'सचमुच कमजोर कौन था यह उन्होंने...', पी चिदंबरम के बयान पर बोले संजय निरुपम
Sanjay Nirupam News: शिवसेना नेता संजय निरुपम ने 26/11 आतंकी हमलों पर पी चिदंबरम के बयान को कांग्रेस के लिए शर्मनाक बताया. उन्होंने कहा कि आज यही लोग ऑपरेशन सिंदूर का विरोध कर रहे हैं.

साल 2008 में हुए मुंबई हमलों को लेकर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बयान से राजनीति गरमा गई है. शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने पी चिदंबरम के बयान पर कांग्रेस को घेरा है. उन्होंने कहा कि अगर चिदंबरम यह कह रहे हैं कि मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमलों बाद भारत अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान के खिलाफ कोई कारवाई नहीं कर पाया था तो यह विस्फोटक जानकारी है. सचमुच कमजोर कौन था यह चिदंबरम ने बता दिया है.
शिवसेना नेता ने पी चिदंबरम के बयान पर तंज कसते हुए कहा, ''यह कांग्रेस के लिए शर्मनाक भी है. आज यही लोग ऑपरेशन सिंदूर का विरोध कर रहे हैं. यही लोग ट्रंप के बड़बोलेपन को ब्रह्म वाक्य मानकर आज की सरकार को कमजोर बताने की हिमाक़त कर रहे हैं.''
अगर चिदंबरम यह कह रहे हैं कि मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमलों बाद भारत अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान के खिलाफ कोई कारवाई नहीं कर पाया था तो यह विस्फोट जानकारी है।
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) September 30, 2025
और कांग्रेस के लिए शर्मनाक भी है।
आज यही लोग ऑपरेशन सिंदूर का विरोध कर रहे हैं।
यही लोग ट्रंप के बड़बोलेपन को…
पी चिदंबरम ने क्या कहा था?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद यूपीए सरकार ने पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई न करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय दबाव और विदेश मंत्रालय की सलाह के कारण लिया था. उन्होंने ये भी कहा कि वो बदला लेना चाहते थे, लेकिन सरकार ने जवाबी प्रतिक्रिया न देने और युद्ध जैसे कदम उठाने से बचने का फैसला लिया. 26 नवंबर, 2008 को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में कई जगहों पर हमला कर निर्दोष लोगों को मारा था.
सोनम वांगचुक पर क्या बोले संजय निरुपम?
सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ़्तारी पर शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा, "सोनम वांगचुक एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उन्होंने कई इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स बनाएं हैं, जिनकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है. हालांकि, वहां के पुलिस प्रमुख ने कहा कि जिस तरह से वह पाकिस्तान गए थे और उनका उद्देश्य कुछ और था, उसे कुछ और ही बताया गया था, और उनके बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री से संबंध थे. ऐसे में भारत सरकार को इस बात पर पुनर्विचार करना होगा कि लद्दाख चीन से जुड़ा एक सीमावर्ती क्षेत्र है.''
उन्होंने कहा, ''जब ये विरोध प्रदर्शन हुए, तो पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट वहां आए और उनसे मिले. किसी भी विदेशी शक्ति या विदेशी व्यक्ति से संबंध रखने वाले किसी भी व्यक्ति की जांच करना सरकार की जिम्मेदारी है, और इसी प्रक्रिया के तहत उन्हें गिरफ़्तार किया गया है. अगर यह पता चलता है कि वह सही हैं, तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर कोई सामाजिक सक्रियता के नाम पर देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, तो उसे सिर्फ़ इसलिए नहीं बख्शा जा सकता क्योंकि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है. देश पहले है, फिर बाकी सब है."
Source: IOCL























