Jharkhand: छात्रवृत्ति से धान खरीद तक, बीजेपी ने शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की पूरी तैयारी
Jharkhand News: BJP ने झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में छात्रवृत्ति और धान खरीद की देरी जैसे मुद्दे उठाने की बात कही है. पार्टी का कहना है कि इससे छात्र और किसान दोनों प्रभावित हो रहे हैं.

झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज (8 दिसंबर) पहला दिन है. पहले ही दिन BJP ने साफ कर दिया है कि वह झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिलने और किसानों के धान खरीद की प्रक्रिया शुरू न होने पर सरकार से जवाब मांगेगी.
यह मुद्दा रांची में बीजेपी विधायक दल की बैठक में तय हुआ, जिसकी अध्यक्षता विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने की. सत्र 6 दिसंबर से 11 दिसंबर तक चलेगा और इसके दौरान विपक्ष सरकार पर प्रशासनिक लापरवाही का आरोप तेज करने की तैयारी में है.
राज्य के भविष्य और आजीविका से जुड़े हैं ये मुद्दे सीधे- BJP
बीजेपी ने बैठक में तय किया कि सत्र के सीमित पांच कार्यदिवसों में वह सरकार को छात्रों की लंबित छात्रवृत्ति, धान खरीद की देरी और किसानों की आर्थिक परेशानी पर घेरने की रणनीति अपनाएगी. पार्टी नेताओं ने बैठक में कहा कि हजारों छात्रों को अब तक छात्रवृत्ति न मिलना शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न है. इसी तरह धान खरीद केंद्र न खुलने से किसानों को अपनी उपज औने-पौने दाम पर बिचौलियों को बेचने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है. बीजेपी का कहना है कि ये मुद्दे सीधे राज्य के भविष्य और आजीविका से जुड़े हैं, इसलिए इन्हें सत्र में प्राथमिकता दी जाएगी.
छात्रवृत्ति न मिलने से पढ़ाई प्रभावित हो रही- BJP
BJP के मुख्य सचेतक नवीन जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायकों ने निर्णय लिया है कि वे सरकार को इन “ज्वलंत मुद्दों” पर कठघरे में खड़ा करेंगे. उनके अनुसार, छात्रवृत्ति न मिलने से गरीब और जरूरतमंद छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जबकि सरकार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. जायसवाल ने कहा कि धान खरीद में देरी से खेतिहर परिवारों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है और यह स्थिति बताती है कि सरकार किसानों के हितों के प्रति संवेदनशील नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की उदासीनता के कारण बिचौलियों का दबदबा बढ़ गया है.
सत्र के पहले दिन विपक्ष ने साफ संकेत दे दिए कि वह सरकार को हर मुद्दे पर जवाब देने के लिए बाध्य करेगा. भाजपा नेताओं का कहना है कि छात्रों और किसानों से जुड़े ये सवाल केवल राजनीतिक नहीं बल्कि जनजीवन से सीधे जुड़े हैं, इसलिए विधानसभा में इनके समाधान के लिए दबाव बनाया जाएगा. पार्टी ने यह भी संकेत दिया कि यदि जरूरी हुआ तो वह सत्र के भीतर विरोध के अलग-अलग तरीके अपनाएगी. अब नजर इस बात पर है कि सरकार इन आरोपों पर क्या रुख अपनाती है और सदन में इस मुद्दे पर किस तरह की बहस देखने को मिलती है.
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