संत रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण का जल्द रास्ता निकाले सरकार : मायावती
बसपा अध्यक्ष मायावती ने दिल्ली में संत रविदास मंदिर का पुनर्निर्माण कराए जाने की मांग की है।

लखनऊ, एबीपी गंगा। दिल्ली के तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर के तोड़े जाने का मामला गरमाया हुआ है। शुक्रवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मामले में सरकार के अपील की है। मायावती ने कहा कि सरकार दिल्ली के प्राचीन संत रविदास के मंदिर का पुनर्निर्माण के लिए जल्द कोई रास्ता निकाले।
मायावती ने ट्वीट कर कहा, 'महान संत रविदास के अपार अनुयाइयों से अपील है कि वे दिल्ली के तुगलकाबाद में गिराए गए इनके प्राचीन मन्दिर के पुनः निर्माण हेतु आक्रोशित होकर कानून को अपने हाथ में न लें। संत रविदास के अनुयाइयों को कानूनी व तथागत गौतम बुद्ध के मार्ग से ही चलकर अपने हितों को साधना है।'
1. महान संत रविदास जी के अपार अनुयाइयों से अपील है कि वे दिल्ली के तुगलकाबाद में गिराए गए इनके प्राचीन मन्दिर के पुनः निर्माण हेतु आक्रोशित होकर कानून को अपने हांथ में न लें। संत रविदास जी के अनुयाइयों को कानूनी व तथागत गौतम बुद्ध के मार्ग से ही चलकर अपने हितों को साधना है।
— Mayawati (@Mayawati) August 23, 2019
मायावती ने अपने अगले ट्वीट में कहा कि केन्द्र व दिल्ली सरकार से पुनः मांग है कि वे दोनों सरकारी खर्चे से सम्बंधित मन्दिर का पुनः निर्माण शीघ्र कराने के लिए बीच का कोई रास्ता अवश्य निकालें ताकि समुचित न्याय हो सके। स्मरण रहे कि यूपी में बीएसपी की सरकार ने संत रविदास जी के सम्मान में अनेकों ऐतिहासिक कार्य किए हैं।
2. केन्द्र व दिल्ली सरकार से पुनः माँग है कि वे दोनों सरकारी खर्चे से सम्बंधित मन्दिर का पुनः निर्माण शीघ्र कराने के लिए बीच का कोई रास्ता अवश्य निकालें ताकि समुचित न्याय हो सके। स्मरण रहे कि यूपी में बीएसपी की सरकार ने संत रविदास जी के सम्मान में अनेकों ऐतिहासिक कार्य किए हैं।
— Mayawati (@Mayawati) August 23, 2019
'हिंसा का बसपा से कोई लेना-देना नहीं' इससे पहले बुधवार को मंदिर तोड़े जाने के विरोध में तुगलाकाबाद में उपद्रवियों ने जमकर तोड़फोड़ की। तोड़फोड़ के आरोप मायावती की पार्टी बसपा के कार्यकर्ताओं पर लगे थे। मायावती ने इस पर अपनी सफाई दी है। मायावती ने इस घटना को अनुचित बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि बसपा संविधान और कानून का हमेशा सम्मान करती है और वह कानून के दायरे में रहकर ही संघर्ष करती है।
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