कुछ बड़ा करने की तैयारी में ठाकरे भाई? एक महीने में उद्धव-राज की चौथी मुलाकात, क्या हैं मायने?
Uddhav Thackeray Meets Raj Thackeray: उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे से मुलाकात की, जो इस महीने की चौथी और कुल 8वीं मुलाकात है. अटकलें हैं कि दोनों पार्टियां आगामी स्थानीय चुनावों के लिए गठबंधन कर सकती हैं.

महाराष्ट्र में संभावित गठबंधन की अटकलों के बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे के आवास पर जाकर बुधवार (22 अक्टूबर) को उनसे मुलाकात की. यह इस महीने उनकी चौथी मुलाकात थी.
शिवसेना (यूबीटी) के एक पदाधिकारी ने बताया कि उद्धव अपनी चाची और राज ठाकरे की मां कुंदा ठाकरे को उनके जन्मदिन पर बधाई देने के लिए ‘शिवतीर्थ’ गए थे.
3 महीने में 8वीं मुलाकात
कभी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे ठाकरे भाइयों के बीच तब से यह 8वीं मुलाकात है जब वे जुलाई में महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने के फैसले का विरोध करने के लिए एक साथ आए थे.
दोनों चचेरे भाई और उनके परिवार पिछले सप्ताह शिवाजी पार्क में मनसे द्वारा आयोजित 'दीपोत्सव' कार्यक्रम के अवसर पर मिले थे.
20 साल पहले राज ठाकरे ने छोड़ा था साथ
छोटे भाई राज ठाकरे ने 2005 में अविभाजित शिवसेना छोड़ दी थी और इसके लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई थी. हालांकि, 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने-अपने दलों को मिली हार के बाद दोनों नेताओं ने कटुता को पीछे छोड़कर अस्तित्व के लिए एक साझा आधार तलाशने का फैसला किया.
शिवसेना (यूबीटी) और मनसे नेताओं ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में 31 जनवरी 2026 से पहले होने वाले ग्रामीण और शहरी निकाय चुनावों से पूर्व दोनों दलों का एक साथ आना अब महज औपचारिकता मात्र है.
कांग्रेस नहीं चाहती राज ठाकरे का साथ
महाराष्ट्र निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने यह कंफर्म कर दिया है कि पार्टी राज ठाकरे को महाविकास अघाड़ी में शामिल नहीं होने देगी. मुंबई अध्यक्ष वर्षा गायवाड़ ने कहा था कि 'कानून का मजाक उड़ाने वालों के साथ हम नहीं आएंगे.'
इतना ही नहीं, कांग्रेस के नेता भाई जगताप ने तो यह तक दावा कर दिया है कि महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन दल बचेगा भी नहीं. भाई जगताप का कहना है कि राज ठाकरे की बात तो छोड़िए, कांग्रेस उद्धव ठाकरे के साथ भी नहीं है. इस बार के निकाय चुनाव कांग्रेस अपने दम पर लड़ेगी
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