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असद अहमद के एनकाउंटर पर यूपी पुलिस की थ्योरी में कितना दम?

48 दिन तक यूपी एसटीएफ की 18 टीमें दिन रात सिर्फ एक शख्स को तलाश रही थी. वो शख्स था उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी और बाहुबली अतीक अहमद का बेटा असद अहमद. असद झांसी में एक एनकाउंटर के दौरान मारा गया है.

बाहुबली अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर किए जाने पर यूपी पुलिस ने दावा किया है अतीक को छुड़ाने की साजिश रची जा रही थी, इसलिए असद झांसी पहुंचा था. यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि असद गैंग के लोगों के साथ मिलकर अतीक के काफिले पर हमला करने की तैयारी में था. पुलिस को इसका इनपुट मिला, जिसके बाद एसटीएफ एक्टिव हुई.

गुरुवार को यूपी एसटीएफ ने एक मुठभेड़ में असद और अतीक गैंग के शूटर गुलाम मोहम्मद को मार गिराया था. हालांकि, यूपी पुलिस का यह दावा कितना सच है, यह मजिस्ट्रेट की जांच के बाद ही पता चलेगा. सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देश के मुताबिक एनकाउंटर के बाद एक मजिस्ट्रेट से मामले की जांच करानी होती है. 

साथ ही सवाल इस बात का है कि फरार अपराधी पुलिस की काफिले पर हमला करने का दुस्साहस कर सकता है? असद के एनकाउंटर पर विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है. एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मजहब को देखकर यूपी में एनकाउंटर हुआ है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है.

मुस्लिम फाउंडेशन के अध्यक्ष शोएब जमाई ने एबीपी ने कहा है कि अतीक के परिवार का एनकाउंटर होगा, ये चर्चा पहले से चल रही थी. असद की हत्या एक्स्ट्रा ज्यूडिशल कीलिंग की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. 

5 लाख के इनामी आरोपी असद हाल ही में प्रयागराज में बीजेपी नेता उमेश पाल की हत्या के बाद सुर्खियों में आया था. उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक ने असद को शेर बताया था. 

12वीं पास करने के बाद असद ने अतीक का कारोबार संभाला था. उमेश पाल की हत्या के बाद से ही असद पुलिस की रडार पर था. आइए इस स्टोरी में असद अहमद एनकाउंटर की पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं...

प्रयागराज से झांसी वाया बहराइच और भूटान सीमा
24 फरवरी को शूटर के साथ उमेश पाल की हत्या करने के बाद असद और उसके दोस्त लखनऊ के रास्ते बहराइच भाग गया. बहराइच यूपी के तराई इलाके में आता है और नेपाल बॉर्डर के समीप है. असद और गुड्डू मुस्लिम यहां पर एक होटल में भी ठहरा और अगले दिन फिर नेपाल की ओर भाग गया.

उमेश पाल हत्या के बाद जब सियासत गर्माई तो यूपी पुलिस ने एसटीएफ को कमान सौंप दी, जिसके बाद 18 टीमों का गठन किया गया. एसटीएफ ने असद और उससे जुड़े शूटरों का लोकेशन ट्रैस करना शुरू कर दिया. इसकी भनक लगते ही असद रोज सिम बदलने लगा.

असद और गुड्डू मुस्लिम भूटान की सीमा तक गया. यूपी एसटीएफ को असद और गुड्डू मुस्लिम के एक साथ होने का अंतिम लोकेशन भूटान सीमा पर ही मिला था. दोनों इसके बाद अलग हो गए.

असद इसके बाद गाजियाबाद और नोएडा आया, जहां उसने 4 अलग-अलग लोकेशन पर रुका. असद इस दौरान दिल्ली में भी 2 अलग-अलग लोकेशन पर रात में रुका. एसटीएफ को इसकी भनक लगी तो नोएडा-गाजियाबाद में घेराबंदी कर दी.

इसी बीच एसटीएफ को उसके झांसी से 30 किलोमीटर दूर बड़ागांव के पास होने की सूचना मिली, जिसके बाद डिप्टी एसपी नवेंदु और डिप्टी एसपी विमल के नेतृत्व में 10 लोगों की टीम ने उसका पीछा किया.

एनकाउंटर में नवेंदु और विमल के अलावा दरोगा विनय तिवारी, हेड कॉन्स्टेबल पंकज तिवारी, हेड कॉन्स्टेबल सोनू यादव, हेड कॉन्स्टेबल सुशील कुमार, हेड कॉन्स्टेबल सुनील कुमार, हेड कॉन्स्टेबल भूपेंद्र कुमार, कमांडो अरविंद कुमार और कमांडो दिलीप कुमार यादव शामिल थे. एसपी ज्ञानेंद्र राय और एसपी अनिल सिंह पूरे मामले की मॉनिटरिंग करते रहे. 

यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने पत्रकारों को बताया कि हम असद को जिंदा पकड़ना चाहते थे, लेकिन वहां मुठभेड़ शुरू हो गई. एनकाउंटर शुरू होने के कुछ देर बाद ही असद और गुलाम मारा गया.

4400 सिम कार्ड ट्रेस पर लगा था, 9 राज्यों में छापा पड़ा
उमेश पाल की हत्या के बाद यूपी पुलिस को यह बात पता चल चुकी थी कि असद ने फोन और सिम दोनों बदल लिया है. उसने टीम के सभी सदस्यों को नया फोन और कई सिम कार्ड दिया था. सभी को व्हाट्सऐप के जरिए संपर्क में रहने के लिए कहा था. 

रिपोर्ट के मुताबिक असद को पकड़ने के लिए यूपी एसटीएफ ने करीब 4400 सिम कार्ड को ट्रेस पर रखा था. साथ ही उसकी लोकेशन जानने के लिए 9 राज्यों में छापेमारी की गई थी. यूपी एसटीएफ ने असद को पकड़ने के लिए करीब 600 संदिग्ध लोगों से पूछताछ की थी. 

7 मददगारों को गिरफ्तार कर सुराग तलाशा
यूपी एसटीएफ ने पिछले 48 दिनों में असद को पनाह देने वाले 7 मददगारों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें 4 दिल्ली, 2 झांसी और एक नेपाल के रहने वाले थे. नेपाल के कय्यूम अंसारी को अरेस्ट करने के बाद पुलिस को असद के दिल्ली का सुराग मिला. 

इसके बाद एसटीएफ की पूरी टीम दिल्ली और आसपास के इलाकों में ऑपरेशन तेज कर दी. पुलिस को सूचना मिली की असद और उसके करीबी यूपी में 9 ठिकाने बनाकर रखे हैं, जो दिल्ली बॉर्डर पर है.

मार्च में पुलिस ने आगरा के पास से भी 4 संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जिसने हत्या के लिए हथियार सप्लाई की बात कबूली थी. 

यूपी पुलिस को सबसे बड़ा सुराग दिल्ली तब में मिला, जब एक हथियार सप्लायर ने असद को पनाह देने की बात कबूली. 9 अप्रैल को यूपी एसटीएफ ने दिल्ली के संगम विहार इलाके से 4 राजदारों को गिरफ्तार किया था. 

इन्हीं मददगारों से मिली सूचना के आधार पर यूपी एसटीएफ झांसी की ओर मूव कर गई. झांसी में भी यूपी एसटीएफ ने असद को सुरक्षित रखने के आरोप में 2 लोगों को अरेस्ट किया. पुलिस के सख्त पूछताछ के बाद टीम को उसके सही लोकेशन के बारे में जानकारी मिलने लगी, जिसके बाद उसे ट्रेस किए जाने लगा.

सरेंडर करने के लिए कहा तो चला दी गोली
झांसी भागने के बाद असद को जब एसटीएफ के पीछे होने की भनक लगी तो एक बांध के पीछे छुप गया. पीछे लगी पुलिस ने तुरंत घेराबंदी कर उसे सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन उसने गोली चला दी. जवाबी कार्रवाई में गुलाम के साथ मारा गया.

यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने कहा कि अभी कार्रवाई पूरी नहीं हुई है. हमने पूरी ताकत लगा रखी थी. हमने सभी टीमों को काम पर लगा रखा था. असद के मारे जाने की वजह से मामले में अभी कोई बड़ा खुलासा नहीं हो पाया है.

यूपी एसटीएफ ने बताया कि असद के पास के विदेशी हथियार, ब्रिटिश बुलडॉग रिवॉल्वर 455 बोर, वाल्थर पी 88 पिस्टल 7.63 बोर बरामद की गई है. दोनों के पास से एक डिस्कवर बाइक भी मिला है, जिसकी जांच की जा रही है. 

झांसी क्यों गया था, 3 बात की चर्चा...
असद दिल्ली और गाजियाबाद से भागकर झांसी क्यों गया था, इसको लेकर 2 बात की अटकलें लगाई जा रही है. 

1. यूपी पुलिस ने असद पर 5 लाख का इनाम रख दिया था, जिससे वो एसटीएफ के हिटलिस्ट पर था. इसी वजह से असद झांसी या बुंदेलखंड के किसी अदालत में सरेंडर करने के फिराक में था. अतीक के कई समर्थक झांसी में रहते हैं. वहीं पर वकीलों के सहारे कोर्ट में पहुंचने की तैयारी कर रहा था. 

2. झांसी से मध्य प्रदेश और राजस्थान नजदीक है. असद बॉर्डर पार कर दोनों में से किसी राज्य में भागने की तैयारी में था. राजस्थान या मध्य प्रदेश भागने में कामयाब हो जाता तो आसानी से कोर्ट में सरेंडर कर सकता था. 

3. यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि असद झांसी में अपने पिता अतीक को छुड़ाने के लिए डेरा डाला था. पुलिस को जब ये इनपुट मिला तो एसटीएफ सक्रिय हो गई. काफिले पर हमले कर अतीक को छुड़ाने की प्लानिंग थी.

पासपोर्ट न मिला तो जुर्म की दुनिया में असद रखा कदम
लखनऊ के टॉप स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद असद विदेश जाकर लॉ की पढ़ाई करना चाहता था. इसके लिए उसने पासपोर्ट भी अप्लाई किया, लेकिन परिवार के आपराधिक पृष्ठभूमि होने की वजह से उसका पासपोर्ट क्लियर नहीं हो पाया और वो लखनऊ में ही रह गया. 

लखनऊ में रहने के दौरान असद गुड्डू बमबाज के संपर्क में आया. यहीं पर उसने उमेश को मारने की साजिश रची. असद ने जेल में चाचा अशरफ से प्लान पर बात भी किया. हत्या के दिन शूटर के साथ असद भी मौजूद था. 

रिपोर्ट के मुताबिक उमेश की हत्या के बाद अतीक ने बेटे असद को शेर का बेटा कहा था. हालांकि, पत्नी शाइस्ता उसके नाम आने से नाराज थीं.

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