हरियाणा में BJP की जीत में किस-किस ने निभाया अहम किरदार, इन फैसलों से भी मिला जनता का मत!
Haryana Election Result 2024: हरियाणा में बीजेपी की जीत कई मायनों में अहम है. इस जीत में कई दिग्गजों ने अहम किरदार निभाया है. इसके बदौलत BJP खुद अपने दम पर बहुमत का आकंड़ा पार करने में कामयाब रही.
Haryana Assembly Election Result 2024: हरियाणा में बीजेपी की जीत को लेकर भले ही राजनीतिक पंडितों की अलग-अलग राय हो, लेकिन इस जीत की वजह बीजेपी अपने माइक्रो मैनेजमेंट और चुनाव के ठीक पहले सरकार की ओर से उठाए गए महत्वपूर्ण कदम को मानती है. सरकार के तौर पर गंभीर विषयों को न सिर्फ चिहिंत किया बल्कि महज कुछ दिनों में उसे जमीन पर उतारकर लोगों की नाराजगी को दूर करने की भरकस कोशिश की.
यही नहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जगह सरल और सहज नायब सिंह सैनी को कमान देकर बीजेपी ने कार्यकर्ता और सरकार के बीच पनप रही दूरी को भी दूर करने में कामयाबी हासिल की. जिसका नतीजा रहा कि 2019 के मुकाबले न सिर्फ भाजपा को 8 सीटें ज्यादा मिली, बल्कि बिना किसी दल की मदद के अपने बूते सरकार बनाने का बहुमत हासिल किया.
हरियाणा में BJP का सफल ग्राउंड ऑपरेशन
दरअसल बीजेपी के लिए हरियाणा किसी प्रयोगशाला से कम नहीं. जहां एक तरफ सभी एग्जिट पोल बीजेपी को हरा रहे थे. वहीं संघ और बीजेपी की टीम ने अपने जमीनी संपर्क के दम पर बाजी पलट दी. नतीजा सबके सामने है. एबीपी न्यूज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक हरियाणा में बीजेपी अब तक सबसे सफल ग्राउंड ऑपरेशन किया. इसके लिए बीजेपी और संघ के 8 प्रमुख किरदार हैं जो नरेंद्र मोदी की अगुआई में एक बार फिर जनता को समझाने में सफल रहे कि हरियाणा का भविष्य बीजेपी के शासन में ही सुरक्षित है.
बीजेपी की जीत में ये 8 किरदार रहे खास
• केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह: 23 जून 2024 को गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा BJP की छोटी टोली यानी राज्य की मिनी राज्य कार्यकारिणी की बैठक ली और सभी नकारात्मक पहलुओं की लिस्ट बनाई और उसे कैसे दूर किया जाए उसकी रणनीति बनाने के निर्देश दिए. पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए छोटी-छोटी टोलियों में बैठक शुरू की.
• संघ के प्रचारक और सह कार्यवाह अरुण कुमार: वे लंबे समय से हरियाणा बीजेपी को अंदर से देख रहे हैं और हरियाणा के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं. संघ की अलग टोलियों के जरिए करीब राज्य के ब्लॉक स्तर पर बैठकें की और संघ की लोकल यूनिटों को सक्रिय किया. बीजेपी के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनाव को जीतने की योजना बनाई.
• जेपी नड्डा: बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर रोजाना पार्टी के कामकाज को समीक्षा पार्टी के सामूहिक निर्णय को सरकार और संगठन के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने में अहम भूमिका. चुनाव के दौरान पार्टी की बैठकों के जरिए कार्यकताओं में जीत जज्बा पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाई.
• मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी: मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर मार्च 2024 में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया. अपनी सरलता और लोगों से बिना हिचक के मिलने की शैली के दम पर नाराज और उपेक्षित महसूस कर रहे कार्यकर्ताओं को कम समय में ही अपना बना लिया. महज तीन महीने में ही पूरे राज्य का ताबड़तोड़ दौरा किया. जिसका नतीजा रहा कि कार्यकर्ताओं की राय बदली.
• राज्य के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान: चुनाव ऑपरेशन के अनुभवी धर्मेंद्र प्रधान ने शायद ही इससे पहले इतना कठिन असाइनमेंट लिया हो. सरलता और कठिन निर्णय के लिए जाने, जाने वाले धर्मेंद्र प्रधान ने हाई कमान के निर्देशों को जमीन पर उतारा और कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया. बिना मीडिया के कैमरे के सामने आए प्रधान ने विधानसभा स्तर पर बैठकें की और पार्टी के काम की मॉनिटरिंग की.
• राज्य के सह चुनाव प्रभारी बिप्लब देव: त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देव को पहली बार किसी राज्य में संगठन का काम सौंपा गया था. लेकिन अपनी सहजता और मिलनसार स्वभाव के दम पर जल्द ही हरियाणा के कार्यकर्ताओं को अपना बना लिया. जिस राज्य में कार्यकर्ताओं को नहीं सुने जाने का आरोप लगता था, वहां बिप्लब देव ने एक खिड़की का काम किया.
• राज्य के प्रभारी सतीश पूनिया: राजस्थान के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया का संगठन में लंबा अनुभव है. जिसके आधार पर जमीन पर कार्यकर्ताओं के साथ कैसे कम करना है, भली भांति जानते है. उसी अनुभव के आधार पर पार्टी के निर्णयों को जमीन तक ले जाने का काम किया.
• राष्ट्रीय सचिव और सह चुनाव प्रभारी सुरेंदर नागर: सुरेंदर नागर को पिछले कुछ वर्षों में लगातार संगठन के काम में लगाया गया. अपनी ईमानदार छवि और अमित शाह के इशारे को समझने में माहिर नागर लगातार पार्टी के काम को जमीन पर उतारने में जुट रहे.
ये फैसले भी रहे जीत की मुख्य वजह
• किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए 24 फसलों पर देश में सबसे ज्यादा MSP पर खरीददारी हुई.
• भारतीय किसान संघ ने गांव-गांव चौपाल का आयोजन कर किसानों के लिए सरकार के काम को जमीन पर उतारा गया. किसानों को समझाने में सफल रहे कि केंद्र और राज्य सरकार किसान हित में फैसले ले रही है.
• कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने और पार्टी के कामकाज को नजदीक से समझने के लिए बीजेपी ने हरियाणा स्टेट को 4 सेक्टर में बांटा और हर सेक्टर में सीनियर नेताओं को जिम्मेदारी दी. धर्मेंद्र प्रधान, सतीश पूनिया, बिप्लब देव और सुरेंद्र नागर ने अलग-अलग सेक्टर की जिम्मेदारी ली और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया.
• सभी विधानसभा सीटों को ग्रेडिंग सिस्टम में बांटा गया. A, B, C और D कैटेगरी में सीटें बांटी गई.
• A और B कैटेगरी सीटों पर 5 फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य रखा गए. C में 5 से 10 फीसदी वोट और D कैटेगरी में वोटों को अलग-अलग दलों में बांटने का लक्ष्य रखा गया.
• सबसे बड़ा और मेजर डिसीजन रहा ओबीसी क्रीमी लेयर जिसकी लिमिट 6 लाख थी उसे बढ़ाकर 8 लाख किया गया. देश के बाकी राज्यों में 8 लाख लिमिट थी. लेकिन हरियाणा में वह लिमिट 6 लाख की थी.जिससे ओबीसी वर्ग में एक बहुत बड़ा तबका सरकार से नाराज था.
• फैमिली आईडी और प्रॉपर्टी आईडी के लिए शुरू किए पोर्टल की परेशानियों को दूर किया गया. हरियाणा की जनता के लिए चुनाव से ठीक पहले बिना पोर्टल के अगले 6 महीने तक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं ये फैसला ट्रंप कार्ड साबित हुआ.
• एक लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को रेगुलराइज किया गया.
• बीजेपी ने इस चुनाव को पहले दिन से लो प्रोफाइल रखने की योजना बनाई.
• संघ ने लगातार बीजेपी के साथ जमीनी स्तर पर कॉर्डिनेशन किया.
• हर निगेटिव बूथ पर 50 वोट बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया.
• गांवों और बूथ स्तर पर मोटरसाइकिल ग्रुप बनाया गया. मतलब बूथ स्तर और 5 से 11 मोटरसाइकिल वालों का ग्रुप बनाया गया. जिन्हें पार्टी का प्रचार-प्रसार करने के लिए तैयार किया.
• ग्राम प्रधानों की समस्या को दूर किया गया. जिससे बिना टेंडर के 21 लाख तक का काम कर सके ग्राम प्रधान. इससे पहले खट्टर के मुख्यमंत्री रहते यह लिमिट 10 लाख थी और उसके बाद ई-टेंडरिंग के जरिए काम कराया जा सकता था. जिसे नायब सिंह सैनी ने बदल दिया.
• मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी छवि लो प्रोफाइल बनाए रखा. अपने घर के गेट को हमेशा कार्यकर्त्ताओं के लिए खोले रखा. उनके घर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भोजन कराकर ही वापस जाने दिया गया.
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