Kanpur Dehat: ढाई साल बाद मरकर जिंदा हुईं 95 साल की चंद्रावती, बोलीं- 'अधिकारियों ने मार दिया था'
UP News: कानपुर देहात में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है, 95 साल की चंद्रावती खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है लेकिन उनकी फरियाद नहीं सुनी जा रही है.
Kanpur Dehat News: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है. एक 95 साल की महिला मारने के बाद जिंदा हो गई और चीख चीख कर कहने लगी 'मैं जिंदा हूं'. दरअसल कानपुर देहात के सरवन खेड़ा ब्लॉक के नहोली गांव के रहने बलाई 95 साल की चंद्रावती पिछले ढाई साल पहले काल के गाल में समा गईं थी लेकिन चंद्रावती ढाई साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है.
उम्र के इस पड़ाव पर चंद्रावती इस आस में कुछ महीने रुकी रहीं की शायद विभागीय कोई खामी की वजह से उनकी पेंशन नहीं आ रही है लेकिन धीरे धीरे वक्त बीतता चला गया और उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर परिजनों की सहायता से शिकायत दर्ज की जिसके बाद जांच का सिलसिला शुरू हुआ और रिपोर्ट में पता चला की चंद्रावती अब जीवित ही नहीं है. जब इस बात की जानकारी परिवार वालों को हुई को सख्ते में आ गए और जिंदा बैठी चंद्रावती की मौत की खबर सुनकर परेशान हो गया.
पेंशन के साथ अन्य सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
जब ये बात चंद्रावती को पता चला की अब वो जिंदा ही नही है जिसके चलते उनकी पेंशन आना बंद हो गई है. उनके पैर के नीचे से जमीन खिसक गई . इस बात से अंजान चंद्रावती खुद के जिंदा होने की बात कहने लगी. रिपोर्ट के मुताबिक खंड विकास अधिकारी ने उन्हे अपनी रिपोर्ट में मृत घोषित कर रखा है जिसके चलते उन्हें मिलने वाली वृद्धा पेंशन और उन सभी जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना बंद हो गया है जिसकी वो हकदार थीं.
चंद्रावती के परिजनों ने अधिकारियों की चौखट पर खूब गुहार लगाई और खुद के जिंदा होने के प्रमाण भी दिए लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. न कोई सुनने वाला न कोई कहने वाला, वहीं चंद्रावती कानपुर देहात जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची और खुद को जिंदा करने की कोशिश में अधिकारियों से मिली. चंद्रावती की माने तो वो बहुत महीनों से कागजों में अपनी मौत को बदलकर जिंदा होने का प्रमाण चाहती है.
अधिकारियों ने कहा- करेंगे कार्रवाई
उपजिलाधिकारी अमित राठौर ने बताया कि इस मामले की जांच होगी और सभी तथ्यों पर जांच के बाद सही कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सवाल कई है आखिर एक जिंदा को मुर्दा क्यों कर दिया गया, आखिर सरकारी अफसरों की लापरवाही ने किसी की वजूद को और उसे मिलने वाली योजनों के लाभ से महरूम कर दिया.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई, 48 घंटे में दो रिश्वतखोर अधिकारी गिरफ्तार