Manmohan Singh Died: आईआईटी कानपुर से डॉ मनमोहन सिंह का रहा है कनेक्शन, मिला था ये खास सम्मान
Manmohan Singh Died: साल 2010 में बतौर पीएम मनमोहन सिंह जब कानपुर आईआईटी पहुंचे थे तो छात्रों से लेकर तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ वो बेहद सहज दिखाई दिए थे.

Manmohan Singh Died: देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. मनमोहन सिंह देश में उदारीकरण लाने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे. उनका उत्तर प्रदेश के कानपुर से भी खास कनेक्शन रहा हैं. साल 2010 वो बतौर प्रधानमंत्री कानपुर आईआईटी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे. इस दौरान आईआईटी में उन्हें मानद उपाधि से नवाजा गया था.
कानपुर आईआईटी देश की सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है. ये बात साल 2010 की है जब मनमोहन सिंह ने कानपुर आईआईटी के दीक्षांत समारोह में शिरकत की. जिसके बाद उन्हें यहां मानद उपाधि से नवाजा गया था. साल 2010 में आईआईटी ने अपना 42वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया था और ये भी पहली बार ही था कि देश के किसी प्रधान मंत्री ने कानपुर आईआईटी में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी और उस वक्त मनमोहन सिंह मानद उपाधि हासिल करने वाले पांचवें शख्स थे.
कानपुर आईआईटी के समारोह में हुए थे शामिल
जब बतौर पीएम मनमोहन सिंह आईआईटी पहुंचे थे तो छात्रों से लेकर वहां काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ वो बेहद सहज दिखाई दे रहे थे. उन्होंने छात्रों के साथ काफी समय बिताया और उनसे बात की. डॉ मनमोहन सिंह से जुड़ी यादें आज भी यहां के लोगों में ताजा है. इस दौरान उन्होंने कानपुर के लिए एक परियोजना का भी शुभारंभ किया था.

डॉ मनमोहन सिंह अपने सादगी के लिए जाने जाते थे. इससे पहले भी वो साल 1996 में कानपुर आए थे. इस दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव में कानपुर में कांग्रेस पार्टी के समर्थन में चुनाव प्रचार किया था. उनके शांत स्वभाव हर किसी का दिल जीत लेता था. उनसे मिलने वाला हर शख्स उनका मुरीद था क्योंकि उन्होंने बड़े बड़े पद पर रहने के बावजूद हमेशा सबके बीच सौम्यता का परिचय ही दिया.
आज भले ही वो दुनिया को अलविदा कर चुके हों लेकिन, देश के विकास में उनके योगदान को ये देश कभी नहीं भुला पाएगा. जब भी देश में उदारीकरण की चर्चा होगी तो उनका नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाएगा. कानपुर में जो भी लोग उन्हें मिले वो उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते हैं. उनका ओहदा और व्यक्तित्व सबके बीच में घुल जाता था.
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