EXCLUSIVE: नए सत्र में समय से किताबें, बैग और जूते, मोज़े मिलना मुश्किल
आगामी सत्र में सूबे के 1 करोड़, 60 लाख से अधिक छात्र छात्राओं को समय से किताबें, स्कूल बैग, जूते- मोज़े मिलना मुश्किल हो चुका है। आगामी सत्र 1 अप्रैल से शुरू होगा।

लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। आगामी सत्र में सूबे के 1 करोड़, 60 लाख से अधिक छात्र छात्राओं को समय से किताबें, स्कूल बैग, जूते- मोज़े मिलना मुश्किल हो चुका है। आगामी सत्र 1 अप्रैल से शुरू होगा। लेकिन अभी तक न तो किताबों के टेंडर का विवाद सुलझा और न ही स्कूल बैग और जूते-मोज़े के टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई है। मुख्यमंत्री के प्राथमिकता में शामिल बेसिक शिक्षा विभाग के ये हालात सरकार की मंशा पर पानी फेरता नज़र आ रहा है।
किताबों के टेंडर की जांच अब तक नहीं हुई पूरी बेसिक शिक्षा विभाग में किताबों के टेंडर की फाइनेंसियल बिड 24 दिसंबर को खुलनी थी। शासन के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस बार की टेंडर प्रक्रिया में एक ऐसी विवादित फर्म बुर्दा ड्रक इंडिया को भी शामिल कर लिया गया जिसे बेसिक शिक्षा निदेशालय ने फर्जीवाड़ा करने और पूर्व में किताबों की लेट सप्लाई का जिम्मेदार पाते हुए 2 साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने की संस्तुति शासन से की थी। ABP गंगा ने इस खेल को उजागर किया तो बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने फाइनेंसियल बोद खोलने पर रोक लगते हुए 23 दिसंबर को मामले की जाँच के आदेश दिए। मामले की जाँच अपर मुख्य सचिव और महानिदेशक स्कूल शिक्षा को करनी है। लेकिन 1 महीने से ऊपर का समय बीत जाने के बावजूद भी जांच पूरी नहीं हुई।
स्कूल बैग और जूते मोज़े के टेंडर के भी पता नहीं इसके अलावा विभाग ने अभी तक स्कूल बैग और जूते मोज़े के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। सूत्रों की माने तो बेसिक शिक्षा निदेशालय इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज चुका है। शासनादेश जारी होने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। टेंडर प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब 3 हफ्ते का समय दिया जाता है निविदा डालने के लिए। इसके बाद टेंडर खुलना, शासन का अनुमोदन और फिर जिस फर्म को काम करना है उसके साथ एग्रीमेंट। इसके बाद फर्म को सप्लाई पूरी करने के लिए न्यूनतम 2 महीने का समय दिया जाता है। नया सत्र 1 अप्रैल से शुरू होना है जिसमे महज 2 महीने का समय बाकी है। ऐसे में हालात साफ समझे जा सकते हैं।
समय से देंगे किताबें, बैग, जूते मोज़े- डॉ. सतीश द्विवेदी: वहीँ बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी का कहना है की सभी छात्र छात्राओं को समय से किताबें भी मिलेंगी और स्कूल बैग व जूते मोज़े भी। डॉ. सतीश ने कहा को किताबों के टेंडर का मामला संज्ञान में आने के बाद जांच शुरू हुई थी जिससे किसी दागी फर्म को टेंडर में शामिल होने का मौका न मिले। जाँच लगभग पूरी होने को है।
एबीपी गंगा के सवालः- - जब निदेशक बेसिक शिक्षा ने 31 अक्टूबर 2019 को ही जाँच रिपोर्ट के साथ फर्म को ब्लैकलिस्ट करने का प्रस्ताव भेजा तो उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? - जब विभाग ने खुद ही ये पाया की फर्जी सर्टिफिकेट बनाया गया है तो दोषी फर्म पर कार्रवाई क्यों नहीं? - बेसिक शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद 1 महीने से अधिक बीतने के बाद भी जाँच पूरी करके दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं? - आखिर कौन चाहता है विवादित फर्म को बचाना? - डेढ़ करोड़ से अधिक छात्र छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले और सरकार की छवि ख़राब करने वालों पर कब होगी कार्रवाई?
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















