Kushinagar News: यूपी में एक साल में तीन बार बनी सड़क, PWD पर लगा सरकारी धन का दुरुपयोग करने का आरोप
UP News: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में एक साल मे तीन बार सड़क को बनाया गया. यहां सड़क निर्माण से संबधित बजट का कोई बोर्ड भी नहीं लगाया गया है. हर कोई लोक निर्माण विभाग के कारनामे से अचंभित है.
Kushinagar News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां ग्रामीण क्षेत्रों में आमजन के आवागमन को सुगम बनाने के उद्देश्य से सड़कों के निर्माण के लिये भारी भरकम बजट दे रही है तो वहीं कुछ अधिकारी आपसी मिलीभगत कर बजट में मिले पैसे को लूटने में लगे है. यूं कहें कि सरकारी धन को खपाने का नया तरीका इजात किया है. कुशीनगर में एक सड़क को साल में तीन बार बनाया गया. लोकनिर्माण विभाग की इस दरियादिली पर इस सड़क से होकर गुजरने वाले राहगीर भी विभाग के इस कारनामे से अचंभित है.
यह मामला यूपी के कुशीनगर का हैं. जहां एक NH28B से जुड़ी सड़क की हालत बदतर होते जा रही हैं. कई बार इस सड़क को लेकर टेंडर पास हुए पर अभी तक इसमें कोई सुधार देखने को नहीं मिला. 4 किलोमीटर लंबी इस सड़क को 1 साल के भीतर ही 3 बार बनाने और उजाड़ने का श्रेय लोकनिर्माण विभाग के प्रांतीय खण्ड को प्राप्त हुआ है. वहीं लोगो का कहना है कि टूटी सड़को के मरम्मत के लिये सालों साल गुहार लगाने के बावजूद बजट का रोना रोने वाला लोकनिर्माण विभाग एक ही सड़क का किस प्रावधान से तीसरी बार फिर से क्यों बन रहा है.
एक साल में तीन बार बनी सड़क
यह सड़क पूर्व में 3.5 मीटर चौड़ाई में थी. जिसके दोनों किनारों को पत्थर से पक्का करते हुए 1करोड़ 46 लाख के बजट से 5.5 मीटर चौड़ा कर इंटरलॉकिंग का कार्य कराया गया. पुनः 60 लाख की लागत से इसी सड़क का नवीनीकरण किया गया और अब 12 करोड़ 25 लाख की लागत से सड़क को 7 मीटर चौड़ा करने का बजट पास कर आनन फानन में 6 माह पूर्व कराये इंटरलॉकिंग को उखाड़ कर सड़क बनाया जा रहा है. हालांकि विभाग सड़क की एक तरफ की पटरी के इंटरलॉकिंग को उखाड़ने का आरोप जलनिगम विभाग पर लगा कर अपनी कमी छुपा रहा हो लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि सड़क की दूसरी तरफ लगी पटरी के इंटरलॉकिंग को कौन उखाड़ रहा है.
बजट से सम्बंधित कोई बोर्ड नहीं
शासन के गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी सड़क के निर्माण के 2 साल के अंदर किसी भी प्रकार का पुनर्निमाण नही कराया जा सकता हैं. बावजूद इसके इस सड़क का तीसरी बार कार्य शुरू किया गया है. साथ ही कार्य के गुपचुप तरीके से कराने के अंदाज से भी आप समझ सकते है कि कही ना कही विभाग इस कार्य को जल्दबाजी में निपटाना चाहता है. 4 किमी० के इस सड़क के दोनों छोरो पर कही भी कार्य और बजट से सम्बंधित कोई बोर्ड नही लगाया गया है. जो कार्य शुरू करते समय विभाग का अनिवार्य शर्त होता है कि कार्य का डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए.
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