हरियाणा: मां-बाप जमा नहीं करा सके स्कूल फीस तो छूटी पढ़ाई, अब 8वीं की छात्रा ने की आत्महत्या
Haryana News: रेवाड़ी में 14 वर्षीय छात्रा ने स्कूल फीस न भर पाने से पढ़ाई बंद होने के कारण सुसाइड कर लिया. आर्थिक तंगी से परेशान परिवार काम पर था, पुलिस जांच में पढ़ाई रुकना मुख्य वजह सामने आई.

हरियाणा के रेवाड़ी जिले के धारूहेड़ा क्षेत्र से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है, जहां 14 वर्षीय 8वीं कक्षा की छात्रा ने आर्थिक तंगी और पढ़ाई रुक जाने से आहत होकर अपनी जान दे दी. यह घटना सेक्टर-6 थाना क्षेत्र के हाउसिंग बोर्ड स्थित एक किराए के मकान में हुई, जहां छात्रा अपने परिवार के साथ रहती थी.
मृतका की पहचान बिहार के मोतिहारी निवासी रिंकू कुमारी के रूप में हुई है. परिवार कुछ समय पहले ही बेहतर जीवनयापन की तलाश में धारूहेड़ा आया था. रिंकू पढ़ाई में होनहार थी, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उसके माता-पिता स्कूल की फीस जमा नहीं कर पाए. इसी वजह से स्कूल प्रशासन ने उसकी पढ़ाई रोक दी थी. यह बात रिंकू को अंदर तक तोड़ चुकी थी और वह पिछले कुछ समय से मानसिक रूप से परेशान थी.
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के अनुसार, घटना मंगलवार (25 नवंबर) शाम की है जब रिंकू घर पर अकेली थी. उसके पिता इलेक्ट्रीशियन का काम करते हैं और मां सब्जी की रेहड़ी लगाती हैं. रोज की तरह दोनों काम पर गए हुए थे. उसके छोटे भाई-बहन भी बाहर खेल रहे थे. करीब शाम 6:30 बजे जब परिवार घर लौटा, तो उन्होंने रिंकू को पंखे से लटका हुआ पाया. परिवार उसे तुरंत नजदीकी निजी अस्पताल ले गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
घटना की जांच में जुटी पुलिस
सूचना के बाद सेक्टर-6 थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की. जांच अधिकारी एएसआई महिपाल के अनुसार, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल रेवाड़ी भेजा गया, जहां प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि रिंकू पढ़ाई बंद होने से गहरे अवसाद में चली गई थी. उसे लग रहा था कि आर्थिक तंगी के कारण वह आगे नहीं पढ़ पाएगी. पुलिस का कहना है कि अब तक किसी तरह के बाहरी दबाव, उत्पीड़न या किसी अन्य वजह के संकेत नहीं मिले हैं.
रिंकू की आत्महत्या ने पूरे इलाके को कर दिया है स्तब्ध
इस घटना ने शिक्षा और आर्थिक असमानता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. समाजसेवियों का कहना है कि आर्थिक कारणों से बच्चों की पढ़ाई रुकना कई बार उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालता है. स्कूलों और प्रशासन को ऐसे मामलों पर संवेदनशीलता से ध्यान देने की जरूरत है ताकि किसी बच्चे को मजबूरी में पढ़ाई न छोड़नी पड़े.
रिंकू की आत्महत्या ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार और समाज को मिलकर ऐसी परिस्थितियों में बच्चों की मदद के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो.
ये भी पढ़िए- बिहार के युवाओं के लिए खुशखबरी! स्वास्थ्य विभाग में 33 हजार नौकरियों की कवायद तेज
Source: IOCL





















