'धर्म पूछकर हत्या कभी नहीं हुई कि...', पहलगाम आतंकी हमले पर क्या बोले गुलाम नबी आजाद?
Ghulam Nabi Azad News: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने पहलगाम आतंकी हमले पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इसे कश्मीर की सामाजिक और धार्मिक एकता पर हमला बताया है.

Ghulam Nabi Azad On Kashmir Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है. उन्होंने इसे न सिर्फ़ एक सुरक्षा चुनौती बताया बल्कि कश्मीर की सामाजिक और धार्मिक एकता पर सीधा हमला करार दिया.
गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि पहलगाम जैसे दुर्गम और पहाड़ी इलाकों में आतंकियों की पहचान और गतिविधियां ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है. उनका मानना है कि जब तक पूरी जांच नहीं होती, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी. लेकिन इस घटना ने कश्मीर को गहरे ज़ख़्म दिए हैं.
"धर्म पूछकर हत्या कभी नहीं हुई थी"
इस हमले की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पहली बार धर्म पूछकर लोगों की हत्या की गई. आज़ाद ने कहा, "कश्मीर में पहले कभी इस आधार पर हत्या नहीं हुई कि कोई किस धर्म से है." उन्होंने इसे कश्मीर की सदियों पुरानी कश्मीरियत और धार्मिक सौहार्द के ख़िलाफ़ बताया. इस हमले से पूरे कश्मीर में शोक और ग़ुस्से का माहौल है.
सुरक्षा में चूक से नहीं किया इनकार
पूर्व मुख्यमंत्री ने माना कि कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक हुई हो सकती है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि हर पहाड़ी और हर टूरिस्ट स्पॉट पर सुरक्षा बल तैनात करना व्यावहारिक नहीं है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि "कश्मीर की ज़मीन को पूरी तरह सुरक्षित बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है."
भारत-पाक तनाव और कश्मीर पर असर
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सेना को स्वतंत्र कार्रवाई की छूट देने पर उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई का सीधा असर जम्मू-कश्मीर पर पड़ता है. "बॉर्डर पर बसे गांव सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं." उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि निर्णय सामूहिक सोच से होनी चाहिए, टकराव नहीं.
धर्म के आधार पर हत्या को गुलाम नबी आज़ाद ने पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ़ और ISI की सोच का नतीजा बताया. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान हिंदुस्तान को धर्म के आधार पर बांटना चाहता है, लेकिन हमें उनकी चाल में नहीं आना चाहिए."
राजनीतिक दलों को संयम बरतने की सलाह
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को नसीहत दी कि वे अपने नेताओं को इस घटना पर विवादित बयान देने से रोकें. आज़ाद ने कांग्रेस के इस दिशा में उठाए गए कदम की सराहना की और कहा कि "हर पार्टी को अपने नेताओं को ज़िम्मेदारी का एहसास कराना चाहिए."
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