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Gorakhpur: सीएम योगी आदित्यनाथ बोले, अयोध्या के राम मंदिर के लिए गोरक्षपीठ का समर्पण सभी के लिए प्रेरणा

CM Yogi in Gorakhpur: गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि के समापन कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षपीठ के योगदान का जिक्र किया.

CM Yogi Adityanath in Gorakhpur: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ (Mahant Digvijaynath) की 52वीं और गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में मिली सफलता से सभी वाकिफ हैं. उनके मार्गदर्शन में गृह मंत्री ने दृढ़ता से कश्मीर से धारा 370 को समाप्त किया. पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में प्रताड़ित हिंदुओं व सिखों को कानून बनाकर नागरिकता दी. कहा कि ये सब हमारे हैं. देश के बाहर संकट में फंसे भारतीयों का इस सरकार ने हाथ फैलाकर स्वागत किया. पहले की सरकारें ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं. 

अयोध्या और गोरखपुर में फर्क नहीं 

अयोध्‍या के श्रीराम मंदिर को लेकर गोरक्षपीठ के समर्पण को हर व्यक्ति जानता है. जब मैं अयोध्या में होता हूं, तो लगता ही नहीं कि गोरखपुर में नहीं हूं. 1947 में देश आजाद हुआ और 1949 में जन्मभूमि पर श्रीरामलला का प्रकटीकरण हो जाता है. उस दौरान वहां के मूर्धन्य संतों को गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का संरक्षण प्राप्त रहा है. परमहंसजी ने महंत दिग्विजयनाथ की ही प्रेरणा से श्रीरामलला के मुकदमें को आगे बढ़ाया. महंत दिग्विजयनाथ के अभियान को ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ विस्तारित करते रहे. गोरक्षपीठ और संतों के नेतृत्व में अयोध्या के लिए क्या-क्या संघर्ष नहीं करना पड़ा. किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि इसमें मुझे क्या मिलेगा. वास्तव में जब चारों ओर से एक आवाज निकलती है, तो संकल्प साकार होता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे मंदिर, अयोध्याधाम के विकास व यहां आयोजित होने वाले दीपोत्सव का भावनात्मक उल्लेख करते हुए कहा कि अब अयोध्या सप्तपुरियों में पहली पुरी बन गई है. वहां के दीपोत्सव में एक-एक संत की भावना परिलक्षित होती है. जो संत अब भौतिक शरीर में नहीं हैं, वह भी सूक्ष्म शरीर से इसे देखकर प्रसन्न होते हैं. इस दीपोत्सव की धूम सोशल मीडिया पर मचती है, भव्यता और दिव्यता देख सबके मुंह खुले रह जाते हैं. 

कुंभ का जिक्र

सीएम योगी ने अपने संबोधन में प्रयागराज के भव्य व दिव्य कुंभ के आयोजन का उल्लेख करते हुए कहा कि जितनी यूपी की आबादी है, उससे अधिक श्रद्धालु कुंभ में आए. अमूल्य धरोहर के रूप में प्रयागराज कुंभ को यूनेस्को से मान्यता मिली. सीएम ने कहा कि, आज यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदली है जबकि पहले कुछ शहरों में यूपी के नाम पर लोगों को कमरा नहीं मिलता था. उन्होंने कहा कि यूपीवासी प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण, काशी विश्वनाथ, गुरु गोरखनाथ, महात्मा बुद्ध, संतकबीर के प्रतिनिधि हैं और इस पर गर्व की अनुभूति करनी चाहिए.

महंत अवेद्यनाथ का उल्लेख 

मुख्यमंत्री ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्य स्मृति को नमन करते हुए कहा कि, ब्रह्मलीन महंतद्वय ने संपूर्ण धर्म व समाज के सामने मूल्यों व आदर्शों की स्थापना की. 50 वर्ष पूर्व जिसने भी गोरखपुर और गोरक्षपीठ को देख होगा उसे यह पता है कि आज यहां जो कुछ भी है वह उन्हीं गुरुजनों की प्रेरणा व आशीर्वाद से है. महंत दिग्विजयनाथ ने जो नींव रखी, महंत अवेद्यनाथ ने उसे भवन का रूप दिया. 21 जुलाई 1984 को गठित श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के आजीवन अध्यक्ष रहे राष्ट्रसंत गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि जिस श्राद्ध पक्ष में हम अपने पितरों को श्रद्धांजलि देकर उनके विराट व्यक्तित्व से प्रेरणा लेते हैं, महंतद्वय ने उसी पक्ष में अपना भौतिक शरीर छोड़ा. उनका व्यक्तित्व-कृतित्व आज भी हमारे लिए प्रेणास्रोत है. योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि ब्रह्मलीन महंतद्वय ने स्वतंत्रता संग्राम और देश के स्वतंत्र होने के बाद भी हरेक क्षेत्र में योगदान दिया. चाहे मंदिर के अंदर कुछ करने की बात हो या फिर मानबिन्दुओं की पुनर्स्थापना की. बिना थके, बिना रुके, बिना डिगे और बिना झुके उन्होंने पौराणिक और ऐतिहासिक सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए नवीनतम ज्ञान देने का कार्य किया. 

गोरक्षपीठ की भूमिका 

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरक्षपीठ ने अपने को सिर्फ उपासना विधि तक सीमित नहीं रखा. 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर 1945-46 में महिलाओं की शिक्षा के लिए कॉलेज खोला गया. 1956 में एमपी पॉलिटेक्निक के जरिए तकनीकी शिक्षा की शुरुआत की तो साठ के दशक में संस्कृत और आयुर्वेद के संस्थान के लिए कदम बढ़ाया. सीएम ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ का लंबा सानिध्य प्राप्त हुआ. उनकी प्रेरणा से यह पीठ पूरी प्रतिबद्धता से जनता की सेवा व सम्मान के लिए कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि जब तक आचार विचार में समन्वय नहीं होगा, कल्याण या सफलता संभव नहीं है. संतों के व्यक्तित्व से यही प्रेरणा मिलती है. 

आयुर्वेद और योगपीठ का जिक्र 

मुख्यमंत्री ने कहा कि साठ के दशक में ही गोरक्षपीठ ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ा दिया था. मूलतः यह पीठ योग पीठ है. आज कोरोनाकाल में पूरी दुनिया ने आयुष और योग की ताकत को पहचाना है. देश को पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहिए जिन्होंने आयुष और योग को वैश्विक मंच पर स्थापित किया है. उनके ही प्रयास से 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाने लगा है. उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग और आयुष काढ़ा के महत्व को पूरी दुनिया ने माना है. सीएम ने उनसे मिलने आए अमेरिका के एक व्यक्ति से हुई बातचीत का भी उल्लेख किया. बताया कि उक्त व्यक्ति के लिए जब पानी आय तो उन्होंने उसमें दो बूंद तुलसी अर्क मिलाया. पूछने पर उन्होंने कहा कि अमेरिका भी अब तुलसी की ताकत को पहचानता है. सीएम ने कहा कि कोरोनाकाल में न्यूयार्क में हल्दी का पानी पीने के लिए लाइन लगती है जबकि हमारे यहां ऐसा कोई भोजन नहीं जिसमें तुलसी का प्रयोग न होता हो. तुलसी का प्रयोग भारत के संस्कार में बसा है.

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