और भीड़ आकर्षित करने वाली परंपरा है. अनोखा लंगर जिसे बांटा नहीं जाता बल्कि लुटाया जाता है. भटीपुरा की गलियों और इमाम चौकों पर जैसे ही ताजिया पहुंचता है, श्रद्धालु अपनी-अपनी छतों से लंगर लुटाना शुरू कर देते हैं. छतों से नीचे गिराए जाने वाले इस लंगर में नारियल, बर्तन, लड्डू, नमकीन, बिस्किट, चिप्स और यहां तक कि कोल्डड्रिंक की बोतलें तक शामिल होती हैं. जैसे ही लंगर लुटाया जाने लगता है, हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उसे पाने के लिए दौड़ पड़ती है. बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और युवा हर कोई इस लंगड़ को पाने की कोशिश में जुट जाता है.
चोटों की भी परवाह नहीं करते लोग
इस दौरान हल्की फुल्की चोटें भी लगती हैं लेकिन लोगों की आस्था और उत्साह में कोई कमी नहीं आती. इस पूरे आयोजन का नजारा अद्भुत होता है. न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि आसपास के गांवों और जिलों से भी श्रद्धालु इसे देखने और हिस्सा लेने पहुंचते हैं.
पांच सौ साल पुरानी है परम्परा
मोहल्ले में मौजूद इमामबाड़ा के सरपरस्त मुन्ना वकील खानसाहब बताते हैं कि यह परंपरा पांच सौ साल से भी पुरानी है, जिसे उनके पूर्वजों ने शुरू किया था और अब अगली पीढ़ियां उसे पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ निभा रही हैं.
भट्टीबाबा का ताजिया गश्त समाप्त होते ही शहर की तमाम ताजियों के जुलूस निकलते हैं, जिनकी सरपरस्ती में भट्टीबाबा का ताजिया सबसे पीछे रखा जाता है. यह जुलूस पूरी रात गमगीन माहौल में चलता है.
यह अनोखा लंगर और गश्त केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और जनसहभागिता का जीवंत प्रतीक बन चुका है.
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