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Mahashivratri 2023: देवघर में शिव बारात के रूट में नहीं होगा कोई बदलाव, BJP सांसद निशिकांत दुबे की याचिका खारिज
Deoghar Shiv Barat: सांसद निशिकांत दुबे ने अपनी याचिका में कहा था कि आयोजन समिति ने जिन रास्तों से यात्रा निकालने का निर्णय लिया, उसमें जिला प्रशासन ने अनावश्यक परिवर्तन कर दिया.
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Shivratri 2023: झारखंड हाईकोर्ट ने देवघर में शिवरात्रि (shivratri) पर शिव बारात के लिए जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित रूट में बदलाव की मांग को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) की ओर से दायर की गई याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा है कि जिला प्रशासन ने सुरक्षा और विधि-व्यवस्था के दृष्टिकोण से जो रूट तय कर रखा है, उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही कोर्ट ने शिव बारात के दौरान धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करने के प्रशासन के आदेश में भी हस्तक्षेप से इनकार कर दिया.
बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने अपनी याचिका में कहा था कि देवघर में शिव बारात आयोजन समिति ने जिन रास्तों से यात्रा निकालने का निर्णय लिया है, उसमें जिला प्रशासन ने अनावश्यक हस्तक्षेप करते हुए परिवर्तन कर दिया. इस आदेश से श्रद्धालुओं की आस्था आहत होगी, उन्होंने जिला प्रशासन के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद वकील राजीव रंजन ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से पहले से निर्धारित रूट से ही शिव बारात निकलेगी. दूसरे रास्ते से विधि व्यवस्था का मामला बनता है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और माना कि जिला प्रशासन को रूट तय करने का अधिकार है.
देवघर में नहीं लगी धारा 144
हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान देवघर डीसी से मोबाइल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात की. उन्होंने कोर्ट से कहा कि जिला प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से वर्षों से यह रास्ता तय कर रखा है, केवल कोविड के तीन वर्षों के दौरान यह रास्ता नहीं लिया गया था.
डीसी ने कोर्ट को बताया कि शिव बारात की सुरक्षा को लेकर देवघर जिला प्रशासन को कुछ सूचनाएं मिली थीं. इसी वजह से धारा 144 लगाई गई. ऐसा कहीं नहीं है कि पूरे देवघर में धारा 144 होने से 5 या 6 आदमी एक साथ एकत्रित नहीं हो सकते. हाईकोर्ट ने समाचार पत्रों और अन्य संचार माध्यमों से देवघर डीसी को 17 फरवरी से यह प्रसारित करने को कहा है कि देवघर में कहीं भी सीमित संख्या में लोगों के रहने को लेकर धारा 144 जैसा आदेश लागू नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत पल्लव और पार्थ जालान पैरवी की.
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