एक्सप्लोरर

Maru Mahotsav 2022: जैसलमेर में 13 फरवरी से शुरू होगा मरू महोत्सव, जानें क्या होगा खास

Jaisalmer News: 13 से 16 फरवरी 2022 तक विख्यात मरू उत्सव का आयोजन जैसलमेर में किया जा रहा है. इसे लेकर लोगों में खुशी की लहर है. उत्सव के दौरान कई कल्चरल इवेंट का आयोजन होगा. 

Rajasthan Jaisalmer Desert Festival: मरू उत्सव (Desert Festival) के साथ रेगिस्तान की स्वर्ण नगरी जैसलमेर (Jaisalmer) दर्शन का बेहतरीन अवसर है. यहां 13 से 16 फरवरी 2022 तक विख्यात मरू उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. कोरोना काल में ठप हो गए पर्यटन व्यवसाय की उम्मीदों को फिर से पंख लगेंगे, इससे जुड़े तमाम लोगों में खुशी की लहर है. नव नियुक्त जिला कलेक्टर प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) उत्सव को यादगार बनाने के लिए जुटी हैं. उत्सव के दौरान कई कल्चरल इवेंट के साथ सेलिब्रिटीज नाइट का भी आयोजन होगा. पोकरण, खूहड़ी और सम के रेतीले टीलों पर कार्यक्रमों के साथ- साथ मरूश्री, मिस मूमल, मूछ प्रतियोगिता, साफा बांध, मूमल महिन्द्रा, ऊंट श्रृंगार और शान-ए-मरूधरा, पणिहारी मटका रेस प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी. यहां पर्यटक एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी मजा ले सकेंगे. पर्यटन विभाग (Tourism Department) ने इस बार उत्सव को "उम्मीदों की नई उड़ान" नाम  दिया है. खास बात ये है कि, लोक वाद्यों की ताल पर गायकों के सुरीले स्वर और लोक कलाकारों के लुभावने नृत्य वातावरण को रेगिस्तानी अंचल की लोक संस्कृति का प्रतीक बना देते हैं. गीतों और नृत्यों पर विदेशी मेहमान भी थिरकने को मजबूर हो जाते हैं. इस अवसर सैलानी पर्यटक स्थलों को देखने का लुत्फ भी उठा सकते हैं. 

सोनार किला
रेगिस्तान में अभिभूत करने वाले सोनार किले के अंदर मध्ययुगीन जीवन और ऐश्वर्य का जादू दिखाई देता है. ये भव्य महलों, हवेलियों, मंदिरों में अनाम शिल्पियों की कारीगरी का जीवंत उदाहरण है. त्रिकूट पर्वत पर बना सोनार किला जमीन से 250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ये किला सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोने सा दमकता है. किला 1500 फीट लम्बा और 700 फीट चौड़ा है, किले में 30-30 फीट ऊंचे 99 बुर्ज बने हैं. दोहरी सुरक्षा व्यवस्था के चलते ये किला हमेशा अभेद्य रहा. किले में प्रवेश के लिए अखेपोल, सूरजपोल, गणेशपोल और हवापोल 4 दरवाजे बने हैं. यहां बना रंग महल, गजनिवास और मोती महल स्थापत्य कला के शानदार नमूने हैं. महलों में भित्ती चित्र और लकड़ी पर की गई बारिक नक्काशी का कार्य देखने योग्य है. महलों में पत्थर की सुदर जालियां और झरोखे सुंदरता प्रदान करते हैं. महलों के सामने आदिनारायण एवं शक्ति मंदिर बने हैं. दुर्ग में लक्ष्मीनाथ जी का एक मात्र हिन्दू मंदिर सोने और चांदी के कपाटों के कारण विशेष महत्व रखता है. आसपास कारीगरी में अनुपम जैन मंदिर 14वीं एवं 15वीं शताब्दी की स्थापत्य व मूर्ति कला के सुंदर नमूने हैं. मंदिरों के तल गृह में जिन भद्र सूरी ज्ञान भंडार में दुर्लभ एवं प्राचीन पाण्डुलिपियों का संग्रह किया गया है.  

गड़सीसर झील
गड़सीसर झील जैसलमेर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है. इसे राजा रावल जैसल ने बनवाया था. कुछ वर्षों बाद इसका पुननिर्माण महाराजा गरीसिसार सिंह की तरफ से किया गया था. झील का प्रवेश द्वार तिलोन-की-पोल के जरिए है, इसके महराबो को शानदार और कलात्मक ढंग से पीले बलुआ पत्थर से बनाया गया है. तिलोंन की पोल को हिंदू देवता विष्णु की मूर्ति से सजाया गया है जो 1908 में स्थापित की गई थी. झील के किनारे कलात्मक रूप से नक्काशीदार छत्तीस मंदिर, देवगृह और घाटों से घिरा हुआ है. ये सुबह-सुबह जैसलमेर किले की फोटो लेने के लिए सबसे अच्छी जगह है, ये वो वक्त होता है जब सूरज की पहली किरणों से किला सुनहरे रंग का दिखता है. ये कई पक्षीयों को देखने वाला स्थल भी है जो जैसलमेर शहर का एक बड़ा आकर्षण है. यहां पर एक संग्रहालय भी दर्शनीय है. 

इमारत बादल विलास
जैसलमेर के अमरसागर प्रोल के पास मंदिर पैलेस में गगनचुम्बी जहाजनुमा 19वीं शताब्दी की इमारत बादल विलास कलात्मक सुन्दरता के कारण अनूठी कृति है. 5 मंजिलों वाली ये इमारत बारीक नक्काशी कार्य और कलात्मक सुंदरता के कारण विश्व स्तरीय पहचान बना चुकी है. इसे महारावलों के निवास के लिए बनाया गया था. सैलानी इसको जब निहारते हैं तो इस इमारत से उनकी नजरें ही नहीं हटती हैं, वो इसके नजारे को कैमरे में बंद कर ले जाते हैं. ये इमारत स्वर्णनगरी भ्रमण करने वाले सैलानियों को दूर से ही अपनी ओर आकर्षित करती है. 

पटवों की हवेलियां
पटवों की हवेलियां 18वीं शताब्दी में सेठ पटवों द्वारा बनवाई गई थीं. अनेक सुंदर झरोखों से युक्त ये हवेलियां निसंदेह कला का सर्वोत्तम उदाहरण हैं. ये कुल मिलाकर 5 हवेलियां हैं, जो एक-दूसरे से सटी हुई हैं. ये हवेलियां भूमि से करीब 10 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनी हुई हैं व जमीन से ऊपर 6 मंजिल हैं, भूमि के अंदर एक मंजिल होने से कुल 7 मंजिले हैं. पांचों हवेलियों को बाहर की ओर बारीक नक्काशी और तमाम प्रकार की कलाकृतियां युक्त खिड़कियों, छज्जों व रेलिंग से अलंकृत किया गया है. ये हवेलियां अत्यंत भव्य, कलात्मक दृष्टि से सुंदर व आकर्षक लगती हैं. 

दीवान नाथमल की हवेली
पांच मंजिला पीले पत्थर से निर्मित दीवान मेहता नाथमल की हवेली का कोई जबाव नहीं है. साल 1884-85 में बनी हवेली में बारीक मेहराबों से युक्त खिड़कियों, घुमावदार खिड़कियों और हवेली के अग्रभाग में की गई पत्थर की नक्काशी पत्थर के काम की दृष्टि से अनुपम है. इन अनुपम कृतियों का निर्माण प्रसिद्ध शिल्पी हाथी व लालू उपनाम के 2 मुस्लिम कारीगरों ने किया था. हवेली में पत्थर की खुदाई के छज्जे, छावणे, स्तंभों, मौकियों, चापों, झरोखों, कंवलों, तिबरियों पर फूल, पत्तियां, पशु-पक्षियों की बड़ी ही मनमोहक आकृतियां बनी हैं. कुछ नई आकृतियां जैसे स्टीम इंजन, सैनिक, साईकल, उत्कृष्ट नक्काशी युक्त घोड़े, हाथी भी बेहद खूबसूरत हैं.

सालिम सिंह की हवेली
सालिम सिंह की हवेली 6 मंजिला इमारत है, जो नीचे से संकरी और ऊपर से निकलती-सी स्थात्य कला का प्रतीक है. जहाजनुमा इस विशाल भवन का आकर्षक खिड़कियां, झरोखे और द्वार हैं. इस हवेली का निर्माण दीवान सालिम ने करवाया था. हवेली की सर्वोच्च मंजिल जमीन से लगभग 80 फीट की ऊंचाई पर है, ये मोती महल कहलाता है. कहा जाता है कि मोती महल के ऊपर लकड़ी की 2 मंजिल और भी थी, जिनमें कांच और चित्रकला का काम किया गया था, जिस कारण वो कांच महल व रंग महल कहलाते थे, उन्हें सालिम सिंह की मृत्यु के बाद राजकोप के कारण उतरवा दिया गया. इसके चारों ओर 39 झरोखे और खिड़कियां हैं. इन झरोखों और खिड़कियों पर अलग-अलग कलाकृति उकेरी गई हैं. इनपर बनी हुई जालियां पारदर्शी हैं, इन जालियों में फूल-पत्तियां, नाचते हुए मोर की आकृति बनी हैं. 

राष्ट्रीय मरू उद्यान अभयारण्य  
इस उद्यान में करीब 700 प्रजातियों की वनस्पति पाई जाती है, जिसमें से केवल घास की ही 107 प्रजातियां हैं. रेतीले क्षेत्रे में सबसे अधिक जो पौधा पाया जाता है वो है सेवन घास. अन्य प्रमुख प्रजातियां हैं- सीनिया, खींप, फोग, बोंवली, भुई, मूरठ, और लाना. केर, लांप, मूरठ, बेर जैसी प्रजातियां पशुओं के चारे के लिए काम में ली जाती हैं. खेजड़ी मरूस्थल का सबसे महत्वपूर्ण पौधा है. यहां के भू-दृश्य को रंग रूप प्रदान करने वाला पौधा रोहिड़ा भी है. अन्य वृक्षों में बेर, बोरडी, कुमठ जाल, आक, थोर, गगूल, टांटियां और गांठिया आदि हैं.

आकल वुड फॉसिल पार्क
ये जैसलमर से मात्र 15 किलोमीटर दूर जैसलर-बाड़मेर रोड पर स्थित है और 21 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है. लाखों वर्ष पूर्व यहां पाए जाने वाले सागरीय जीवों के जीवाश्मों के लिए ये प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र में फैले हुए 25 वुड फॉसिल विद्यमान हैं, जिसमें से 10 फॉसिल का काफी भाग पृथ्वी की सतह से ऊपर अनावृत है. सबसे बड़े फॉसिल की लम्बाई 7 मीटर एवं परिधि डेढ़ मीटर है. पर्यटन की दृष्टि से राष्ट्रीय मरू उद्यान का अत्यन्त महत्व है.

सम के धोरे
रेगिस्तान में पहुंचकर रेत के धोरें ना देखें ये कैसे हो सकता है. जैसलमेर से 42 किलोमीटर दूर सम और 45 किलोमीटर दूर खुहड़ी के रेतीले धोरों का आकर्षण सैलानियों के लिए किसी भी प्रकार कम नहीं है. बालू के लहरदार धोरों पर जब संध्याकाल में सूर्य की किरणें अपनी आभा फैलाती हैं तो इनका रंग सुनहरा हो जाता है जो देखने वालों के दिल को छू लेता है. बालू के टीलों पर ऊंट की सवारी करना और स्थानीय कलाकारों के लोक संगीत का आनन्द लेने का अपना अलग ही मजा हैं. रात में इन धोरों के पास स्थित खुले मंच पर लोक कलाकारों के गीत-संगीत, नृत्य आदि का आनन्द भी सैलानी उठाते हैं.  

लौद्रवा  
जैसलमेर से 13 किलोमीटर की दूरी पर लौद्रवा का जैन मंदिर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है. गर्भगृह में सहसत्रफणी पार्श्वनाथ की साढ़े तीन फीट ऊंची श्याम वर्णीय कसौटी पत्थर की भव्य प्रतिमा स्थापित है, जिसकी प्रतिष्ठा आचार्य श्री जिनपति सूरी द्वारा संवत् 1263 में कराई गई थी. इस मूर्ति के ऊपर हीरा जड़ा हुआ है जो मूर्ति के अनेक रूपों का दर्शन कराता है. मंदिर का तोरण द्वार, प्रत्येक स्तम्भ, प्रवेश द्वार एवं शिखर पर शिल्पकारों की कल्पना अद्वितीय रूप में दिखाई देती है. चीनी शैली में निर्मित मंदिर का शिखर, भगवान की प्राचीन प्रतिमा तथा प्रवेश द्वार का ऊपरी भाग देखकर ही देलवाड़ा, रणकपुर और खजुराहो मंदिरों की याद ताजा हो उठती है. मंदिर के चारों कोनों पर एक-एक मंदिर बनाया गया है. मंदिर जैसलमेर के पीले पत्थर से निर्मित है. स्तम्भों पर फूल-पत्तियों की बारीक खुदाई अत्यन्त मनोहारी है.

तनोटराय माता मंदिर
भारत और पाकिस्तान सीमा पर जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर स्थित तनोटराय मातेश्वरी के मंदिर की बात ही निराली है. कहा जाता है कि 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना की तरफ से इस मंदिर पर भारी बमबारी की गई लेकिन मंदिर को जरा भी क्षति नहीं हुई. रेगिस्तान के धोरों के बीच भारत-पाक सीमा पर तनोट माता के दर्शन करना अपने आप में रोमांच उत्पन्न करता है.

हर तरह की है सुविधा 
जैसलमेर में ठहरने के लिए बजट होटल से लेकर पांच सितारा होटल हैं और राजस्थानी सहित सभी प्रकार के भोजन की अच्छी सुविधा है. भ्रमण के लिए जीप, टैक्सी कार, ऑटो साधन स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हैं. जैसलमेर राज्य की राजधानी जयपुर के 575 किलोमीटर दूर है. जैसलमेर राजस्थान के सभी शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है. जैसलमेर से 285 किलोमीटर दूर जोधपुर मे एयरपोर्ट सेवा उपलब्ध है. 

ये भी पढ़ें:

Rajasthan Hijab Controversy: हिजाब को लेकर अपत्तिजनक पोस्ट साझा करना पड़ा भारी, 2 पुलिसकर्मी सस्पेंड

Chittorgarh: मोबाइल पर कार्टून दिखाने के बहाने पड़ोसी ने 7 साल की दिव्यांग बच्ची से किया Rape, यूं खुला राज  

करनपुरी गोस्वामी ABP NEWS की डिजिटल टीम के साथ बतौर रिपोर्टर जुड़े हुई हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें 12 साल का अनुभव है और पिछले 10 सालों से वे एबीपी के साथ जुड़े हुए हैं. राजस्थान के जोधपुर संभाग से जुड़ी हर खबर पर इनकी नजर रहती है. इससे पहले करनपुरी इंडिया टीवी के साथ भी काम कर चुके हैं.
Read
और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

'मैं ऑनसाइट सलाम क्यों करूं...', भारत को धमकी देने से बाज नहीं आ रहा हसनत, बांग्लादेशी नेता ने फिर जहर उगला
'मैं ऑनसाइट सलाम क्यों करूं...', भारत को धमकी देने से बाज नहीं आ रहा हसनत, बांग्लादेशी नेता ने फिर जहर उगला
कला जगत के युग का अंत, स्टैच्यू ॲाफ यूनिटी बनाने वाले मशहूर मूर्तिकार राम सुतार का निधन
कला जगत के युग का अंत, स्टैच्यू ॲाफ यूनिटी बनाने वाले मशहूर मूर्तिकार राम सुतार का निधन
Russia Muslim Population: इस देश में 2030 तक एक तिहाई होंगे मुस्लिम? बदल रहा जनसंख्या का आंकड़ा, जानें हिंदुओं की स्थिति
इस देश में 2030 तक एक तिहाई होंगे मुस्लिम? बदल रहा जनसंख्या का आंकड़ा, जानें हिंदुओं की स्थिति
IND VS SA: पैसा वापस करो… लखनऊ टी20 रद्द होने पर किसका फूटा गुस्सा, देखिए वीडियो
IND VS SA: पैसा वापस करो… लखनऊ टी20 रद्द होने पर किसका फूटा गुस्सा, देखिए वीडियो

वीडियोज

UP News:स्कूल के मिड-डे मील में रेंगते मिले कीड़े, हड़कंप मचने के बाद BSA ने बैठाई जांच! | Mau
Janhit with Chitra Tripathi : सोनिया-राहुल को मिली राहत पर राजनीति? | National Herald Case
डांस रानी या ईशानी की नौकरानी ? Saas Bahu Aur Saazish (17.12.2025)
Sandeep Chaudhary: नीतीश की सेहत पर बहस, CM पद को लेकर बड़ा सवाल | Nitish Kumar Hijab Row
Bharat Ki Baat: असल मुद्दों पर सियासत..'राम-राम जी'! | VB–G RAM G Bill | BJP Vs Congress

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'मैं ऑनसाइट सलाम क्यों करूं...', भारत को धमकी देने से बाज नहीं आ रहा हसनत, बांग्लादेशी नेता ने फिर जहर उगला
'मैं ऑनसाइट सलाम क्यों करूं...', भारत को धमकी देने से बाज नहीं आ रहा हसनत, बांग्लादेशी नेता ने फिर जहर उगला
कला जगत के युग का अंत, स्टैच्यू ॲाफ यूनिटी बनाने वाले मशहूर मूर्तिकार राम सुतार का निधन
कला जगत के युग का अंत, स्टैच्यू ॲाफ यूनिटी बनाने वाले मशहूर मूर्तिकार राम सुतार का निधन
Russia Muslim Population: इस देश में 2030 तक एक तिहाई होंगे मुस्लिम? बदल रहा जनसंख्या का आंकड़ा, जानें हिंदुओं की स्थिति
इस देश में 2030 तक एक तिहाई होंगे मुस्लिम? बदल रहा जनसंख्या का आंकड़ा, जानें हिंदुओं की स्थिति
IND VS SA: पैसा वापस करो… लखनऊ टी20 रद्द होने पर किसका फूटा गुस्सा, देखिए वीडियो
IND VS SA: पैसा वापस करो… लखनऊ टी20 रद्द होने पर किसका फूटा गुस्सा, देखिए वीडियो
IPL 2026 ऑक्शन में सबसे बड़ा उलटफेर! बेहद 'मामूली रकम' में बिके ये 5 दिग्गज खिलाड़ी
IPL 2026 ऑक्शन में सबसे बड़ा उलटफेर! बेहद 'मामूली रकम' में बिके ये 5 दिग्गज खिलाड़ी
Foods That Cause Cavities: इन चीजों को खाने से दांतों में जल्दी होती है कैविटी, आज ही देख लें पूरी लिस्ट
इन चीजों को खाने से दांतों में जल्दी होती है कैविटी, आज ही देख लें पूरी लिस्ट
Minorities Rights Day 2025: अल्पसंख्यकों को सबसे पहले कौन-सा अधिकार मिला था, इससे उन्हें क्या हुआ फायदा?
अल्पसंख्यकों को सबसे पहले कौन-सा अधिकार मिला था, इससे उन्हें क्या हुआ फायदा?
एयर प्यूरीफायर लेने जा रहे हैं? खरीदने से पहले जान लें ये जरूरी बातें
एयर प्यूरीफायर लेने जा रहे हैं? खरीदने से पहले जान लें ये जरूरी बातें
Embed widget