क्लिक कर जानें- पिछले पांच सालों में कहां पहुचा कानपुर, बंद पड़ी मिलों पर कौन लेगा फैसला
कानपुर के लोगों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा विकास ही है। व्यापारी और आम लोगों का मानना है कि शहर में उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा तो रोजगार जैसी कई समस्याओं को बड़ी आसानी से हल किया जा सकता है।

कानपुर, एबीपी गंगा: 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर में मोदी लहर थी। ऐसे में कानपुर लोकसभा सीट पर भी लहर का असर असर दिखा और यहां बीजेपी ने अपना परचम लहराया। औद्योगिक शहर के लोगों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा विकास ही है। व्यापारी और आम लोगों का मानना है कि शहर में उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा तो रोजगार जैसी कई समस्याओं को बड़ी आसानी से हल किया जा सकता है।
जाते-जाते कर गए काम
बीते पांच वर्षों में यहां के बीजेपी सांसद मुरली मनोहर जोशी पर काम न करने और क्षेत्र में न आने के आरोप लगे, लेकिन जानकारों की मानें तो बतौर सांसद ये कद्दावर नेता अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में कानपुर को कुछ ऐसे प्रोजक्ट दिला गए हैं जो शहर के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगे। मसलन कानपुर मेट्रो के संसोधित प्रोजक्ट की केन्द्रीय कैबिनेट से स्वीकृति और कानपुर एयरपोर्ट पर नए टर्मिनल का निर्माण।
सुधर गई बिजली व्यवस्था
2015-16 में केन्द्र सरकार ने शहरीय बिजली के तहत प्रोजेक्ट स्वीकृत किया। 2017 से इस प्रोजेक्ट में तेजी आई। पुराने शहर में बिजली घर 6.6 केवीए का था उसे 11 केवीए का किया गया, जिससे शहर की बिजली समस्या सुधरी और यहां पर लोगों को बिजली की किल्लत से छुटकारा मिला।
कब चालू होंगी बंद मिलें
मौसम चुनाव का हो तो जनता के सामने सभी सियासी दलों के नेता वादों की झड़ी लगा देते हैं। कानपुर में बंद पड़ी मिलों को चालू करवाना हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है लेकिन इस पर ठोस कदम कभी नहीं उठाए गए। लाल इमली आज तक चालू नहीं हुई और अब इसके चालू होने की संभावना भी खत्म हो गई है। मजदूर नेता आशीष पाण्डेय का कहना है कि पिछले पांच सालों में लाल इमली में काम करने वाले 41 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें से कई ने बदहाली से तंग आकर खुदखुशी की है। वही, अब तो हालात और बिगड़ गए हैं, बीते 20 माह से कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिला है।
यहां भी बदली सूरत
गैरतलब है कि, बीते 30 सालों में कानपुर में एयरपोर्ट कई बार बंद हुआ और कई बार चालू हुआ। उड़ान स्कीम के तहत जुलाई 2018 में कानपुर एयरपोर्ट से दिल्ली की उड़ान शुरू हुई। जिसके बाद कानपुर से मुम्बई, कोलकाता और बैंगलोर के लिये भी प्राइवेट एयर कम्पनियों से उड़ान शुरू की गई। पिछले पांच सालों में बड़े स्तर पर कार्य तो किए गए हैं लेकिन जमीनी स्तर पर अब भी कानपुर के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में नई सरकार के लिए कानपुर की मिलों को चालू करना बड़ी चुनौती है। अब देखना ये है कि आने वाले दिनों में सरकार किस तरह के कदम उठाती है जिससे आम लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव हो सके।
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