कुशीनगर में 8 साल के मासूम को स्कूल में बंद करने के मामले में कार्रवाई, 3 शिक्षक और शिक्षामित्र निलंबित
Kushinagar News: बीएसए ने कहा कि शिक्षकों की इस लापरवाही की वजह से स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला मासूम बच्चा कमरे में बंद रह गया. 18 घंटे बाद बच्चे को बाहर निकाला जा सका.

यूपी के कुशीनगर में प्राथमिक विद्यालय हफुआं में सोमवार को अध्यापकों की लापरवाही से 18 घंटे तक बंद रह गये छात्र के मामले में बीएसए ने बड़ी कार्रवाई की है. बीएसए ने स्कूल के 3 शिक्षक और शिक्षामित्र निलंबित कर दिए हैं. इससे पहले प्रथम दृष्टया लापरवाही मानते हुए रसोइये पर भी कार्रवाई की गई थी.
बीएसई की इस कार्रवाई के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. इस पूरे मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी राम जियावन मौर्य ने कहा है कि शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह सभी बच्चों को स्कूल से भेजने के बाद कमरों को देखने के बाद ही ताला बंद करें लेकिन, उन्होंने अपने दायित्वों के प्रति लापरवाही दिखाते हुए शिक्षक बिना विद्यालय के कमरों को चेक किए ही ताला बंद कर निकल गए.
18 घंटे स्कूल में बंद रहा मासूम
बीएसए ने कहा कि शिक्षकों की इस लापरवाही की वजह से स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला मासूम बच्चा कमरे में बंद रह गया. 18 घंटे बाद बच्चे को बाहर निकाला जा सका. इस घटना का वीडियो भी वायरल हो गया था. जिसके बाद बीएसए ने जांच कमेटी का गठन किया था.
जांच के दौरान शिक्षक अपनी बातों से अधिकारियों को गुमराह करते रहे और कोई माकूल जवाब नहीं दे सके. उसके बाद जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बीएसए को सौंपी. जांच रिपोर्ट के आधार पर बीएसए ने विद्यालय के सहायक अध्यापक योगेंद्र शुक्ल, नन्द जी यादव और श्रीराम को निलंबित कर दिया और शिक्षामित्र श्रीमती आशा का वेतन रोक दिया है.
रोने की आवाज सुनकर खोला कमरा
ये मामला सेवरहीं विकास खण्ड के प्राथमिक विद्यालय हफुआं चतुर्भुज का है. 8 साल का छात्र आयुष क्लास में सो गया था. छुट्टी के वक्त भी बच्चा सोता रहा और स्कूल स्टाफ बच्चे को छोड़कर स्कूल में ताला जड़कर घर चले गए थे. बच्चा जब घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने उसकी तलाश की लेकिन, उसका कोई पता नहीं चल सका.
अगले दिन सुबह मंगलवार को बगल के मंदिर में पूजा करने गये लोगों को स्कूल के कमरे से बच्चे के रोने की आवाज आई, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ. परिजनों से स्कूल की खिड़की से ही बच्चे को खाने पीने का सामान दिया. इसके बाद ग्राम प्रधान ने स्कूल खोलकर बच्चे को बाहर निकाला.
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Source: IOCL






















