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चार साल तक नियमों को ताक पर रख काम करता रहा प्रधान! जांच में हुए बड़े खुलासे, DC शिमला ने किया सस्पेंड
Himachal Pradesh News: जिला शिमला के रोहड़ू विकासखंड में मनरेगा के काम में गड़बड़ी के लिए प्रधान को सस्पेंड किया गया है. यह कार्रवाई डीसी शिमला की ओर से अमल में लाई गई है.

करासा पंचायत के प्रधान देवराज निलंबित
Source : ABPLIVE_AI
DC Shimla suspended Pradhan : लंबे वक्त से नियमों को ताक पर रखकर मनरेगा का काम करवा रहे प्रधान पर बड़ी कार्रवाई हुई है. जिला शिमला उपायुक्त अनुपम कश्यप ने गड़बड़ी कर रहे करासा पंचायत के प्रधान देवराज को निलंबित कर दिया है.
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी रोहड़ू एक शिकायत मिली थी. इस पर प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. प्रधान के खिलाफ यह शिकायत स्थानीय व्यक्ति की ओर से ही दर्ज करवाई गई थी.
प्रधान की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने पर यह कार्रवाई अमल में लाई गई है. जिला शिमला के विकास खंड रोहड़ू की करासा पंचायत के प्रधान देवराज को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और 15वें वित्त आयोग के तहत किए जाने वाले विकास कार्यों में अनियमिताएं बरतने पर निलंबित किया गया है.
जांच के दौरान हुए कई बड़े खुलासे
स्थानीय व्यक्ति की ओर से की गई शिकायत के बाद मामले में जांच की गई. जांच में पाया गया कि प्रधान ने फर्जी बिल, समान की खरीददारी में अनियमितता, कार्यों का बजट स्थानांतरित करने, अधूरे काम, मजदूरों के खातों में सीधे मजदूरी न ट्रांसफर करने, एक ही व्यक्ति को बिना कोटेशन के काम देने, बिना बजट के ज्यादा काम करवाने और तकनीकी अनुमति के बिना काम करने जैसी अनियमितताएं बरती हैं.
प्रधान देवराज की ओर से कारण बताओ नोटिस के जवाब में कोई संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया जा सका था. गौर हो कि मामले में बीते छह मई को 135 पन्नों की एक बड़ी रिपोर्ट सौंपी गई थी. इसी रिपोर्ट में अनियमितताओं को लेकर बड़ा खुलासा हुआ.
लापरवाही बरतने के लिए किया निलंबित
इस 135 पन्नों वाली रिपोर्ट में साल 2020 से साल 2024 तक विकासात्मक कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई. 1 जुलाई 2024 को जांच में लगे आरोपों को लेकर प्रधान ग्राम पंचायत करासा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. 4 जुलाई 2024 को प्रधान ने इन आरोपों पर लिखित अपना जवाब दायर किया था. इसके बाद प्रधान के लिखित जवाबों का अवलोकन पंचायत के रिकॉर्ड के साथ किया गया.
इसके बाद पाया गया कि प्रधान की ओर से अपने बचाव में पेश किए तथ्य ठोस नहीं पाए गए. ऐसे में जिला शिमला उपायुक्त अनुपम कश्यप ने हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा- 145 (1) (c) के तहत प्रधान को अपने काम में लापरवाही बरतने के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया. इसके साथ ही पंचायत से जुड़ा सारा रिकॉर्ड, स्टोर, स्टॉक और स्टांप पंचायत सचिव को सौंपने के आदेश भी जारी किए.
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