Maharashtra: देवेंद्र फडणवीस की पुलिस अफसरों को सख्त चेतावनी, कहा- 'क्राइम कंट्रोल में कोताही...'
Maharashtra News: सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पुलिस अफसरों से कहा कि ई-समन और ई-साक्ष्य पहलों को न्यायालय की इजाजत से लागू करें. कैदियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परिजनों से संवाद को बढ़ावा दें.

Maharashtra Latest News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शुक्रवार (4 अप्रैल) को गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्राइम कंट्रोल और अन्य मसलों पर गंभीर मंत्रणा की. इस दौरान उन्होंने 3 नए आपराधिक कानूनों (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्यायिक संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) पर अमल के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए.
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अफसरों से साफ शब्दों में कहा, "क्राइम कंट्रोल सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है. इस मामले में किसी भी स्तर पर कोताही हमारी सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी. क्राइम कंट्रोल तभी संभव है कि जब पुलिस अधिकारी भी भी ट्रेंड हों."
इसके लिए उन्होंने अधिकारियों से ट्रेंनिग पर जोर और फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क बनाने सहित नए 'रिफ्रेशर पाठ्यक्रम' शुरू करने को कहा.

क्राइम को साबित करने के लिए अफसर करें ये काम
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने नए कानून के मुताबिक क्राइम को साबित करने के लिए आधुनिकतम तकनीकों के इस्तेमाल करने को कहा है. ताकि क्राइम को अदालत में साबित किया जा सके.
सीएम ने इसके महाराष्ट्र के अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में फोरेंसिक प्रयोगशालाएं स्थापित करने के भी आदेश दिए हैं. साथ ही सीसीटीएनएस 2.0 प्रणाली में 'बैंडविड्थ' क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर आपराधिक जांच अधिक प्रभावी हो सकेगी.
जांच अफसरों को टैब देने के काम में लाएं तेजी
बता दें कि महाराष्ट्र में 7 वर्ष से अधिक कारावास की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक साक्ष्य परीक्षण को अनिवार्य शर्त है. मुख्यमंत्री फडणवीस ने निरीक्षण अधिकारियों को टैब उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में तेजी लाने का भी निर्देश दिए हैं.
इसके अलावा, देवेंद्र फडणवीस ने न्यायिक कार्यवाही की गति बढ़ाने के लिए ई-समन, ई-साक्ष्य जैसी पहलों को न्यायालय की अनुमति से लागू करने को कहा है. उन्होंने कहा कि जेलों में बंद कैदियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परिजनों से संवाद करने की सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए.
लोगों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए ई-कोर्ट शुरू करने की संभावनाओं का अध्ययन करने को भी अधिकारियों से कहा है.
Source: IOCL






















