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Jalore News: 250 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था मासूम, इस देसी जुगाड़ से सिर्फ 15 मिनट में सुरक्षित निकला बाहर
जालोर में एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था. लेकिन इस बच्चे को महज 15 मिनट में बोरवेल से निकाल लिया गया. इसके लिए ना तो बड़ी-बड़ी मशीन लाई गई और ना ही अमला बस देसी जुगाड़ ने कमाल कर दिखाया.
Rajasthan News: जाको राखे साइयां मार सके ना कोई यह कहावत बुधवार को जालौर में चरित्रात हुई. दरआसल जालोर में एक ऐसे जुगाड़ से करिश्मा हुआ जिसकी चर्चा सभी जगह हो रही हैं. यहां एक छोटे से जुगाड़ से मात्र 15 मिनट में ढाई सौ फुट गहरे बोरवेल से एक 12 साल के बच्चे को सही सलामत निकाल लिया गया. बच्चे को बचाने के लिए ना तो मशीनों का उपयोग हुआ ना भारी-भरकम अमले का. बच्चा बोरवेल में करीब 90 फीट पर फस गया था मौके पर पहुंचे जुगाड़ एक्सपर्ट मगाराम सुथार ने देसी जुगाड़ से 15 मिनट में बच्चे को सकुशल बाहर निकाल दिया.
हादसे के समय बच्चा घर में अकेला था
बता दें कि जालोर के तवाव गांव में गुरुवार को मंदिर में महोत्सव चल रहा था. बच्चे की मां और दादी इस समारोह में चली गई थीं. जब वे घर लौटी तो निम्बाराम दिखाई नहीं दिया. इधर- उधर तलाश की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. बाद में घर से 100 मीटर दूर बोरवेल का ढक्कन खुला देखा तो उसके अंदर गिरने की जानकारी मिली. मां ने इसकी सूचना बच्चे के पिता जोइताराम को दी. और फिर बच्चे के पिता जोइताराम चौधरी ने ग्रामीणों को बताया कि बच्चा बोरवेल में गिर गया है. वहीं मां ने बताया जिस समय हादसा हुआ उस दौरान बच्चा अकेला था.
घटना की सूचना मिलते ही अधिकारी मौके पर पहुंचे
इधर, घटना की जानकारी मिलते ही जसवंतपुरा SDM राजेंदसिंह चांदावत समेत तमाम बड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे थे. बच्चे को बोरवेल से निकालने के लिए प्रशासन ने देसी जुगाड़ के एक्सपर्ट मेडा निवासी माधाराम सुथार को मौके पर बुलाया. माघाराम ने देसी जुगाड़ से बच्चे को करीब 15 मिनट में ही बोरवेल से बाहर निकाल दिया. वहीं मौके पर मौजूद मेडिकल टीम ने बताया कि बच्चा स्वस्थ है.
देसी जुगाड़ कैसे बनाया जाता है?
जुगाड़ एक्सपर्ट मगाराम सुथार देसी जुगाड़ के लिए जाने जाते हैं. वे देसी जुगाड़ के लिए बराबर लंबाई के 35 पाइप लिए जाते हैं. इन तीनों पाइप को एक साथ बांधा जाता है और अंतिम छोर पर टि बनाते हैं इस पर एक जालबांधा जाता है यह सभी एक मास्टर रस्सी से जुड़ी रहती है इस पर कैमरा भी जोड़ दिया जाता है इससे पता चलता है कि बच्चा जुगाड़ में फंसा या नहीं. इसके बाद मास्टर रस्सी का कंट्रोल बाहर खड़े युवक के पास रहता है. इस पूरे स्ट्रक्चर को बोरवेल में उतारा जाता है और जैसे ही स्टेशन बच्चे पर जाता है तो उस मास्टर रस्सी को बाहर से खींचा जाता है जिससे बच्चा उसमें फंस जाता है जैसे ही बचा उसमें फंसता है बच्चे को बाहर खींच लिया जाता है.
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रंगनाथ सिंहवरिष्ठ पत्रकार
Opinion