जर्मनी की जूलिया जालौन के दीपेश पर हार बैठी अपना दिल, अग्नि को साक्षी मानकर लिए 7 फेरे
UP News: जर्मनी की रहने वाली जूलिया ने उत्तर प्रदेश के जालौन में रहने वाले दीपेश के साथ शादी रचाई है. दीपेश की जॉब के दौरान जूलिया से मुलाकात हुई और ये मुलाकात प्यार फिर रिश्ते में बदल गई.

Jalaun News: प्यार की कोई सीमा नहीं होती, ये बात जर्मनी (Germany) की रहने वाली जूलिया ने साबित कर दी है. एक छोटी सी मुलाकात दोस्ती के बाद प्यार में बदली और फिर जालौन के रहने वाले दीपेश के साथ हिंदू रीति-रिवाज के साथ 7 फेरे ले लिए और उसे अपनी जिंदगी का हमसफर बना लिया. होली से ठीक एक दिन पहले जूलिया ने अपने विदेशी मेहमानों के साथ आकर यहां दीपेश संग शादी रचा ली.
दरअसल, जालौन के जिला मुख्यालय उरई से मात्र 10 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम कपासी निवासी मानवेन्द्र सिंह पटेल मनरेगा में संविदा पर टीए हैं. जिनकी पोस्टिंग जालौन में है. दीपेश पटेल, मानवेन्द सिंह बहू के इकलौते सुपुत्र है. उन्होने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. दीपेश के पिता मानवेन्द्र सिंह ने बताया कि बीएचयू से डिग्री प्राप्त करने के बाद दीपेश वियतनाम चले गये. वहां उन्होने एक साल तक पढ़ाया और उसके बाद इण्डोनेशिया तथा यूएसए में भी रहे, लेकिन करीब ढाई साल से वह जर्मनी में रह रहे है.
जॉब के दौरान हुई थी जूलिया से मुलाकात
वहीं, दीपेश पटेल ने बताया कि जर्मनी में ही जॉब के दौरान उसकी मुलाकात जूलिया से हुई और फिर दोस्ती से शुरु हुआ सफर प्यार में बदल गया और अब जूलिया को जीवनसंगिनी बना लिया है. इसके बारे में अपने माता पिता को पहले ही जानकारी दे दी थी. उन्होंने भी अपनी सहमति जताई तो फिर शादी की तैयारियां शुरू हुई और अब प्यार को मंजिल मिल ही गई.

जूलिया के साथ मेहमानों को भा गया देशी कल्चर
जूलिया अपने 10 मेहमानों के साथ भारत आई और यहां आकर उसे देश की संस्कृति और यहां के रीति-रिवाजों से रुबरु होने का मौका मिला. इस शादी को यादगार बनाने के लिए दीपेश के परिवार ने सनातनी परंपराओं के मुताबिक शादी की संपन्न कराया. दीपेश की मां क्रांति भी बेटे की शादी से बेहद खुश हैं. 12 मार्च को दोनों ने अग्नि को साक्षी मानते हुए दांपत्य जीवन में प्रवेश किया. इस दौरान विदेशों मेहमानों ने यहां की संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ माना.

यह विवाह भारतीय और विदेशी संस्कृति का अनोखा संगम रहा. यह विवाह के हर किसी के लिए खास था, क्योंकि एक ही मंडप के नीचे यहां की पवित्रता और आध्यात्मिकता का माहौल बन चुका था. शादी में शामिल मेहमानों विवाह के सारे संस्कार पूरे किए और उन्होंने नवविवाहितों को आशीर्वाद देते हुए उनके सुखमय जीवन की कामना की.
(प्रवीण द्विवेदी की रिपोर्ट)
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