'छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए', संविधान पर RSS नेता के बयान पर BSP चीफ मायावती की प्रतिक्रिया
UP Politics: बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि देश के कई राज्यों में भाषा के नाम पर राजनीति ठीक नहीं है. सभी भाषाओं को सम्मान देना चाहिए.

UP News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के संविधान की प्रस्तावना पर दिए गए बयान पर सियासत तेज है. अब इस मामले में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. बसपा चीफ मायावती ने कहा कि समय समय पर संविधान में गैर जरूरी परिवर्तन किए गए हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की मूल भावना प्रस्तवान में दर्शया गया है, उसमें छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.
बसपा चीफ मायावती ने कहा कि दोनों पार्टियों के दिल में कुछ और और जुबान पर कुछ और होता है. मायावती ने कहा कि पार्टियों को अपने संकीर्ण विचार से ऊपर उठकर संविधान से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. मायावती ने कहा कि हमें भी अपनी आवाज को देशभर में उठाना पड़ेगा.
राज्यों में भाषा के नाम पर राजनीति ठीक नहीं है- मायावती
इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि देश के कई राज्यों में भाषा के नाम पर राजनीति ठीक नहीं है. सभी भाषाओं को सम्मान देना चाहिए. सरकार और पार्टियों में टकराव होना ठीक नहीं है. वहीं मायावती ने बिहार में वोटर लिस्ट वाले मामले पर कहा कि चुनाव आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए और पार्टियों को विश्वास में लेना चाहिए.
बीजेपी-कांग्रेस दोहरे चरित्र अपनाकर एक हो जाती हैं- मायावती
मायावती ने कहा कि बाबा साहब के संविधान पर कांग्रेस और बीजेपी ने अपना विश्वास नहीं जताया है. संविधान पर बीजेपी और कांग्रेस ने ठीक से अमल नहीं किया, पार्टी अपनी-अपनी पार्टी की विचारधारा अपनाती है. दोनों पार्टी दोहरे चरित्र अपनाकर एक हो जाती हैं, संविधान से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है. अगर ये संविधान विरोधी चेहरे को नहीं बदलेंगे तो हमें आना होगा. उन्होंने कहा कि बंगाल में हमारी महिला सुरक्षित नहीं हैं.
क्या बोले थे दत्तात्रेय होसबाले
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने 27 जून 2025 को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि ये शब्द 1975 के आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन के जरिए संविधान में शामिल किए गए थे और इन्हें कृत्रिम मानते हुए हटाने की आवश्यकता है.
Source: IOCL






















