जौनपुर: इलाहाबाद कोर्ट पहुंचा अटाला मस्जिद की दुकानों का मामला, जानें अदालत ने क्या कहा?
Prayagraj News: हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए इसे पब्लिक इंटरेस्ट से जुड़ा हुआ मामला माना. यह मामला अब जनहित याचिका के तौर पर सुना जाएगा.

यूपी के जौनपुर की अटाला मस्जिद परिसर में बनी 50 से ज्यादा दुकानों के ध्वस्तीकरण और नियंत्रण की मांग का मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है. इसको लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. वादी संतोष मिश्र की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार (15 दिसंबर) को सुनवाई हुई.
हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए इसे पब्लिक इंटरेस्ट से जुड़ा हुआ मामला माना. याचिका को पीआईएल यानी जनहित याचिका के तौर पर कायम करते हुए 19 दिसंबर को सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस कोर्ट को रेफर कर दिया है. यह मामला अब जनहित याचिका के तौर पर सुना जाएगा. जनहित याचिकाओं की सुनवाई के जस्टिस कोर्ट में होती है.
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में कहा गया है कि अटाला मस्जिद का विवादित परिसर ASI से संरक्षित है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) इसकी देखभाल करती है. याचिका में कहा गया है कि यहां अवैध रूप से 50 से ज्यादा दुकानेंं बना ली गई हैं. और यह दुकानें यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बनवाई हैं. इनका किराया भी वक्फ बोर्ड ही लेता है.
ASI की बिना मंजूरी के बनाई गईं दुकानें
याचिका में बताया गया कि यह दुकानें ASI से मंजूरी के बिना ही बनवाई गई हैं. ASI ने इस मामले में पीएमओ में हुई शिकायत के जवाब में में इस बात की जानकारी भी दी है कि उससे किसी तरह की मंजूरी नहीं ली गई है. ऐसे में यह दुकानें ASI संरक्षित परिसर में अतिक्रमण की तरह हैं. ASI ने अपने जवाब में विवादित परिसर को अटाला मस्जिद के साथ ही अटला देवी मंदिर भी बताया है. ASI ने कहा है कि यहां धार्मिक गतिविधि आयोजित हो रही है. पूरे परिसर में नि:शुल्क प्रवेश हो रहा है.
याचिका में दुकानों को ध्वस्त कराने की मांग
संतोष मिश्र की याचिका में हाईकोर्ट से इस बारे में गुहार लगाई गई है कि इन्हें तुरंत ध्वस्त किए जाने के आदेश जारी किए जाएं. बताया गया कि दुकानों के आवंटन में भी भेदभाव किया गया है. बिना किसी नीलामी प्रक्रिया के ज्यादातर दुकानें एक वर्ग विशेष के लोगों को मनमाने तरीके से दी गई हैं. उन्होने कहा है कि जब तक दुकानें ध्वस्त नहीं हो जाती हैं, तब तक उनका किराया वक्फ बोर्ड के बजाय ASI को दिया जाए. दुकानें वक्फ बोर्ड के बजाय ASI द्वारा संचालित होनी चाहिए.
जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने की सुनवाई
मामले की सुनवाई कोर्ट नंबर 4 में जस्टिस अजीत कुमार और जस्टिस स्वरूपमा चतुर्वेदी की डिवीजन बेंच में हुई. याचिका में यूनियन ऑफ इंडिया, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जौनपुर के डीएम और एसपी को पक्षकार बनाया गया. सुनवाई दोपहर करीब 2 बजे हुई है.यह मामला दूसरी कोर्ट से ट्रांसफर होकर इस डिवीजन बेंच में सुनवाई के लिए आया है.
स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष ने किया था दावा
गौरतलब है कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्र ने ही पिछले साल जौनपुर जिला कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर यह दावा किया था कि जौनपुर की अटाला मस्जिद को मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. जिस जगह मस्जिद है, वहां पहले अटला देवी का मंदिर था. इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने कराया था.
कुछ दशक बाद ही फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर कब्जा करने के बाद मंदिर को मस्जिद में तब्दील कर दिया था. संतोष मिश्र द्वारा जौनपुर जिला कोर्ट में दाखिल मुकदमे में विवादित जगह पर हिंदुओं को पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई है. इस मामले में सोमवार (15 दिसंबर) को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. मस्जिद कमेटी इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट गई है.
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Source: IOCL






















