Maharashtra: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा विवाद पर भड़के आदित्य ठाकरे, बोले- 'कोई मराठी का...'
Maharashtra Hindi Controversy: आदित्य ठाकरे ने हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले पर विरोध किया. उन्होंने कहा कि जो लोग इसे लागू कर रहे हैं, वे राजनितीक फायदे के लिए कर रहे हैं.

शिवसेना (UBT) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा, "बच्चों पर 3 भाषाएं एकसाथ लादना गलत है. पहली कक्षा के बच्चों पर मराठी, अंग्रेजी और अब हिंदी, 3 भाषाओं का दबाव डालना उचित नहीं." उनका सुझाव है कि नई भाषा को धीरे-धीरे, क्रमिक रूप से सिखाया जाए, ताकि बच्चों पर बोझ न बढ़े.
आदित्य ठाकरे ने बिहार के चुनावों का किया जिक्र
ठाकरे ने आरोप लगाया कि यह मुद्दा सिर्फ शिक्षा से नहीं, बल्कि राजनीति से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा, 'मैं इसे दो स्तर पर देखता हूं, पहले तो राजनीति स्तर पर जिन दो लोगों की बैठक हुई उन दोनों को मराठी और हिंदी की जरुरत है, कोई मराठी का विषय BMC में चलाए तो कोई हिंदी का विषय बिहार के चुनावों में चलाए, सब अपनी रोटी सेंकते रहें और हम आपस में लड़ते रहें."
उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर भी इसका असर पड़ने की बात सामने आई है. पहले से ही प्रशासनिक कार्यों और पढ़ाई का बोझ झेल रहे शिक्षक अब एक और भाषा पढ़ाने की जिम्मेदारी उठाएंगे.
शिवसेना (UBT) के नेता ने सिस्टम की भी आलोचना करते हुए कहा, "जब सरकार यूनिफॉर्म तक नहीं दे पा रही, तो तीसरी भाषा अनिवार्य करने की जल्दबाज़ी क्यों?" साथ ही आदित्य ठाकरे ने मंत्री दादा भुसे पर तंज कसते हुए कहा, "क्या वो खुद एक भाषा अच्छे से जानते हैं?"
हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं- राज ठाकरे
MNS प्रमुख राज ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था, "हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं." इतना ही नहीं, मुंबई के घाटकोपर में MNS कार्यकर्ताओं ने हिंदी की किताबें जलाकर विरोध जताया.
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य किए जाने के फैसले के बाद से ही विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. शिक्षा के क्षेत्र में लिए गए इस निर्णय ने अब सियासी रंग ले लिया है, और इसका असर आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है.
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Source: IOCL
























