Bakra Eid 2025: सोशल मीडिया पर पोस्ट से लेकर पब्लिक प्लेस तक न करें ये काम, यूपी में बकरीद से पहले एडवाइजरी जारी
Bakra Eid 2025: बकरीद 2025 को लेकर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने एडवाइजरी जारी की है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि पब्लिक प्लेस पर कुर्बानी न की जाए.

Bakra Eid 2025: बकरीद से पहले उत्तर प्रदेश में मौलाना राशिद फिरंगी महली ने एडवाइजरी जारी की है. उन्होंने लोगों से कहा है कि वह कुर्बानी जरूर से जरूर करें लेकिन सोशल मीडिया पोस्ट और पब्लिक प्लेस पर कुर्बानी न की जाए.
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कुर्बानी जरूर से जरूर करें, इस बार 7, 8 और 9 जून को कुर्बानी की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कुर्बानी उन्ही जानवरो की जाए जिनपर कानूनी पाबंदी नहीं है. कुर्बानी के समय साफ सफाई का जरूर ध्यान दें.
महली ने कहा कि कुर्बानी पब्लिक प्लेस पर, गली और सड़क किनारे ना की जाए. कुर्बानी की फ़ोटो या वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर ना डाला जाए. इसके साथ ही महली ने अपील की है कि कुर्बानी के जानवर के खून को नाली में ना बहाया जाए और कुर्बानी के जानवर के अवशेष को खुले में ना फेंके.
बकरीद के नाम पर हिंसा, क्रूरता व अवैध गतिविधियों पर लगे विराम : डॉ सुरेंद्र जैन
इन सबके बीच विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने ईद उल अजहा पर की जाने वाली कुर्बानी को लेकर मुस्लिम समुदाय से अपील है कि वह भी संवेदनशीलता का परिचय दें और ईको-फ्रेंडली ईद मनाएं. डॉ. सुरेंद्र जैन ने शनिवार को बकरीद के नाम पर होने वाली हिंसा, क्रूरता व अवैध गतिविधियों पर विराम लगाने की मांग करते हुए कथित पर्यावरण प्रेमियों के साथ उसके पूरे ईको सिस्टम की इस मामले में चुप्पी पर भी गंभीर सवाल खड़े किए.
उन्होंने कहा कि दीपावली, होली आदि हिंदू त्योहारों पर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी हिंदुओं को सांकेतिक रूप में या इको फ्रेंडली होली, दीपावली मनाने की अपील करते हैं. कुछ जगह न्यायपालिका का एक वर्ग भी स्वतः संज्ञान लेकर उपदेशात्मक आदेश भी देता देखा गया है. किंतु, बकरीद पर होने वाली कुर्बानी को लेकर ये सभी कथित पर्यावरणविद चुप्पी क्यों साध लेते हैं.
जैन ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 48 पशुओं के संरक्षण और पालन की बात करता है. गुजरात, मुंबई, उत्तराखंड आदि कई उच्च न्यायालयों ने स्पष्ट रूप से सार्वजनिक स्थलों पर कुर्बानी को वर्जित भी किया है. इसलिए यह कहना कि यह उनका कानूनी और धार्मिक अधिकार है, यह पूर्ण रूप से गलत है.ईद आजकल कुर्बानी के नाम पर क्रूर हिंसा का खुला प्रदर्शन और वहां के सभ्य समाज को आतंकित करने का एक माध्यम भी बन गया है. बाकी सब धर्म की परंपराओं में मानवीय जीवन मूल्यों को ध्यान में रखकर सुधार किए गए हैं.
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