Aligarh News: प्यार और लालच की साजिश का अंत, हत्याकांड में 10 साल बाद फैसला, पत्नी और साले को उम्रकैद
UP News: कोतवाली इगलास क्षेत्र से जुड़े एक हत्याकांड में अदालत ने दस वर्ष बाद अपना फैसला सुनाते हुए मृतक की पत्नी और उसके ममेरे साले को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है.

अलीगढ़ जनपद के कोतवाली इगलास क्षेत्र से जुड़े एक सनसनीखेज हत्याकांड में अदालत ने लगभग दस वर्ष बाद अपना फैसला सुनाते हुए मृतक की पत्नी और उसके ममेरे साले को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है. अदालत ने दोनों दोषियों पर 35-35 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. यह फैसला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम प्रतिभा सक्सेना की अदालत ने सुनाया है. इस केस में छह साल के बच्चे की गवाही निर्णायक साबित हुई.
दरअसल, यह मामला वर्ष 2014 का है, जब रवेंद्र अचानक गायब हो गया जिसकी जानकारी बुलंदशहर के सिकंदराबाद क्षेत्र अंतर्गत तालबपुर कनकपुर गांव निवासी सुरेश ने पुलिस दो दी. इसके बाद जनवरी 2015 को इगलास थाने में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई. जिसमें उसने ने बताया था कि उसका छोटा भाई रवेंद्र उर्फ रवली अपनी पत्नी लतेश, ममेरे साले संदीप और दो छोटे बच्चों के साथ 28 दिसंबर 2014 को इगलास गया था. रवेंद्र अपने साथ लगभग एक लाख रुपये भी लेकर गया था.
परिवार वालों को गुमराह करती रही महिला
इसके अगले दिन रवेंद्र की पत्नी लतेश दोनों बच्चों के साथ तो गांव लौट आई, लेकिन रवेंद्र वापस नहीं आया. जब उससे पति के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि वह किसी जरूरी काम से रुक गया है और जल्द लौट आएगा. कई दिन बीत जाने के बाद भी जब रवेंद्र का कोई पता नहीं चला तो परिजनों को अनहोनी की आशंका हुई.
इसके बाद परिवार ने पहले अपने स्तर से रवेंद्र की तलाश की, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो एक जनवरी 2015 को इगलास पहुंचकर पुलिस को सूचना दी गई. इसके बाद सुरेश ने थाने में लिखित शिकायत देकर पत्नी लतेश, उसके ममेरे साले संदीप और गांव के एक अन्य व्यक्ति पर संदेह जताया. शिकायत में आशंका व्यक्त की गई कि रुपये हड़पने की नीयत से रवेंद्र को गायब किया गया है.
पुलिस ने खेत से बरामद किया था रवेंद्र का शव
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच शुरू की. महज एक दिन बाद, 3 जनवरी 20215 की सुबह, इगलास मंडी के पीछे एक खाली खेत से बोरे में बंद रवेंद्र का शव बरामद हुआ. शव की हालत देखकर यह साफ हो गया था कि उसकी बेरहमी से हत्या की गई है.
कबूलनामा और चार्जशीट
पुलिस ने लतेश और संदीप को हिरासत में ले लिया. पूछताछ के दौरान दोनों ने हत्या की बात स्वीकार कर ली और बताया कि शव को पहचान छिपाने के लिए खेत में फेंका गया था. हालांकि रिपोर्ट में नामजद किए गए, तीसरे व्यक्ति के खिलाफ ठोस सबूत न मिलने के कारण उसे विवेचना में क्लीन चिट दे दी गई. जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने लतेश और संदीप के खिलाफ हत्या और साक्ष्य छिपाने समेत अन्य धाराओं में चार्जशीट दाखिल की. इसके बाद मामला सत्र न्यायालय में विचाराधीन रहा.
शासकीय अधिवक्ता ने क्या कहा?
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मेपे सिंह के अनुसार, मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल छह गवाह अदालत में पेश किए. इनमें वादी सुरेश और मृतक का नाबालिग बेटा प्रमुख गवाह रहे. गवाहियों से यह तथ्य सामने आया कि दोनों भाइयों के हिस्से में गांव में करीब 33 बीघा जमीन थी, जिसमें से रवेंद्र की भूमि सरकारी अधिग्रहण में चली गई थी. इसके एवज में उसे मुआवजे की एक बड़ी राशि मिली थी.
अभियोजन के मुताबिक, इसी धनराशि से रवेंद्र ने पत्नी के दबाव में इगलास में उसकी ननिहाल के पास एक प्लॉट पत्नी के नाम से खरीदा था. इसके बावजूद लतेश अक्सर अपने पति से अलग रहकर छोटे बच्चों के साथ ननिहाल क्षेत्र में किराए पर रहती थी और ससुराल कम ही जाती थी.
अवैध संबंध और मुआवजे की रकम हड़पने के लिए हत्या
मुकदमे के दौरान यह भी सामने आया कि लतेश और संदीप के बीच अवैध संबंध थे. अभियोजन ने दलील दी कि इन संबंधों और मुआवजे की रकम पर कब्जा जमाने की नीयत से रवेंद्र की हत्या की साजिश रची गई. इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलू मृतक के बेटे सुमित की गवाही रही. उस समय उसकी उम्र मात्र छह वर्ष थी, लेकिन उसने अदालत में जो बयान दिया, उसने पूरे घटनाक्रम को स्पष्ट कर दिया.
बच्चे का बयान बना निर्णायक
बच्चे ने बताया कि घटना वाली रात उसकी मां और संदीप मामा ने मिलकर उसके पिता को लोहे की भारी वस्तु से पीटा और उनकी गर्दन पर वार किया. उसने यह भी बताया कि जब उसने यह सब देखा तो उसे चुप रहने की धमकी दी गई. बाद में कुछ नकाबपोश लोग कार से आए और इसके बाद उसकी मां और मामा उसी झोंपड़ी में साथ सोए. बच्चे की यह गवाही अदालत के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई और इसे अन्य साक्ष्यों से भी पुष्टि मिली.
अदालत का फैसला
सभी साक्ष्यों, गवाहियों और अभियोजन-पक्ष की दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने लतेश और संदीप को हत्या का दोषी करार दिया. न्यायालय ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माना अदा न करने की स्थिति में अतिरिक्त कारावास की व्यवस्था भी आदेश में शामिल की गई.
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Source: IOCL






















